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बोरा घोटाला मामला -केंद्र अधिकारी की जमानत अर्जी को कोर्ट ने किया खारिज - Central officer bail application rejected

गेहूं भंडारण के लिए पुराने बोरे का उपयोग कर नए बोरे की धनराशि हड़पने के मामले में निरुद्ध अभियुक्त तत्कालीन क्रय केंद्र अधिकारी सुरेश चंद्र त्रिपाठी की जमानत अर्जी खारिज कर दी है. सभी संस्थाओं को नई बोरियां उपलब्ध कराई गई थीं और क्रय संस्थाओं द्वारा इन्ही नए बोरों में गेहूं खरीद करनी थीं.

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बोरा घोटाला मामला -केंद्र अधिकारी की जमानत अर्जी को कोर्ट ने किया खारिज
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Published : Feb 1, 2022, 11:00 PM IST

लखनऊ : भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विशेष जज लोकेश वरुण ने गेहूं भंडारण के लिए पुराने बोरे का उपयोग कर नए बोरे की धनराशि हड़पने के मामले में निरुद्ध अभियुक्त तत्कालीन क्रय केंद्र अधिकारी सुरेश चंद्र त्रिपाठी की जमानत अर्जी खारिज कर दी है. कोर्ट ने अभियुक्त के सरकारी अधिकारी रहते हुए किए गए इस अपराध को प्रथम दृष्टया गम्भीर करार दिया है.

लखीमपुर खीरी का यह मामला वर्ष 2004-05 का है. इस दौरान अभियुक्त खीरी के लाल्हापुर में उत्तर प्रदेश उपभोक्ता सहकारी संघ का क्रय केंद्र अधिकारी हुआ करता था. 20 दिसंबर, 2021 को अभियुक्त को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया था. सरकारी वकील एमके सिंह के मुताबिक शासन के 3 फरवरी 2005 के आदेश के क्रम में रबी विपड़न वर्ष 2004-2005 में गेहूं खरीद के लिए नए बोरों की जगह पुराने बोरों का प्रयोग करके धन का दुरूपयोग करने और गबन करने को लेकर आर्थिक अपराध अनुसंधान द्वारा जांच की गई.

इसे भी पढ़ेंः धोखाधड़ी के दो मामलों में शाइन सिटी के डायरेक्टर की जमानत अर्जी खारिज

कहा गया कि इस जांच में पता चला कि खाद्य और रसद विभाग द्वारा क्रय योजना के तहत सहकारी संघो कृषि और औद्योगिक निगम समेत अन्य संस्थाओं को को क्रय संस्था के रुप में नामित कर सभी संस्थाओं को नई बोरियां उपलब्ध कराई गई थीं और क्रय संस्थाओं द्वारा इन्ही नए बोरों में गेहूं खरीद करनी थीं. लखीमपुर खीरी के गोदाम का निरीक्षण किया गया तो पता चला कि गेहूं पुराने बोरों में रखा हुआ था. पाया गया कि गेहूं भंडारण के लिए करीब 10 लाख नए बोरे मुहैया कराए गए थे, जिसमें करीब 78 हजार बोरे पुराने थे, लेकिन अभिलेखों में इसे बी क्लास घोषित किया गया. इस मामले की एफआईआर कोतवाली लखीमपुर खीरी में दर्ज हुई थी. विवेचना के पश्चात विजिलेंस ने इस मामले में आरोप पत्र दाखिल किया.

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लखनऊ : भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विशेष जज लोकेश वरुण ने गेहूं भंडारण के लिए पुराने बोरे का उपयोग कर नए बोरे की धनराशि हड़पने के मामले में निरुद्ध अभियुक्त तत्कालीन क्रय केंद्र अधिकारी सुरेश चंद्र त्रिपाठी की जमानत अर्जी खारिज कर दी है. कोर्ट ने अभियुक्त के सरकारी अधिकारी रहते हुए किए गए इस अपराध को प्रथम दृष्टया गम्भीर करार दिया है.

लखीमपुर खीरी का यह मामला वर्ष 2004-05 का है. इस दौरान अभियुक्त खीरी के लाल्हापुर में उत्तर प्रदेश उपभोक्ता सहकारी संघ का क्रय केंद्र अधिकारी हुआ करता था. 20 दिसंबर, 2021 को अभियुक्त को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया था. सरकारी वकील एमके सिंह के मुताबिक शासन के 3 फरवरी 2005 के आदेश के क्रम में रबी विपड़न वर्ष 2004-2005 में गेहूं खरीद के लिए नए बोरों की जगह पुराने बोरों का प्रयोग करके धन का दुरूपयोग करने और गबन करने को लेकर आर्थिक अपराध अनुसंधान द्वारा जांच की गई.

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कहा गया कि इस जांच में पता चला कि खाद्य और रसद विभाग द्वारा क्रय योजना के तहत सहकारी संघो कृषि और औद्योगिक निगम समेत अन्य संस्थाओं को को क्रय संस्था के रुप में नामित कर सभी संस्थाओं को नई बोरियां उपलब्ध कराई गई थीं और क्रय संस्थाओं द्वारा इन्ही नए बोरों में गेहूं खरीद करनी थीं. लखीमपुर खीरी के गोदाम का निरीक्षण किया गया तो पता चला कि गेहूं पुराने बोरों में रखा हुआ था. पाया गया कि गेहूं भंडारण के लिए करीब 10 लाख नए बोरे मुहैया कराए गए थे, जिसमें करीब 78 हजार बोरे पुराने थे, लेकिन अभिलेखों में इसे बी क्लास घोषित किया गया. इस मामले की एफआईआर कोतवाली लखीमपुर खीरी में दर्ज हुई थी. विवेचना के पश्चात विजिलेंस ने इस मामले में आरोप पत्र दाखिल किया.

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