लखनऊ: देश में मासूमों के प्रति लगातार अपराध बढ़ते ही जा रहे हैं. बच्चों के प्रति अपराध में हो रही बढ़ोतरी को कंट्रोल करने में योगी सरकार और पुलिस पूरी तरह से नाकाम साबित हो रही है. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के जो आंकड़े सामने आए हैं वे काफी चौंकाने वाले हैं.
बच्चों के अपराध के मामले में यूपी सबसे आगे
देशभर में उत्तर प्रदेश बच्चों के प्रति हो रहे अपराध के मामले में अन्य तमाम राज्यों से काफी आगे है. सरकार और पुलिस के लिए चिंता का सबब तो है ही समाज को भी कोई खुश करने वाली बात नहीं है. बच्चों से जुड़ी संस्थाओं के जिम्मेदारों का कहना है कि सरकार को बच्चों के प्रति बढ़ रहे अपराध को रोकने के लिए नई नीतियां बनानी होंगी. शिक्षा व्यवस्था दुरुस्त करनी होगी और उनकी देखभाल के लिए कदम उठाने होंगे, तब जाकर कहीं ऐसे अपराधों पर रोकथाम लग सकती है.
प्रत्येक वर्ष बढ़ते है अपराध के मामले
एनसीआरबी ने अपराध के जो आंकड़े जारी किए हैं उनमें क्राईम अगेंस्ट चिल्ड्रन के 2016 से लेकर 2018 तक के आंकड़े काफी चौंकाते हैं. साल दर साल बच्चों के प्रति अपराध के मामले बढ़ते ही गए हैं. 29 राज्य और सात संघ शासित प्रदेशों का नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो ने बच्चों के प्रति अपराध का जो आंकड़ा जारी किया है, उन सभी राज्यों में अकेले उत्तर प्रदेश में ही 22.5 फीसदी बच्चों के प्रति अपराध के आंकड़े सामने आए हैं. उत्तर प्रदेश में जहां 2016 में 16079, वर्ष 2017 में बढ़कर 19145 और 2018 में उसी रफ्तार से आगे बढ़ते हुए 19936 मामले दर्ज हुए हैं. देश में उत्तर प्रदेश का 2018 का स्टेट शेयर 14.1 फीसद है.
सरकार को बच्चों के लिए बनानी चाहिए नीतियां
वहीं राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पूजा शुक्ला का कहना है कि जिनके बच्चे नहीं है वह बच्चों के ऊपर काम क्या करेंगे. वर्तमान समय में सरकार में बच्चों के लिए कोई नीति नहीं बन रही है. जो बच्चे स्कूल में पढ़ने जा रहे हैं उनको खाना नहीं मिल रहा है, उन्हें नमक रोटी दी जा रही है. उनके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है और स्वेटर बांटकर मुख्यमंत्री वापस ले रहे हैं.
बात अगर क्राइम की करे तो जब क्राइम करने वालों का समर्थन करने वाले सत्ता में काबिज रहेंगे तब तक इन बलात्कारियों दंगाइयों के मनोबल बढ़े रहेंगे. पूजा शुक्ला का कहना है कि बच्चों के लिए नीतियां बनाई जाएं और अच्छी स्कूलिंग दी जाए और उनके अंदर जागरूकता बढ़ाई जाए.
बच्चों के देना चाहिए अच्छे-बुरे का ज्ञान
कुछ संस्थाएं ऐसे है जो कि वह गुड टच बैड टच करके चलाते हैं, जिसमें बच्चों को यह ज्ञान रहता है कि किस तरह का टच अच्छा है किस तरह का टच बुरा होता है. उनकी शिक्षा को जिस तरह से बर्बाद किया जा रहा है, उनको अगर बेहतर शिक्षा दें, बेहतर माहौल दे सकें तो क्राइम कम हो सकेगा.
समाज और सरकार को मिलकर करना होगा कार्य
बच्चों के प्रति हिंसा रोकने के लिए सरकार और समाज दोनों को मिलकर काम करना पड़ेगा. हम लोग समाज में देखते हैं कि बच्चों को स्कूल नहीं भेजा जाता. अब सरकारी स्कूल चल रहे हैं, लेकिन वह भगवान भरोसे चल रहे हैं. उनमें बच्चों को स्कूल में होना जरूरी है. अगर बच्चा जितने टाइम स्कूल के बाहर रहेगा उसके साथ अपराध होना या उसका असुरक्षित होना लाजमी है. हमें यह देखना है कि बच्चे को ज्यादा से ज्यादा टाइम स्कूल में रखा जाए. बच्चे के साथ अभिभावकों को भी यह समझ होनी चाहिए कि उनका विचार उनकी समझ बढ़ाना बहुत आवश्यक है.
अभिवावकों को देना होगा ध्यान
आमतौर पर यह देखा गया है कि निचले तबके के जो लोग हैं जो कम पढ़े-लिखे लोग हैं वह अपने बच्चों को बच्चा समझकर नहीं रखते. अभिभावक को अपने बच्चे की जिम्मेदारी खुद लेना आवश्यक है. अगर बच्चे इधर-उधर घूमेंगे तो उनके साथ अपराध होगा ही. सड़कों पर कितने बच्चे भीख मांग रहे हैं और अभिभावक खुद ही भीख मंगवा रहे हैं. अभिभावक ऐसा करेंगे तो उनके लिए तो असुरक्षा का माहौल बनेगा ही. हम सबको मिलकर कोशिश करनी है कि इन सब बच्चों को सेफ्टी नेट में रखें, मोहल्ला, शहर और परिवार सेफ्टीनेट होता है. सरकार, एनजीओ, चाइल्डलाइन यह सेफ्टीनेट हैं. इस सेफ्टी नेट से बच्चों को निकलने ही नहीं देना चाहिए इसके बाद बच्चों के प्रति अपराध कम हो सकेंगे.
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो में दर्ज आंकड़े-
2016 | 98,344 |
2017 | 1,20,651 |
2018 | 1,32,899 |
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