लखनऊ: योगी सरकार ने राज्य में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए नई एमएसएमई एक्ट को मंजूरी दे दी है. इस एक्ट के मंजूरी के बाद अब उद्योग लगाने के लिए आवेदन करने के 72 घंटे के अंदर ही स्वीकृति दी जाएगी. स्वीकृति मिलने के उपरांत उद्योग से संबंधित अन्य विभागीय अनुमति लेने के लिए उद्यमी को 900 दिन का समय मिलेगा.
उद्यमियों को विभागीय अनुमति के लिए योगी सरकार के निवेश मित्र पोर्टल पर आवेदन करना होगा. समस्त प्रक्रिया शासन की नजरों से होकर गुजरेंगी. इस नए एक्ट को उत्तर प्रदेश सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम (अवस्थापना एवं संचालन) अधिनियम 2020 कहा गया है. आयुक्त एवं निदेशक उद्योग की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय नोडल एजेंसी गठित की जाएगी. यह कमेटी राज्य स्तर पर मॉनिटर करेगी. वहीं जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जिलों में जिला स्तरीय नोडल एजेंसी गठित की जाएगी. जिला स्तर की नोडल एजेंसी ही 72 घंटे में अनुमति प्रदान करेगी.
उत्तर प्रदेश सरकारी संपत्ति प्रबंधन एवं निस्तारण अधिनियम 2020 के प्रारूप को स्वीकृति मिली है. कैबिनेट बाई सर्कुलेशन में लिए गए फैसले से प्रदेश में सरकारी संपत्तियों के रख-रखाव व उसके निस्तारण के साथ नजूल जमीनों को फ्री होल्ड करने के लिए नियमावली बन सकती है. कैबिनेट बाई सर्कुलेशन के जरिए सीएम योगी ने अन्य फैसले भी लिए हैं.
स्नातक पास करने वाले होंगे पात्र
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग अधीनस्थ सेवा नियमावली 2020 को मंजूरी दी गई है. इसके तहत राज्य सरकार ने अपर सचिव और निजी सचिव के पदों पर भर्ती के लिए नए सिरे से योग्यता तय की है. पहले इंटर पास वालों को इन पदों के लिए पात्र माना जाता था, लेकिन अब स्नातक पास होने वाले ही इसके लिए पात्र होंगे.
लखनऊ विश्वविद्यालय से चार जिलों हरदोई, रायबरेली, लखीमपुर खीरी व सीतापुर के सारे महाविद्यालयों को सम्बद्ध करने का निर्णय लिया गया है. इन जिलों के महाविद्यालय लखनऊ विश्वविद्यालय के क्षेत्राधिकार में शामिल हो गए हैं.
थर्ड जेंडर को भी संपत्ति में अधिकार
उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता (संशोधन) विधेयक 2020 के प्रारूप को भी मंजूरी दे दी गई है. इस विधेयक की मंजूरी मिलने से उद्योगों को भूमि उपलब्ध कराने की प्रक्रिया काफी आसान हो जाएगी. अब बिना अनुमति के 12.50 एकड़ से अधिक भूमि क्रय करने की प्रवृति पर अंकुश लगेगा.
इसके तहत संपत्ति में अधिकार की परिभाषा को स्पष्ट किया गया है. उत्तर प्रदेश सरकार ने अविवाहित व विवाहित बेटियों के साथ थर्ड जेंडर संतानों को भी पारिवारिक सदस्य ही नहीं माना है, बल्कि उन्हें संपत्तियों में अधिकार भी देने का फैसला किया गया है. यानी कि माता-पिता विवाहित पुत्री और भाई, अविवाहित बहन, थर्ड जेंडर संतान को संपत्तियों में अधिकार होगा. थर्ड जेंडर को भी भू खातेदार के पारिवारिक सदस्य के रूप में शामिल किया गया है. थर्ड जेंडर को उत्तराधिकार भी प्रदान किया जा सकेगा.