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लखनऊः दुनिया की सबसे खतरनाक बीमारियों में तीसरे नंबर पर है सीओपीडी - chronic obstructive pulmonary disease

वायु प्रदूषण की वजह से फेफड़ों से जुड़ी बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं और उन्हीं में से एक है सीओपीडी क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज. यह बीमारी अस्थमा से भी ज्यादा खतरनाक है, लिहाजा लोगों के बीच जागरुकता बढ़ाने की जरूरत है.

डॉ वेदप्रकाश
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Published : Nov 21, 2019, 2:37 PM IST

लखनऊः लगातार बढ़ते प्रदूषण और बदलती जीवन शैली से तमाम ऐसी बीमारियां हमारे शरीर में घर कर रही हैं. जिनके लिए दवाइयां भी बेअसर साबित होती हैं. इन्हीं में से एक बीमारी का नाम है सीओपीडी. इस बीमारी से दुनिया भर में 70 लाख लोगों की हर साल मौत हो जा रही हैं. सीओपीडी से बचने के लिए किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के पलमोनरी एवं क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग में एक आयोजन किया गया.

जानकारी देते डॉ. वेदप्रकाश.
डॉ वेदप्रकाश ने बताया कि सीओपीडी की बीमारी दुनिया में तीसरी सबसे खतरनाक बीमारी है. सीओपीडी होने का सबसे प्रमुख कारण पर्यावरण प्रदूषण के तहत आने वाले वायु प्रदूषण का है. वायु प्रदूषण पूरे विश्व की सबसे भीषण समस्या बन गई है. इसकी वजह से हर साल लगभग 70 लाख लोगों की मृत्यु हो जाती हैं. हर 10 में से नौ लोग प्रदूषित वायु में रहते हैं. पूरी दुनिया में लगभग 251 मिलियन लोग सीओपीडी के मरीज हैं. जिनमें से हर साल 31 लाख लोगों की मृत्यु सीओपीडी की वजह से होती है.

29% तक बढ़े सीओपीडी के मरीज
सीओपीडी कोई बीमारी नहीं है. सीओपीडी के तहत कई ऐसी बीमारियां होती हैं, जो वायु प्रदूषण की वजह से शरीर में घर कर जाती हैं जैसे कि एमफाईसीमा, क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस इत्यादि. डॉ वेद ने बताया कि सीओपीडी दुनिया भर में मृत्यु का तीसरा सबसे बड़ा कारण है. अगर भारत की बात की जाए तो भारत में 4.2% लोग सीओपीडी से ग्रसित हैं. अगर आंकड़ों की बात की जाए तो 1990 से लेकर 2016 तक के बीच सीओपीडी के मरीजों में 29% तक की बढ़ोतरी देखने को मिली है.

सांस संबंधी बीमारी में ले डॉक्टर से परामर्श
डॉ वेद बताते हैं कि यदि सांस संबंधी किसी भी तरह की बीमारी लंबे समय तक चले तो डॉक्टर को जरूर परामर्श करना चाहिए. इसके अलावा यदि किसी व्यक्ति को लंबे समय तक अस्थमा की परेशानी हो, तो वह भी सीओपीडी का कारण हो सकता है. एक खास बात यह है कि बुजुर्गों में होने वाली यह बीमारी अब वयस्कों में भी काफी संख्या में पाई जाने लगी है. जिसका इलाज समय पर होना बेहद जरूरी है.

लखनऊः लगातार बढ़ते प्रदूषण और बदलती जीवन शैली से तमाम ऐसी बीमारियां हमारे शरीर में घर कर रही हैं. जिनके लिए दवाइयां भी बेअसर साबित होती हैं. इन्हीं में से एक बीमारी का नाम है सीओपीडी. इस बीमारी से दुनिया भर में 70 लाख लोगों की हर साल मौत हो जा रही हैं. सीओपीडी से बचने के लिए किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के पलमोनरी एवं क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग में एक आयोजन किया गया.

जानकारी देते डॉ. वेदप्रकाश.
डॉ वेदप्रकाश ने बताया कि सीओपीडी की बीमारी दुनिया में तीसरी सबसे खतरनाक बीमारी है. सीओपीडी होने का सबसे प्रमुख कारण पर्यावरण प्रदूषण के तहत आने वाले वायु प्रदूषण का है. वायु प्रदूषण पूरे विश्व की सबसे भीषण समस्या बन गई है. इसकी वजह से हर साल लगभग 70 लाख लोगों की मृत्यु हो जाती हैं. हर 10 में से नौ लोग प्रदूषित वायु में रहते हैं. पूरी दुनिया में लगभग 251 मिलियन लोग सीओपीडी के मरीज हैं. जिनमें से हर साल 31 लाख लोगों की मृत्यु सीओपीडी की वजह से होती है.

29% तक बढ़े सीओपीडी के मरीज
सीओपीडी कोई बीमारी नहीं है. सीओपीडी के तहत कई ऐसी बीमारियां होती हैं, जो वायु प्रदूषण की वजह से शरीर में घर कर जाती हैं जैसे कि एमफाईसीमा, क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस इत्यादि. डॉ वेद ने बताया कि सीओपीडी दुनिया भर में मृत्यु का तीसरा सबसे बड़ा कारण है. अगर भारत की बात की जाए तो भारत में 4.2% लोग सीओपीडी से ग्रसित हैं. अगर आंकड़ों की बात की जाए तो 1990 से लेकर 2016 तक के बीच सीओपीडी के मरीजों में 29% तक की बढ़ोतरी देखने को मिली है.

सांस संबंधी बीमारी में ले डॉक्टर से परामर्श
डॉ वेद बताते हैं कि यदि सांस संबंधी किसी भी तरह की बीमारी लंबे समय तक चले तो डॉक्टर को जरूर परामर्श करना चाहिए. इसके अलावा यदि किसी व्यक्ति को लंबे समय तक अस्थमा की परेशानी हो, तो वह भी सीओपीडी का कारण हो सकता है. एक खास बात यह है कि बुजुर्गों में होने वाली यह बीमारी अब वयस्कों में भी काफी संख्या में पाई जाने लगी है. जिसका इलाज समय पर होना बेहद जरूरी है.

Intro:लखनऊ। लगातार बढ़ते प्रदूषण और बदलती जीवन शैली से तमाम ऐसी बीमारियां हमारे शरीर में घर कर रही हैं जिनके लिए दवाइयां भी बेअसर साबित होती हैं। इन्हीं में से एक बीमारी का नाम है सीओपीडी इस बीमारी से दुनिया भर में 70 लाख लोग हर साल मौत का ग्रास बन जाते हैं। सीओपीडी से बचने और उसके हो जाने पर अपना ख्याल रखने के संबंध में किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी पलमोनरी एवं क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग में एक आयोजन किया गया।


Body:वीओ1 किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के पलमोनरी एवं क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ वेदप्रकाश ने बताया कि सीओपीडी की बीमारी दुनिया में तीसरी सबसे खतरनाक बीमारी है। सीओपीडी होने का सबसे प्रमुख कारण पर्यावरण प्रदूषण के तहत आने वाले वायु प्रदूषण का है। वायु प्रदूषण पूरे विश्व की सबसे भीषण समस्या बन गई है। इसकी वजह से हर साल लगभग 70 लाख लोग मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं। यहां तक कि हर 10 में से नौ लोग प्रदूषित वायु में रहते हैं। डॉ वेद ने बताया कि सीओपीडी कोई बीमारी नहीं है। सीओपीडी के तहत कई ऐसी बीमारियां होती हैं जो वायु प्रदूषण की वजह से शरीर में घर कर जाती हैं जैसे कि एमफाईसीमा, क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस इत्यादि। डॉ वेद ने बताया कि सीओपीडी दुनिया भर में मृत्यु का तीसरा सबसे बड़ा कारण है। पूरी दुनिया में लगभग 251 मिलियन लोग सीओपीडी के मरीज हैं जिनमें से हर साल 3100000 लोगों की मृत्यु सीओपीडी की वजह से होती है। अगर भारत की बात की जाए तो भारत में 4.2% लोग सीओपीडी से ग्रसित हैं। अगर आंकड़ों की बात की जाए तो 1990 से लेकर 2016 तक के बीच सीओपीडी के मरीजों में 29% तक की बढ़ोतरी पाई गई है।


Conclusion:डॉ वेद बताते हैं कि यदि सांस संबंधी किसी भी तरह की बीमारी लंबे समय तक चले तो डॉक्टर को जरूर परामर्श करना चाहिए। इसके अलावा यदि किसी व्यक्ति को लंबे समय तक अस्थमा की परेशानी हो तो वह भी सीओपीडी का कारण हो सकता है। एक खास बात यह है कि बुजुर्गों में होने वाली यह बीमारी अब वयस्कों में भी काफी संख्या में पाई जाने लगी है जिसका इलाज समय पर होना बेहद जरूरी है। बाइट- डॉ वेद प्रकाश, विभागाध्यक्ष, पलमोनरी एवं क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग केजीएमयू रामांशी मिश्रा
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