लखनऊः मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की बंगाल में चुनावी सभाओं का असर कितनी सीटों पर पड़ेगा, कहां कमल खिलेगा, यह तो वक्त ही बताएगा. लेकिन, वहां योगी सरकार की उपलब्धियों की खूब चर्चा है. यह चर्चा इसलिए है, क्योंकि वहां पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने मुख्यमंत्रित्वकाल का अनुभव और चार साल में शुरू की योजनाओं को गिना रहे हैं. सीएम योगी कानून व्यवस्था ठीक रखने के लिए यूपी में चले बुल्डोजर, किसानों की समस्या दूर करने, स्वास्थ्य सेवाओं में विकास और कोरोना काल की उपलब्धियां गिनाते नहीं थक रहे. योगी की हर रैली में यूपी दिखाई और सुनाई पड़ रहा है.
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ध्रुवीकरण कराते रहे हैं सीएम योगी
भाजपा के जानकार और राजनीतिक विश्लेषक राजीव श्रीवास्तव का कहना है कि माफिया के गढ़ गोरखपुर को कभी शिकागो ऑफ ईस्ट कहा जाता था. मुख्यमंत्री बनने से पहले योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से सांसद चुनकर आते रहे हैं. योगी वहां माफिया से घिरे रहे हैं. शायद इसीलिए योगी ने मुख्यमंत्री बनने के बाद माफिया पर कार्रवाई शुरू की. कार्रवाई कितनी और किन पर हुई, यह चर्चा का विषय हो सकता है, लेकिन देशभर में इसका शोर है. इसके अलावा सीएम योगी ध्रुवीकरण की राजनीति करते रहे हैं. वह खुलकर हुमायूंपुर को हनुमान नगर कहते हैं. उर्दू बाजार को हिंदी बाजार कहते आये हैं. पश्चिम बंगाल की चुनावी सभाओं में भी सीएम योगी का यह रूप देखने को मिल रहा है. यह कहा जा सकता है कि वह अपनी सरकार की ब्रांडिंग कर रहे हैं.
मोदी की राह पर योगी
राजनीतिक विश्लेषक पीएन द्विवेदी कहते हैं कि 2014 के पहले 2011, 12 और 13 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी जिस रणनीति के तहत चलते थे, अपने राज्य की ब्रांडिंग देश ही नहीं दुनिया भर में करते हुए दिखाई पड़ते थे, उसी तर्ज पर सूबे के मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपनी ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश की ब्रांडिंग कर रहे हैं. योगी देश के अन्य राज्यों में ही नहीं दुनिया में भी यूपी की और अपनी सरकार की उपलब्धियां पहुंचा रहे हैं. पिछले दिनों विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जिस प्रकार से कोरोना काल के काम को लेकर योगी सरकार की तारीफ की है, उससे यह साबित होता है कि योगी अपनी इस रणनीति सफल हुए हैं. शायद यही वजह है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पश्चिम बंगाल का चुनाव हो या फिर असम, कर्नाटक, आंध्रा, हर जगह इसी शैली में प्रचार करते हुए दिखाई पड़ रहे हैं.