लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने गुरुवार को अफसरों के साथ बैठक करते हुए एनआईसी और तकनीक से जुड़ी योजनाओं की समीक्षा की. सीएम ने कहा कि आमजन को शासन की सेवाओं की सहज उपलब्धता सुनिश्चित करने और शासन-प्रशासन की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता के उद्देश्य से राष्ट्रीय सूचना-विज्ञान केंद्र (NIC) का सराहनीय योगदान रहा है. जनसुनवाई पोर्टल- IGRS, मुख्यमंत्री राहत कोष पोर्टल, एंटी भू-माफिया, एंटी माफिया पोर्टल, मुख्यमंत्री अनुश्रवण प्रणाली जैसे अभिनव तकनीकी प्रयासों ने शासन तक आमजन की सीधी पहुंच सुलभ कराई है. वहीं, ई-कैबिनेट, ई-ऑफिस, प्रोटोकाल पोर्टल जैसी सेवाओं से शासन की कार्यप्रणाली सरल हुई है.
सीएम ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि विभागों द्वारा विभिन्न चयन आयोगों को रिक्तियों के संबंध में भेजे जाने वाले सूचना को ऑनलाइन सेवा से जोड़ा जाए. इससे नियुक्तियों की प्रक्रिया और सरल होगी. उन्होंने आगे कहा कि सचिवालय में फाइलों के लिए ई-ऑफिस की व्यवस्था है. इसे समस्त विभागाध्यक्ष/निदेशक कार्यालयों में भी लागू किया जाए. फिजिकल फाइलों का उपयोग अपरिहार्य स्थिति में ही किया जाना चाहिए. ई-ऑफिस को और प्रभावी बनाने की आवश्यकता है.
सीएम ने छात्रों के बारे में जिक्र करते हुए कहा कि छात्रवृत्ति/शुल्क प्रतिपूर्ति को ऑनलाइन सेवा से जोड़ने के अच्छे परिणाम मिले हैं. हालांकि कई बार छात्रों को आवदेन में समस्या होती है. इसमें सुधार के लिए जरूरी प्रयास की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि विरासत उत्तराधिकार/स्टाम्प पंजीयन के प्रकरणों में तकनीक की मदद से आमजन को और सहूलियत दी जा सकती है. भूमि रिकॉर्ड को अपडेट करने में लगने वाला समय और कम करने की जरूरत है.
जमीनों की रजिस्ट्री को लेकर सीएम ने अधिकारियों को कड़े निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि लैंड रिकॉर्ड को रजिस्ट्री विभाग से जोड़ना जरूरी है. रजिस्ट्री विभाग का कार्य केवल राजस्व एकत्रित करना भर नहीं होना चाहिए. जमीन की रजिस्ट्री से पूर्व यह सुनिश्चित किया जाना जरूरी है कि विक्रय करने वाला व्यक्ति ही वास्तव में भूमि का मालिक है. ऐसे मामलों में कई बार धोखाधड़ी की बात सामने आती है. इस कार्य में तकनीक की मदद से व्यापक सुधार किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि विभागीय निर्देशन में एन.आई.सी. द्वारा विकसित पोर्टल एवं उससे संबंधित डाटा का स्वामित्व संबंधित विभाग का होता है. अतः संबंधित विभाग द्वारा रख-रखाव का प्रबंधन किया जाना चाहिए.
गौवंश संरक्षण को लेकर सीएम ने दिए निर्देश
इसके अलावा आज सीएम ने गोवंश/पशुधन के शत-प्रतिशत संरक्षण के संबंध में मुख्यमंत्री ने अफसरों को दिशा-निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पशु संवर्धन, संरक्षण के लिए सेवाभाव के साथ सतत प्रयासरत हैं. गोवंश सहित सभी पशुपालकों के प्रोत्साहन के लिए सरकार द्वारा अनेक योजनाएं संचालित की जा रही हैं. पात्र लोगों को इसका लाभ मिलना सुनिश्चित कराया जाए.
सीएम ने आगे कहा कि प्रदेश में संचालित निराश्रित गोवंश की क्षमता विस्तार करने की आवश्यकता है. छोटे-छोटे निराश्रित आश्रय स्थलों की बजाय विकास खंड स्तर पर न्यूनतम 2000 गोवंश क्षमता का एक आश्रय स्थलों का विकास कराया जाए. आश्रय स्थल का परिसर न्यूनतम 30-50 एकड़ का हो. बड़ा परिसर गोवंश के लिए सुविधाजनक होता है. आश्रय स्थल का चयन करते समय बाढ़ प्रभावित/जल भराव वाले क्षेत्रों से परहेज करें. आश्रय स्थल में केयर टेकर हो, हरा-चारा, भूसा-पानी आदि की पर्याप्त उपलब्धता रहे. हर ब्लॉक में जल्द से जल्द भूमि का चयन कर लिया जाए.
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मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि विकास खंड स्तर पर स्थापित होने वाले इन आश्रय स्थलों को वाराणसी में सफल गोबरधन योजना की तर्ज पर आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य रखें. गोबर, गोमूत्र आदि से विभिन्न उत्पाद तैयार होते हैं. गोशालाओं को आपस में लिंक कर ईंधन उत्पादन का बेहतर कार्य किया जा सकता है. इस संबंध में ठोस प्रयास किया जाना चाहिए.
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सीएम ने कहा कि पशुपालकों को राज्य सरकार द्वारा दिए जा रहे मासिक ₹900 भत्ते का भुगतान नियमित अन्तराल पर कर दिया जाए. पशुपालकों/गोशालाओं को भुगतान की वर्तमान प्रक्रिया लंबी और जटिल है. इससे भुगतान में अनावश्यक देरी होती है. यथाशीघ्र इसका सरलीकरण किया जाए. गोवंश संरक्षण के उद्देश्य से एक राज्य स्तरीय आईटी बेस्ड पोर्टल का विकास किया जाए. इस पर सभी गोवंश का पंजीकरण कराया जाए. प्रत्येक गोवंश के टीकाकरण की पूरी जानकारी यहां उपलब्ध हो. हर एक गोवंश का पूरा विवरण ऑनलाइन उपलब्ध होना चाहिए.
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