लखनऊ : सेंट्रल ड्रग एंड रिसर्च सेंटर (सीडीआरआई) के वैज्ञानिकों की टीम कोरोना से बचाव के लिए दवा बना रहे हैं. इस समय सीडीआरआई की कोरोना दवा के तीसरे फेज का ट्रायल चल रहा है. सीडीआरआई केे निदेशक प्रो. तपस के कुंडू ने बताया कि आने वाले एक सप्ताह में तीसरे फेज का ट्रायल पूरा हो जाएगा, जिसके बाद इसे अस्पतालों में इस्तेमाल के लिए भेजा जा सकेगा. कोरोना से बचाव के लिए वैज्ञानिकों ने वर्ष 2020 अप्रैल से ही दवा बनाने का काम शुरू कर दिया था. आठ महीने से क्लीनिकल ट्रायल चल रहा है. क्लीनिकल ट्रायल के लिए केजीएमयू, लोहिया और एरा के साथ बातचीत हो गई. इसके बाद यहां कोरोना मरीजों के ऊपर दवा का ट्रायल किया गया. जो कि असरदार साबित हुआ. कोरोना के अलावा सीडीआरआई में हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक से बचाव के लिए दवा बनाया है. साथ ही वैज्ञानिक अब डेल्टा प्लस को लेकर कर भी रिसर्च कर रहें हैं.
हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक से बचाएगी सीडीआरआई की दवा
हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक से लोगों को बचाने के लिए सीडीआरआई एक दवा तैयार कर रहा है. पहला पड़ाव पार करने के साथ ही क्लिनिकल ट्रायल के लिए मार्क लैबोरेटरीज लिमिटेड को दवा बनाने का लाइसेंस दिया जा चुका है. दावा है कि यह दवा खून के थक्के जमने से रोकने में कामयाब है. इतना ही नहीं हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक के दौरान दी जाने वाली दवाओं से खून अधिक पतला होने की समस्या होती है. यह दवा इससे भी निजात दिलाएगी. सीडीआरआई के निदेशक प्रो. तपस के कुंडू के मुताविक कोविड-19 से पैदा हुई जटिलताओं में इलाज में भी यह दवा वेहतर विकल्प साबित होगी.
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चल रहा क्लिनिकल ट्राइल
उन्होंने बताया कि मधुमेह मरीजों में हार्ट अटैक का खतरा अधिक रहता है. ऐसे में शुगर कंट्रोल करने के साथ यह हार्ट अटैक व ब्रेन स्ट्रोक में भी कंट्रोल करने में मददगार साबित होगी. इतना ही नहीं प्लेटलेट्स काउंट भी मेनटेन कर सकती है. दवा बेहद कम दामों पर डेढ़ साल में उपयोग करवाने का लक्ष्य तय किया गया है. जब तक दवा के नतीजे उत्साहवर्धक रहने के फेज-1 के क्लिनिकल परीक्षण की अनुमति दी गई है. सीडीआरआई के प्रवक्ता वैज्ञानिक डॉ. संजीव यादव के मार्क लेनोरेटरीज लिमिटेड के चेयरमैन प्रेम इस दवा को जल्द से जल्द उपलब्ध करवाने पूरा प्रयास करेंगे.
सीआरआई के बारें में केन्द्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान, सीडीआरआई या द सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट स्वतंत्रता के बाद देश में स्थापित सबसे बड़ी प्रयोगशालाओं में से एक है. यह संस्थान भारतीय विज्ञान एवं उद्योग अनुसंधान परिषद के संरक्षण में काम करने वाली 39 प्रयोगशालाओं में से एक है. इसका लखनऊ में औपचारिक उद्घाटन 17 फरवरी 1951 को भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के हाथों हुआ था.