लखनऊ: अयोध्या के विवादित ढांचा विध्वंस मामले में शुक्रवार को सीबीआई की विशेष अदालत ने पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह पर आरोप तय कर दिए हैं. कोर्ट ने कल्याण सिंह पर भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 153ए, 153बी, 295, 295ए व धारा 505 में आरोप तय किया है. कोर्ट ने कल्याण सिंह की पत्रावली अलग करने व उनके खिलाफ अभियोजन पक्ष को अपना गवाह पेश करने का भी आदेश दिया है.
बता दें, शुक्रवार को लगभग 12 बजे विशेष अदालत के समक्ष कल्याण सिंह हाजिर हुए व जमानत की अर्जी दी. विशेष जज सुरेंद्र कुमार यादव ने उन्हें न्यायिक हिरासत में लेने का आदेश देने के पश्चात उनकी जमानत अर्जी मंजूर कर ली. कोर्ट ने उन्हें दो लाख का निजी मुचलका दाखिल करने पर रिहा करने का आदेश दिया. विशेष जज ने अगले आदेश तक कल्याण सिंह को व्यक्तिगत हाजिरी से छूट भी प्रदान की है.
इस मामले में 30 मई 2017 को विशेष अदालत ने पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी समेत मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, विनय कटियार व विष्णु हरि डालमिया पर आईपीसी की धारा 120 बी (षडयंत्र रचने) के तहत आरोप तय किया था. जिसके बाद इन सभी के खिलाफ आईपीसी की धारा 147, 149, 153ए, 153बी व 505 (1) बी के साथ ही आईपीसी की धारा 120 बी के तहत भी मुकदमे का विचारण शुरु हो गया.
वहीं महंत नृत्य गोपाल दास, महंत राम विलास वेदांती, बैकुंठ लाल शर्मा उर्फ प्रेमजी, चंपत राय बंसल, धर्मदास व डॉ. सतीश प्रधान के खिलाफ 147, 149, 153ए, 153बी, 295, 295ए व 505 (1)बी के साथ ही आईपीसी की धारा 120 बी के तहत आरोप तय हुआ था. राज्यपाल होने के नाते कल्याण सिंह को समन नहीं किया जा सका था.
9 सितंबर, 2019 को सीबीआई ने विशेष अदालत से इस मामले में कल्याण सिंह को तलब करने की मांग की थी. सीबीआई का कहना था कि कल्याण सिंह अब संवैधानिक पद पर नहीं हैं, लिहाजा उन्हें इस मामले में बतौर अभियुक्त समन जारी किया जाए. इस पर विशेष अदालत ने सीबीआई को इस संदर्भ में प्रमाणित साक्ष्य पेश करने का आदेश दिया था, लेकिन तीन तारीखों के बाद भी सीबीआई जब प्रमाणित साक्ष्य पेश नहीं कर सकी तो 21 सितंबर को विशेष जज सुरेंद्र कुमार यादव ने कल्याण सिंह के राज्यपाल पद पर नहीं रहने का स्वतः संज्ञान लेते हुए बतौर अभियुक्त उनके विरुद्ध समन जारी करने का आदेश दिया था. साथ ही उनकी पेशी के लिए 27 सितंबर की तारीख तय की थी.
क्या हुआ था 6 दिसंबर 1992
6 दिसंबर, 1992 को विवादित ढांचा ढहाए जाने के मामले में कुल 49 लोगों पर एफआईआर दर्ज हुई थी. एक एफआईआर फैजाबाद के थाना राम जन्मभूमि में एसओ प्रियवंदा नाथ शुक्ला जबकि दूसरी एसआई गंगा प्रसाद तिवारी ने दर्ज कराई थी. शेष 47 एफआईआर अलग-अलग तारीखों पर अलग-अलग पत्रकारों व फोटोग्राफरों ने भी दर्ज कराए थे.
5 अक्टूबर 1993 को सीबीआई ने 49 अभियुक्तों के खिलाफ दाखिल किया था आरोप पत्र
5 अक्टूबर, 1993 को सीबीआई ने जांच के बाद इस मामले में कुल 49 अभियुक्तों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था. इनमें से 16 अभियुक्तों की मृत्यु हो चुकी है. शुक्रवार को कल्याण सिंह पर भी आरोप तय होने के बाद अब इस मामले में 33 अभियुक्तों के खिलाफ दिन-प्रतिदिन सुनवाई होगी. अभियोजन की ओर से अब तक करीब 336 गवाह पेश किए जा चुके हैं.
उल्लेखनीय है कि 19 अप्रैल 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई दो साल में पूरा करने का आदेश दिया था. हालांकि अभी हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने यह अवधि नौ माह के लिए और बढ़ा दी है.