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नवरात्रि विशेष: लखनऊ में गोमती के तट पर मां चंद्रिका देवी मंदिर में उमड़ रही है श्रद्धालुओं भीड़

लखनऊ में गोमती नदी के किनारे स्थित मां चंद्रिका देवी मंदिर में इन दिनों बड़ी संख्या में श्रद्धालु उमड़ रहे हैं. इस स्थान को राज्य के पर्यटन स्थलों की सूची में भी शामिल किया गया है. पौराणिक महत्व रखने वाला तीर्थ स्थल सामाजिक सद्भाव के लिए भी विख्यात है. मंदिर और मेले से संबंधित व्यवस्थाएं हिंदू-मुस्लिम और दलित समुदाय के लोग आपस में मिलकर करते हैं.

मां चंद्रिका देवी मंदिर
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Published : Apr 9, 2019, 10:29 PM IST

लखनऊ: आदि गंगा कही जाने वाली गोमती नदी के तट पर स्थित पौराणिक तीर्थस्थल मां चंद्रिका देवी के पावन धाम की ख्याति दिनों-दिन बढ़ती जा रही है. सूबे के पर्यटन स्थलों में शुमार इस पवित्र स्थान पर अमावस्या और नवरात्रि के दिनों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रहती है. इन दिनों यह स्थान श्रद्धालुओं से गुलजार है.

राजधानी मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूरी बख्शी का तालाब थाना क्षेत्र में गोमती नदी के तट पर मां चंद्रिका देवी का पौराणिक तीर्थ है. इन दिनों नवरात्रि का पर्व चल रहा है इसलिए सुबह की आरती से पहले मां भगवती का दरबार फूलों से सजाया जाता है. आरती के साथ ही मंदिर में दर्शन और पूजा-अर्चना के लिये श्रद्धालुओं की लंबी कतार लग जाती है. मंदिर में शाम को आठ बजे भव्य आरती का आयोजन होता है .

मां चंद्रिका देवी मंदिर
इस स्थान पर सामाजिक समरसता की झलक भी देखने को मिलती है. यहां यज्ञशाला में हवन-पूजन ब्राह्मणों द्वारा कराया जाता है जबकि मंदिर में प्रसाद चढ़ाने का काम माली और पिछड़ी जाति के लोगों करते हैं. मंदिर के पश्चिम में स्थित पछुआ बाबा के दर्शन कराने का जिम्मा अनुसूचित जाति के लोगों के पास है. इसके अलावा यहां मुस्लिम समुदाय के नाई मुंडन का कार्य करते हैं. मेला विकास समिति के अध्यक्ष अखिलेश सिंह इस स्थल का पौराणिक महत्व बताते हैं. वह कहते हैं, "त्रेता युग में लक्ष्मण के पुत्र चंद्रकेतु, अश्वमेध यज्ञ के घोड़े को लेकर जब कटकबासा के घनघोर जंगल पहुंचे तो अमावस्या की अर्धरात्रि में वह विचलित हो उठे. तब उन्होंने अपनी माता उर्मिला द्वारा बताये गये मंत्रों का स्मरण किया. मंत्रों के उच्चारण मात्र से अमावस की घनघोर काली रात में चंद्रघटा छा गई और उनका भय समाप्त हो गया." कटकबासा को आजकल कठवारा के नाम से जाना जाता है. स्कंद पुराण में यहां नौ देवियों के निवास का उल्लेख मिलता है. मां चंद्रिका का मंदिर ईशान कोण में स्थित है जो महीसागर संगम तीर्थ सुधन्वा कुंड यह तीर्थ का विशेष प्रमाण है. यहां प्रत्येक माह की अमावस्या पर लगने वाले मेले का इतिहास भी करीब ढाई सौ वर्ष पुराना है. इस पर्यटन स्थल को और विकसित किये जाने के लिये कठवारा ग्राम पंचायत द्वारा 24 हेक्टेयर ग्राम सभा की जमीन पर्यटन विभाग को दी जा चुकी है.

लखनऊ: आदि गंगा कही जाने वाली गोमती नदी के तट पर स्थित पौराणिक तीर्थस्थल मां चंद्रिका देवी के पावन धाम की ख्याति दिनों-दिन बढ़ती जा रही है. सूबे के पर्यटन स्थलों में शुमार इस पवित्र स्थान पर अमावस्या और नवरात्रि के दिनों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रहती है. इन दिनों यह स्थान श्रद्धालुओं से गुलजार है.

राजधानी मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूरी बख्शी का तालाब थाना क्षेत्र में गोमती नदी के तट पर मां चंद्रिका देवी का पौराणिक तीर्थ है. इन दिनों नवरात्रि का पर्व चल रहा है इसलिए सुबह की आरती से पहले मां भगवती का दरबार फूलों से सजाया जाता है. आरती के साथ ही मंदिर में दर्शन और पूजा-अर्चना के लिये श्रद्धालुओं की लंबी कतार लग जाती है. मंदिर में शाम को आठ बजे भव्य आरती का आयोजन होता है .

मां चंद्रिका देवी मंदिर
इस स्थान पर सामाजिक समरसता की झलक भी देखने को मिलती है. यहां यज्ञशाला में हवन-पूजन ब्राह्मणों द्वारा कराया जाता है जबकि मंदिर में प्रसाद चढ़ाने का काम माली और पिछड़ी जाति के लोगों करते हैं. मंदिर के पश्चिम में स्थित पछुआ बाबा के दर्शन कराने का जिम्मा अनुसूचित जाति के लोगों के पास है. इसके अलावा यहां मुस्लिम समुदाय के नाई मुंडन का कार्य करते हैं. मेला विकास समिति के अध्यक्ष अखिलेश सिंह इस स्थल का पौराणिक महत्व बताते हैं. वह कहते हैं, "त्रेता युग में लक्ष्मण के पुत्र चंद्रकेतु, अश्वमेध यज्ञ के घोड़े को लेकर जब कटकबासा के घनघोर जंगल पहुंचे तो अमावस्या की अर्धरात्रि में वह विचलित हो उठे. तब उन्होंने अपनी माता उर्मिला द्वारा बताये गये मंत्रों का स्मरण किया. मंत्रों के उच्चारण मात्र से अमावस की घनघोर काली रात में चंद्रघटा छा गई और उनका भय समाप्त हो गया." कटकबासा को आजकल कठवारा के नाम से जाना जाता है. स्कंद पुराण में यहां नौ देवियों के निवास का उल्लेख मिलता है. मां चंद्रिका का मंदिर ईशान कोण में स्थित है जो महीसागर संगम तीर्थ सुधन्वा कुंड यह तीर्थ का विशेष प्रमाण है. यहां प्रत्येक माह की अमावस्या पर लगने वाले मेले का इतिहास भी करीब ढाई सौ वर्ष पुराना है. इस पर्यटन स्थल को और विकसित किये जाने के लिये कठवारा ग्राम पंचायत द्वारा 24 हेक्टेयर ग्राम सभा की जमीन पर्यटन विभाग को दी जा चुकी है.
Intro:लखनऊ/बख्शी का तालाब
आदि गंगा कही जाने वाली गोमती नदी के तट पर स्थित पौराणिक तीर्थ मां चंद्रिका देवी के पावन धाम की दिनों दिन ख्याति बढ़ती जा रही है।सूबे के पर्यटन स्थलों में शुमार इस तीर्थ पर अमावस्या और नवरात्र के अवसर पर जहां प्रदेश के कोने कोने से आने वाले श्रद्धालुओं की हजारों की संख्या में भीड़ बनी रहती है। वहीं युगों युगों गोमती नदी के तट पर बसे मां भगवती के इस पावन धाम में भक्तों की आस्था की बयार बह रही है।
Body:राजधानी मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर बख्शी का तालाब थाना क्षेत्र में गोमती नदी के तट पर मां चंद्रिका देवी का पौराणिक तीर्थ है। नवरात्र के इन दिनों में सुबह छह बजे की आरती होने से पहले मां भगवती का दरबार फूलों से सजाया जाता है। सुबह की आरती होने के साथ ही माता रानी के दर्शनों पूजा अर्चना के लिये श्रद्धालुओं की कतारें लगनी शुरू हो जाती हैं। मंदिर में शाम को आठ बजे भव्य आरती का आयोजन होता है और रात करीब दस बजे तक नवरात्र में भक्तों की भीड़ बनी रहती है। इस पौराणिक तीर्थ पर सामाजिक समरता की झलक भी देखने को मिलती है।यहां यज्ञशाला में हवन पूजन ब्राह्मणों द्वारा कराया जाता है जबकि मंदिर में प्रसाद चढ़ाने का काम माली पिछड़ी जाति के लोगों द्वारा किया जाता है। मंदिर के पश्चिम में स्थित पछुआ बाबा के दर्शन अनुसूचित जाति के लोगों द्वारा कराया जाता है इसके अलावा मंदिर के पश्चिम कुछ दूरी पर मुंडन मुस्लिम समुदाय के नाइयों द्वारा किया जाता है। मेला विकास समिति के अध्यक्ष अखिलेश सिंह ने बताया तीर्थ अत्यंत पौराणिंक है। त्रेता युग में लक्ष्मण के पुत्र चंद्रकेतु अश्वमेध यज्ञ के अश्व को लेकर जब कटकबासा के घनघोर जंगल पहुंचे तो अमावस्या की अर्धरात्रि में वह विचलित हो उठे तब उन्होंने अपनी माता उर्मिला द्वारा बताये गये मंत्रों का स्मरण किया मंत्रों के उच्चारण मात्र से अमावस की घनघोर काली रात में चंद्रधटा छा गई।और उनका भय समाप्त हो गया कालांतर में कटकबासा को कालांतर में कठवारा के नाम से जाना जाने लगा है । सकंद पुराण में इस बात का उल्लेख मिलता है कि नारद जी द्वारा बुलाई गई नौ दुर्गा यहां निवास करती हैं। मां चंद्रिका का मंदिर ईशान कोण में स्थित है। जो महीसागर संगम तीर्थ सुधन्वा कुंड यह तीर्थ का विशेष प्रमाण है। यहां प्रत्येक माह की अमावस्या के अवसर पर लगने वाले मेले का इतिहास भी करीब ढाई सौ वर्ष पुराना है। इस पर्यटन स्थल को और विकसित किये जाने के लिये कठवारा ग्राम पंचायत द्वारा 24 हेक्टेयर ग्राम सभा की जमीन पर्यटन विभाग के नाम हस्तान्तरित की जा चुकी है।Conclusion:नीरज सिंह राठौर मोबाइल नंबर 9005958677,लखनऊ/बख्शी का तालाब
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