ETV Bharat / state

प्रदूषण के चलते अस्पतालों में बढ़ रहे मरीज, आ रहीं ये समस्याएं

इस मौसम की शुरुआत होते ही प्रदूषण का स्तर (state is most polluted) बढ़ जाता है, जिसके कारण अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ जाती है. कोई मरीज आंख की समस्या से परेशान है तो कोई सांस की समस्या से. प्रदूषण के कारण लोगों को सांस लेने में अधिक दिक्कत हो रही है.

ो
author img

By

Published : Nov 21, 2022, 1:50 PM IST

लखनऊ : इस मौसम की शुरुआत होते ही प्रदूषण (state is most polluted) का स्तर बढ़ जाता है, जिसके कारण अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ जाती है. कोई मरीज आंख की समस्या से परेशान है तो कोई सांस की समस्या से. प्रदूषण के कारण लोगों को सांस लेने में अधिक दिक्कत हो रही है. सीपीसीटी रिपोर्ट (Central Pollution Control Board) के मुताबिक, प्रदेश के पांच जिलों की आबोहवा सबसे प्रदूषित है. इसमें पहले नंबर पर गाजियाबाद का एक्यूआई 319 है. बाकी नोएडा 288, लखनऊ 314, मेरठ 251 और आगरा 232 एक्यूआई है.

रिपोर्ट के मुताबिक, राजधानी के तालकटोरा इंडस्ट्री सेंटर का एक्यूआई 360, सेंट्रल स्कूल का एक्यूआई 377, लालबाग का एक्यूआई 359, गोमतीनगर का एक्यूआई 262, भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी क्षेत्र का एक्यूआई 293 और कुकरैल पिकनिक स्पॉट-1 का एक्यूआई 226 है. राजधानी के यह क्षेत्र इंडस्ट्रियल एरिया में शामिल होते हैं, जहां पर कल कारखाने का काम अधिक होता है.

जानकारी देते चिकित्सक

वहीं सिविल अस्पताल के डॉ. एस देव के मुताबिक, दो-तीन दिनों में ओपीडी में लगभग 20-25 फीसद तक सांस रोगियों की संख्या में इजाफा हुआ है. सांस रोगियों को चाहिए कि वह तेल-मसाला युक्त भोजन न करें, बाहर का कोई भी सामान नहीं खाएं, फ्रीज में रखी हुई वस्तुएं और ठंडा पानी का सेवन न करें, गुनगुना पानी पिएं और गुनगुने पानी से ही नहाएं. अपने आप को ठंड से बचाएं. पूरे बाजू के कपड़े पहनें, घर से बाहर निकलने पर मास्क जरूर लगाएं. प्रदूषण से फेफड़े संक्रमित होने से सूजन आ जाती है, जिससे सांस लेने में तकलीफ व सीने में दर्द भी महसूस होता है. खांसी भी कई बार तेज आती है. कई बार खांसते हुए आंखों से पानी आ जाता है या गले से हल्का खून निकलने लगता है, इसलिए बाहर निकलते समय मास्क का इस्तेमाल जरूर करें.

उन्होंने बताया कि फिजिशियन की ओपीडी में लगभग 40 फीसदी मरीज सांस से पीड़ित आ रहे हैं. कुछ मरीज ऐसे आते हैं जो बताते हैं कि उन्हें सांस लेने में दिक्कत होती है. इस समय शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स भी बढ़ा हुआ है. ऐसे में कोशिश करें बहुत ज्यादा जरूरी है तो बाहर निकलें और सावधानी बरतें. इस दौरान उन्होंने कहा कि जितने भी वायरस इस समय हैं वह सभी फेफड़ों पर काफी बुरा प्रभाव छोड़ रहे हैं. ज्यादातर मरीज पोस्ट कोविड के आते हैं.


सिविल अस्पताल के वरिष्ठ चेस्ट फिजिशियन डॉ. एनबी सिंह ने कहा कि इस समय जो मरीज सांस की बीमारी से इलाज के लिए आ रहे हैं, कहीं ना कहीं पोस्ट कोविड से भी पीड़ित हैं. जो व्यक्ति एक बार कोरोना की चपेट में आ चुका है उस व्यक्ति की इम्युनिटी कमजोर हो गई है. वहीं वायरस का फेफड़ों पर भी बुरा प्रभाव पड़ा है. लंबे समय तक सर्दी जुखाम बने रहने के कारण से भी सांस लेने में दिक्कत होती है. इसके अलावा प्रदूषण भी मुख्य कारक में शामिल है.

यह भी पढ़ें : लखनऊ IMA की अध्यक्ष बनीं डॉ. विनीता मित्तल

लखनऊ : इस मौसम की शुरुआत होते ही प्रदूषण (state is most polluted) का स्तर बढ़ जाता है, जिसके कारण अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ जाती है. कोई मरीज आंख की समस्या से परेशान है तो कोई सांस की समस्या से. प्रदूषण के कारण लोगों को सांस लेने में अधिक दिक्कत हो रही है. सीपीसीटी रिपोर्ट (Central Pollution Control Board) के मुताबिक, प्रदेश के पांच जिलों की आबोहवा सबसे प्रदूषित है. इसमें पहले नंबर पर गाजियाबाद का एक्यूआई 319 है. बाकी नोएडा 288, लखनऊ 314, मेरठ 251 और आगरा 232 एक्यूआई है.

रिपोर्ट के मुताबिक, राजधानी के तालकटोरा इंडस्ट्री सेंटर का एक्यूआई 360, सेंट्रल स्कूल का एक्यूआई 377, लालबाग का एक्यूआई 359, गोमतीनगर का एक्यूआई 262, भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी क्षेत्र का एक्यूआई 293 और कुकरैल पिकनिक स्पॉट-1 का एक्यूआई 226 है. राजधानी के यह क्षेत्र इंडस्ट्रियल एरिया में शामिल होते हैं, जहां पर कल कारखाने का काम अधिक होता है.

जानकारी देते चिकित्सक

वहीं सिविल अस्पताल के डॉ. एस देव के मुताबिक, दो-तीन दिनों में ओपीडी में लगभग 20-25 फीसद तक सांस रोगियों की संख्या में इजाफा हुआ है. सांस रोगियों को चाहिए कि वह तेल-मसाला युक्त भोजन न करें, बाहर का कोई भी सामान नहीं खाएं, फ्रीज में रखी हुई वस्तुएं और ठंडा पानी का सेवन न करें, गुनगुना पानी पिएं और गुनगुने पानी से ही नहाएं. अपने आप को ठंड से बचाएं. पूरे बाजू के कपड़े पहनें, घर से बाहर निकलने पर मास्क जरूर लगाएं. प्रदूषण से फेफड़े संक्रमित होने से सूजन आ जाती है, जिससे सांस लेने में तकलीफ व सीने में दर्द भी महसूस होता है. खांसी भी कई बार तेज आती है. कई बार खांसते हुए आंखों से पानी आ जाता है या गले से हल्का खून निकलने लगता है, इसलिए बाहर निकलते समय मास्क का इस्तेमाल जरूर करें.

उन्होंने बताया कि फिजिशियन की ओपीडी में लगभग 40 फीसदी मरीज सांस से पीड़ित आ रहे हैं. कुछ मरीज ऐसे आते हैं जो बताते हैं कि उन्हें सांस लेने में दिक्कत होती है. इस समय शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स भी बढ़ा हुआ है. ऐसे में कोशिश करें बहुत ज्यादा जरूरी है तो बाहर निकलें और सावधानी बरतें. इस दौरान उन्होंने कहा कि जितने भी वायरस इस समय हैं वह सभी फेफड़ों पर काफी बुरा प्रभाव छोड़ रहे हैं. ज्यादातर मरीज पोस्ट कोविड के आते हैं.


सिविल अस्पताल के वरिष्ठ चेस्ट फिजिशियन डॉ. एनबी सिंह ने कहा कि इस समय जो मरीज सांस की बीमारी से इलाज के लिए आ रहे हैं, कहीं ना कहीं पोस्ट कोविड से भी पीड़ित हैं. जो व्यक्ति एक बार कोरोना की चपेट में आ चुका है उस व्यक्ति की इम्युनिटी कमजोर हो गई है. वहीं वायरस का फेफड़ों पर भी बुरा प्रभाव पड़ा है. लंबे समय तक सर्दी जुखाम बने रहने के कारण से भी सांस लेने में दिक्कत होती है. इसके अलावा प्रदूषण भी मुख्य कारक में शामिल है.

यह भी पढ़ें : लखनऊ IMA की अध्यक्ष बनीं डॉ. विनीता मित्तल

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.