लखनऊः उत्तर प्रदेश में पिछले कुछ सालों में बच्चों के साथ होने अपराधों में लगातार वृद्धि हो रही है. प्रदेश के हर जिले से बच्चा चोरा और उनकी हत्या की छोटी-बड़ी लगभग हर दिन घटनाएं देखने को मिल जाती हैं. मेरठ, बिजनौर, कानपुर देहात, लखीमपुर खीरी, अलीगढ़, जालौन, हमीरपुर, कुशीनगर और उन्नाव में बच्चों से संबंधित घटनाएं होती आ रही है.
क्या कहते हैं आंकडे़
एक आरटीआई के तहत राज्य क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो 2017 की रिपोर्ट में बताया कि प्रत्येक सप्ताह 32 लड़कियां गायब हो जाती है. 75 जिलों के थानों में दर्ज रिपोर्ट के अनुसार 2017 में 1675 मामलों की रिपोर्ट दर्ज की गई हैं. वहीं 2018 के पहले तीन महीने में 435 मामले दर्ज किए गए.
5 से 15 साल तक के बच्चों के साथ हुईं ज्यादातर घटनाएं
एक अखबार के मुताबिक 21-12-2018 को एक रिपोर्ट छापी गई, जिसमें सुलतानपुर जिले में एक व्यापारी के दो बेटों को किसी ने अगवा कर लिया. आरोपियों ने फिरौती के 50 लाख रुपये न मिलने पर एक बच्चे की हत्या कर शव को फेंक दिया.
वहीं गाजियाबाद में एक 12 साल के बच्चे को 5 लोगों के गैंग ने अगवा कर 10 लाख फिरौती के रूप मांगे थे.
तमाम दावों के बाद योगी सरकार के प्रदेश में अपराध तो नहीं रुके, लेकिन एक नए किस्म के अपराध ने और धावा बोल दिया. हर कोई आतंकित है, घर के बाहर खेलते हुए बच्चे गायब हो जा रहे हैं. स्कूल जाते बच्चे स्कूल नहीं पहुंच रहे. स्कूल से लौटते वक्त उनके घर लौटने की भी कोई गारंटी नहीं है.