लखनऊ: अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस के अवसर पर ईटीवी भारत ने वन विभाग के मुख्य वन संरक्षक मुकेश कुमार से बात की. उन्होंने यह समझने की कोशिश की कि जैव विविधता का किस प्रकार से संरक्षण किया जा सकता है. समृद्ध जैव विविधता हमारे अस्तित्व का कितना बड़ा आधार है. ऐसी स्थिति में हमें इसके संरक्षण के लिए काम करना होगा. किस प्रकार से जैव विविधता के संरक्षण का काम और प्रकृति को बचाने का काम किया जा सकता है.
लॉकडाउन की वजह से एक तरफ जैव विविधता को काफी संजीवनी मिली. प्रकृति का काफी संरक्षण हुआ. पर्यावरण में प्रदूषण कम हुआ. ऐसी स्थिति में लॉकडाउन के जब धीरे-धीरे लोगों को छूट में निजात मिल रही हैं और लोग अपने घरों से बाहर निकल रहे हैं. दिनचर्या पहले की तरह हो रही है तो एक बार फिर जैव विविधता के संरक्षण की बड़ी आवश्यकता होगी. यह चुनौती भी होगी कि किस प्रकार से काम करके जैव विविधता और प्रकृति का संरक्षण किया जाए.
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इस साल उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस को हल इन नेचर के रूप में लिया है. इसका मतलब हुआ कि हमारी जो भी समस्याएं हैं. वह प्रदुषण से संबंधित है. इन सब का सलूशन प्रकृति में ही संभव है. इसलिए प्रकृति के साथ संतुलन बनाकर हमें काम करना होगा. प्रकृति का संरक्षण करके ही हम समृद्ध जैव विविधता के आधार पर अपना अस्तित्व बचा पाएंगे. हमें सभी प्रकार की समस्याओं का समाधान नेचर में ही ढूंढना होगा. अगर वायु प्रदुषण की बात करें तो टेक्नोलॉजी के आधार पर हम कार्बन को कम करने के लिए काम करते हैं तो यूएनओ ने तो इसे इस टेक्नोलॉजी को ठीक कहा है, लेकिन उनका यह भी कहना है कि इसका सलूशन हमें नेचर में ही ढूंढना होगा. नेचर में इसका सलूशन आसपास के क्षेत्र को ग्रीन बेल्ट के रूप में बढ़ावा देना होगा, जिससे वायु प्रदुषण वहीं पर ही समाप्त हो जाए. नेचर के माध्यम से हमें इन समस्याओं को समाप्त करना होगा.
हमारे आसपास की जितनी ग्रीन बेल्ट है. उसके अनुसार ही वह उत्सर्जन को सहने की क्षमता रखती है. हमें अपने आसपास के ग्रीन बेल्ट को और अधिक बढ़ाना होगा. हमारे अपनी सारी समस्याओं का समाधान प्रकृति में ही है. हमें प्रकृति में प्राकृतिक रूप से काम करना होगा. प्रकृति के नियमों का पालन करते हुए हमें अपनी जीवनशैली को बेहतर करना होगा. पेड़-पौधे, पशु-पक्षियों के साथ हमें संतुलन बनाकर काम करना होगा और इसी प्रकार से काम करने से पशु-पक्षियों और पेड़-पौधे को संरक्षण देते हुए हम अपना भी संरक्षण कर पाएंगे.