लखनऊ : कर्मचारियों और कर्मचारी संगठनों की समस्याओं के निस्तारण को लेकर कई विभागों के अधिकारियों की तरफ से लापरवाही बरती जा रही है. इसको लेकर चीफ सेक्रेटरी दुर्गा शंकर मिश्र ने सख्त रुख अपनाया है. उन्होंने विभागों के स्तर पर कमर्चारियों की समस्याओं के निस्तारण को लेकर कार्ययोजना बनाने के दिशा निर्देश औऱ शासन स्तर पर बातचीत होने के बाद भी निस्तारण नहीं होने की दशा में जवाबदेही तय करने की बात कही है.
कर्मचारियों में बढ़ रही लापरवाही की प्रवृत्ति : दरअसल पिछले महीने राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जेएन तिवारी ने मुख्य सचिव से मुलाकात करके तमाम सरकारी विभागों में कार्यरत कर्मचारियों की वेतन, पदोन्नति, चिकित्सा भत्ता जैसी कई समस्याओं के निस्तारण पर हीलाहवाली आदि की शिकायत की थी. मुलाकात के दौरान उन्होंने कहा था कि चीफ सेक्रेटरी के स्तर पर दिशा निर्देश तो जारी हो जाते हैं, लेकिन विभागों के अपर मुख्य सचिव प्रमुख सचिव, सचिव कमिश्नर, जिलाधिकारी के स्तर पर कर्मचारियों की समस्याओं से संबंधित संगठन के मांग पत्र और कर्मचारियों की व्यक्तिगत समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया जाता है. इससे कर्मचारियों पर काम को लेकर लापरवाही की प्रवृत्ति बनती है. ऐसे में जरूरी है कि शासन द्वारा जारी शासनादेश आदि के क्रम में कर्मचारियों की समस्याओं का निस्तारण प्राथमिकता से किया जाए. चीफ सेक्रेटरी के स्तर पर नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग के स्तर पर जारी दिशा निर्देशों के बावजूद भी समस्याओं का निस्तारण नहीं हो पा रहा है.
कमर्चारियों की समस्याएं | |
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नियमित समीक्षा बैठक कर समस्याओं का हो निराकरण : चीफ सेक्रेटरी दुर्गा शंकर मिश्र ने सभी विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों अपर मुख्य सचिव प्रमुख सचिव सचिव कमिश्नर विभागाध्यक्ष व जिलाधिकारी को पत्र भेज कर सख्त दिशा निर्देश जारी किए हैं. उन्होंने अपने पत्र में कहा है कि शासन स्तर पर उच्च अधिकारियों के समक्ष विभिन्न कर्मचारी संगठनों द्वारा समय-समय पर सेवा संबंधी प्रकरण के मांग पत्र प्राप्त होते रहते हैं. जिससे यह स्पष्ट होता है कि कर्मचारी संगठनों की मांगों पर विभागाध्यक्ष स्तर पर समाधान व अनुश्रवण की कार्रवाई नहीं हो पा रही है. विभिन्न कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधि मुख्य सचिव एवं अपर मुख्य सचिव कार्मिक विभाग से सेवा संबंधी समस्याओं के समाधान हेतु लगातार संपर्क करते हैं. ऐसे प्रकरण जिनका समाधान विभाग अध्यक्ष या प्रशासकीय विभाग के स्तर पर किया जा सकता है. महीने में के बार नियमित समीक्षा बैठक कर निराकरण कराया जाना अति आवश्यक है.
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