लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार एक ओर प्रदेश को वन ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी बनाने की ओर तेजी से अग्रसर है, वहीं यह भी सच है कि लोगों तक सिविक एमेनिटीज की पहुंच को सरल करने की प्रक्रिया में भी योगी सरकार तेजी से तरक्की कर रही है. इसके लिए सरकार 'उत्तम स्वास्थ्य निदान' को लक्षित कर समय-समय पर मेडिकल कॉलेजेस व चिकित्सा केंद्रों में उपकरण, साजो-सामान व अन्य बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है. इसी के तहत में अब सीएम योगी की मंशा के अनुरूप उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज (केजीएमयू), बस्ती स्थित महर्षि वशिष्ट स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय और गोरखपुर के राजकीय मेडिकल कॉलेज में मेडिकल फैसिलिटीज बढ़ाने और विभिन्न परियोजनाओं को मूर्त रूप देने के लिए विस्तृत कार्ययोजना तैयार की गई है.
राजधानी लखनऊ स्थित किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज (केजीएमयू) में मेडिकल गैस पाइपलाइन व ऑक्सीजन प्लांट के निर्माण की दिशा में उल्लेखनीय प्रयास के अंतर्गत 1.36 करोड़ रुपये की धनराशि अवमुक्त कर दी गई है. केजीएमयू में मेडिकल गैस पाइपलाइन व ऑक्सीजन प्लांट के निर्माण के लिए कुल 27.26 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत की गई थी और इनमें से 95 प्रतिशत यानी 25.90 करोड़ रुपये पहले ही जारी किए जा चुके हैं. अब मौजूदा कार्ययोजना के अंतर्गत लंबित धनराशि में से 1.36 करोड़ रुपये की धनराशि अवमुक्त की गई है. जिसका उपयोग चिकित्सा शिक्षा व प्रशिक्षण के लिए किया जाएगा. केजीएमयू में ही सेंटर फॉर ऑर्थोपेडिक सुपर स्पेशेलिटीज के निर्माण में अप्रैल 2022 से मार्च 2023 तक खर्च हुई धनराशि के सापेक्ष जीएसटी मद में 4.28 करोड़ रुपये की धनराशि अवमुक्त की गई है.
स्वास्थ्य विभाग को नहीं मिल रहे डॉक्टर
प्रदेश के जिला अस्पतालों में लगातार चिकित्सकों की कमी को दूर करने के लिए स्वास्थ्य निदेशालय एड़ी चोटी की जोर लगा रहा हैं. बावजूद इसके चिकित्सकों की कमी बरकरार है. आलम यह है कि जितनी भर्तियां निकाली जाती हैं उतने आवेदन नहीं होते हैं. इस स्थिति में रिटायर्ड विशेषज्ञ डॉक्टर को दोबारा नियुक्त किया जा रहा है, ताकि विशेषज्ञों की कमी अस्पतालों से दूर हो. हालांकि नियुक्तियां लगातार जारी हैं.
तमाम जतन के बाद भी स्वास्थ्य विभाग में 19 हजार 11 डॉक्टरों के कैडर में मुश्किल से करीब 11 हजार 500 डॉक्टर ही हैं. हर माह सेवानिवृत्त होने की वजह से इनकी संख्या लगातार की घटती जा रही है. वर्तमान मे वॉक इन इंटरव्यू के द्वारा 672 पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया चल रही है.
सरकारी अस्पतालों में चिकित्सा अधिकारियों व विशेषज्ञ डॉक्टरों की आपूर्ति के लिए स्वास्थ्य विभाग में चार प्रकार से नियुक्तियों की जाती है. स्थाई पदों पर उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने नियुक्ति की जाती है. बीते 2021 में लेवल के लगभग 2400 के अधियाचन मे 1029 डॉक्टरों की नियुक्ति की गई थी. इनमें से मात्र 391 ने ज्वाइनिंग की सहमति मिली थी. कुछ दिनों बाद ज्वाइनिंग देने वाली में भी आधे से ज्यादा को सरकारी अस्पतालों में सेवाएं देना रास नहीं आया. हालांकि वर्तमान में भी लेवल टू के 2382 पदों का अधियाचन भेजा गया है. इसके अलावा डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए शासन ने विभाग से रिटायर होने वालों को दोबारा नियोजित करने की दी है. जिसके अंतर्गत वर्तमान में 326 डॉक्टर ही कार्यरत हैं. जबकि 1000 पद स्वीकृत किए हैं, जिनमें 500 पद विशेषज्ञ डॉक्टरों के लिए आरक्षित हैं. नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम द्वारा संविदा पर करीब 1100 पद सृजित किए हैं. इसके अलावा वर्तमान में 872 पदों के लिए वाक इन इंटरव्यू के तहत आवेदन मांगे गए हैं. निदेशक प्रशासन डॉ. राजा गणपति का कहना है कि लगभग दो हजार से ज्यादा आवेदन आ चुके हैं.