ETV Bharat / state

UP Assembly Election 2022: पश्चिम UP में जाति समीकरण दिलाएगी भाजपा को जीत, CM योगी ने बनाई ये खास रणनीति !

सूबे के पश्चिमी क्षेत्र में जाट समुदाय की बहुलता का असर यहां की सियासत पर साफ देखने को मिलता है और यही कारण है कि हर पार्टी इस समुदाय के लोगों को अपने साथ करने को अभी से ही हाड़ तोड़ मेहनत के साथ ही जनसंपर्क के तरह-तरह के उपाय लगा रहे हैं. वहीं, लखीमपुर हिंसा की घटना के बाद से ही यहां के जाट किसान मौजूदा योगी सरकार से नाराज बताए जा रहे हैं. ऐसे में सीएम योगी ने जाट की काट को अब क्षेत्र की छोटी-छोटी जातियों के लोगों को अपने साथ करने को खास रणनीति बनाई है.

CM योगी ने बनाई ये खास रणनीति
CM योगी ने बनाई ये खास रणनीति
author img

By

Published : Oct 15, 2021, 9:53 AM IST

लखनऊ: सूबे के पश्चिमी क्षेत्र में जाट समुदाय की बहुलता का असर यहां की सियासत पर साफ देखने को मिलता है और यही कारण है कि हर पार्टी इस समुदाय के लोगों को अपने साथ करने को अभी से ही हाड़ तोड़ मेहनत के साथ ही जनसंपर्क के तरह-तरह के उपाय लगा रहे हैं. वहीं, लखीमपुर खीरी हिंसा की घटना के बाद से ही यहां के जाट किसान मौजूदा योगी सरकार से नाराज बताए जा रहे हैं. लेकिन स्थानीय सियासी जानकारों की मानें तो सीएम योगी एक चतुर शख्स होने के साथ ही जातिगत गणित की सियासत को साधने में माहिर हैं. यही कारण है कि उन्होंने जाट की काट को अब क्षेत्र की छोटी-छोटी जातियों के लोगों को अपने साथ करने को खास रणनीति बनाई है, जिस पर तेजी से काम शुरू कर दिया गया है.

हालांकि, पूर्व की बात करें तो साल 2013 के मुजफ्फरनगर दंगे के बाद भाजपा जाटों को अपने साथ जोड़ने में सफल रही थी, लेकिन लखीमपुर खीरी वाक्या के बाद से ही पश्चिम के जाट किसान सूबे की योगी सरकार से खासा नाराज बताए जा रहे हैं. लेकिन पीएम मोदी ने नाराज जाटों को मनाने और उन्हें अपने पाले में करने को अब राजा महेंद्र प्रताप सिंह का सहारा लिया है.

पीएम मोदी ने हाल ही में अलीगढ़ में राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर विश्वविद्यालय निर्माण को शिलान्यास किया है. ऐसे में माना जा रहा है कि पीएम के इस दाव का असर आगे देखने को मिलेगा और जाटों में भी फूट की स्थिति बन सकती है.

दरअसल, पश्चिम उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर की महापंचायत से किसान नेताओं ने यूपी के 2022 विधानसभा चुनाव में भाजपा को वोट से चोट करने की घोषषा की थी. किसानों की नाराजगी और जाट वोटों के काट की तलाश में जुटी भाजपा ने अब क्षेत्र की उन छोटी-छोटी जातियों को अपने साथ करने का काम शुरू किया है. जो भले ही संख्यात्मक दृष्टि से कम नजर आ रहे हो, लेकिन अगर सबको मिला दिया जाए तो फिर ये जाट पर भारी पड़ सकते हैं.

इसे भी पढ़ें - UP Assembly Election 2022: उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के लिए संकट बनी TMC, ममता ने कह दी ये बड़ी बात...

यही कारण है कि सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ इन जातियों के नेताओं को अधिक तरजीह दे रहे हैं, ताकि उन्हें अपने पाले में कर वोट बैंक की गणित को मजबूत किया जा सके.

धनगर और गुर्जर समाज को CM योगी का ये संदेश

भाजपा ने पश्चिम यूपी में ठाकुर, ब्राह्मण, त्यागी, वैश्य समाज के साथ-साथ ही धनगर और गुर्जर जैसी जातियों को भी अपने पक्ष में करने को जमीनी स्तर पर रणनीतियां बना रखी है. अपने पुराने फॉर्मूले के साथ ही कई जातियों के नेताओं को स्थानीय स्तर पर मोर्चे पर लगा दिया गया है.

वहीं, 2014-2019 के लोकसभा और 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने पूरी तरह से विपक्ष का यहां सफाया कर दिया था. लेकिन देखना दिलचस्प होगा कि क्या 2022 में भी यहां की जनता भाजपा का समर्थन करती है या नहीं.

किसान आंदोलन के कारण पश्चिम यूपी में भाजपा का समीकरण गड़बड़ता नजर आ रहा है. जाति की सियासत से परहेज का दावा करने वाली भाजपा अब खुलेआम जाति कार्ड खेलना शुरू कर दी है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहले अलीगढ़ में राजा महेन्द्र प्रताप सिंह के जाट समाज से होने की याद दिलाकर उनके नाम पर विश्वविद्यालय का शिलान्यास कर चुके हैं. दूसरी ओर गुर्जरों को साधने के लिए भी खास रणनीति के तहत उन्हें स्थानीय पार्टी नेतृत्व में अधिक शक्ति प्रदान की जा रही है.

धनगर समाज से योगी को उम्मीद

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुरादाबाद के ठाकुरद्वारा में 69 करोड़ की 30 परियोजनाओं का लोकार्पण कर धनगर समाज को साधने की कोशिश करने के साथ ही इस समाज की समस्या दूर करने को जल्द ही इन्हें प्रदेश में अनुसूचित जाति में शामिल किए जाने की बात कही है.

धनगर समाज यूपी के ओबीसी समुदाय में अति पिछड़ी जातियों में आता है, जिन्हें अलग-अलग इलाके में गड़रिया, बघेल, पाल और धनगर जातियों के नाम से भी जाना जाता है.

बृज, रुहेलखंड और बुंदेलखंड के जिलों में पाल जाति काफी अहम मानी जाती है, जबकि पश्चिम यूपी के मुरादाबाद, रामपुर, अमरोहा में धनगर समाज काफी संख्या में है. बदायूं से लेकर बरेली, आगरा, फिरोजाबाद, इटावा, हाथरस जैसे जिलों में ये लोग बघेल उपजाति के रूप में जाने जाते हैं.

इसके अलावा अवध के इलाके में फतेहपुर, रायबरेली, प्रतापगढ़ और बुंदेलखड के तमाम जिलों में 5 से 10 हजार की संख्या में हर एक सीट पर पाल वोट हैं.

धनगर समाज अनुसूचित जाति की मांग लंबे समय से कर रहा है और एसपी बघेल आगरा लोकसभा सुरक्षित सीट से जीतकर मोदी सरकार में मंत्री हैं, जिनके एससी होने को लेकर विवाद भी है. हालांकि, अब योगी ने धनगर समाज को एससी में जल्द शामिल होने का आश्वासन देकर बड़ा दांव चला है.

वहीं, सीएम ने बिजनौर में जहां मेडिकल कॉलेज का शिलान्यास किया तो नोएडा के दादरी के मिहिर भोज पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज में 9वीं सदी के शासक गुर्जर सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा का अनावरण किया. ऐसे में भाजपा गुर्जर समुदाय को साधने के लिए बड़ा दांव चल चुकी है.

क्योंकि पश्चिम यूपी में गुर्जर समुदाय के लोग काफी समय से सम्राट मिहिर भोज को अपना पूर्वज बताते रहे हैं और उन्हें अपना आदर्श मानते हैं.

पश्चिम यूपी में गुर्जर समुदाय के मतदाताओं की अच्छी खासी संख्या है, जो किसी भी दल का खेल बनाने व बिगाड़ सकते हैं. गाजियाबाद, नोएडा, बिजनौर, संभल, मेरठ, सहारनपुर, कैराना जिले की करीब दो दर्जन सीटों पर गुर्जर समुदाय निर्णायक की भूमिका में हैं, जहां 20 से 70 हजार के करीब इनका वोट है.

2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर पांच गुर्जर समुदाय के विधायक जीतकर आए थे. इनमें कद्दावर नेता अवतार सिंह भड़ाना, डॉ. सोमेंद्र तोमर, तेजपाल नागर, प्रदीप चौधरी और नंदकिशोर गुर्जर हैं, लेकिन अवतार भड़ाना अब भाजपा को छोड़ चुके हैं. वहीं, भाजपा ने अशोक कटियार को एमएलसी के साथ-साथ कैबिनेट में भी जगह दे रखी है.

लखनऊ: सूबे के पश्चिमी क्षेत्र में जाट समुदाय की बहुलता का असर यहां की सियासत पर साफ देखने को मिलता है और यही कारण है कि हर पार्टी इस समुदाय के लोगों को अपने साथ करने को अभी से ही हाड़ तोड़ मेहनत के साथ ही जनसंपर्क के तरह-तरह के उपाय लगा रहे हैं. वहीं, लखीमपुर खीरी हिंसा की घटना के बाद से ही यहां के जाट किसान मौजूदा योगी सरकार से नाराज बताए जा रहे हैं. लेकिन स्थानीय सियासी जानकारों की मानें तो सीएम योगी एक चतुर शख्स होने के साथ ही जातिगत गणित की सियासत को साधने में माहिर हैं. यही कारण है कि उन्होंने जाट की काट को अब क्षेत्र की छोटी-छोटी जातियों के लोगों को अपने साथ करने को खास रणनीति बनाई है, जिस पर तेजी से काम शुरू कर दिया गया है.

हालांकि, पूर्व की बात करें तो साल 2013 के मुजफ्फरनगर दंगे के बाद भाजपा जाटों को अपने साथ जोड़ने में सफल रही थी, लेकिन लखीमपुर खीरी वाक्या के बाद से ही पश्चिम के जाट किसान सूबे की योगी सरकार से खासा नाराज बताए जा रहे हैं. लेकिन पीएम मोदी ने नाराज जाटों को मनाने और उन्हें अपने पाले में करने को अब राजा महेंद्र प्रताप सिंह का सहारा लिया है.

पीएम मोदी ने हाल ही में अलीगढ़ में राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर विश्वविद्यालय निर्माण को शिलान्यास किया है. ऐसे में माना जा रहा है कि पीएम के इस दाव का असर आगे देखने को मिलेगा और जाटों में भी फूट की स्थिति बन सकती है.

दरअसल, पश्चिम उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर की महापंचायत से किसान नेताओं ने यूपी के 2022 विधानसभा चुनाव में भाजपा को वोट से चोट करने की घोषषा की थी. किसानों की नाराजगी और जाट वोटों के काट की तलाश में जुटी भाजपा ने अब क्षेत्र की उन छोटी-छोटी जातियों को अपने साथ करने का काम शुरू किया है. जो भले ही संख्यात्मक दृष्टि से कम नजर आ रहे हो, लेकिन अगर सबको मिला दिया जाए तो फिर ये जाट पर भारी पड़ सकते हैं.

इसे भी पढ़ें - UP Assembly Election 2022: उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के लिए संकट बनी TMC, ममता ने कह दी ये बड़ी बात...

यही कारण है कि सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ इन जातियों के नेताओं को अधिक तरजीह दे रहे हैं, ताकि उन्हें अपने पाले में कर वोट बैंक की गणित को मजबूत किया जा सके.

धनगर और गुर्जर समाज को CM योगी का ये संदेश

भाजपा ने पश्चिम यूपी में ठाकुर, ब्राह्मण, त्यागी, वैश्य समाज के साथ-साथ ही धनगर और गुर्जर जैसी जातियों को भी अपने पक्ष में करने को जमीनी स्तर पर रणनीतियां बना रखी है. अपने पुराने फॉर्मूले के साथ ही कई जातियों के नेताओं को स्थानीय स्तर पर मोर्चे पर लगा दिया गया है.

वहीं, 2014-2019 के लोकसभा और 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने पूरी तरह से विपक्ष का यहां सफाया कर दिया था. लेकिन देखना दिलचस्प होगा कि क्या 2022 में भी यहां की जनता भाजपा का समर्थन करती है या नहीं.

किसान आंदोलन के कारण पश्चिम यूपी में भाजपा का समीकरण गड़बड़ता नजर आ रहा है. जाति की सियासत से परहेज का दावा करने वाली भाजपा अब खुलेआम जाति कार्ड खेलना शुरू कर दी है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहले अलीगढ़ में राजा महेन्द्र प्रताप सिंह के जाट समाज से होने की याद दिलाकर उनके नाम पर विश्वविद्यालय का शिलान्यास कर चुके हैं. दूसरी ओर गुर्जरों को साधने के लिए भी खास रणनीति के तहत उन्हें स्थानीय पार्टी नेतृत्व में अधिक शक्ति प्रदान की जा रही है.

धनगर समाज से योगी को उम्मीद

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुरादाबाद के ठाकुरद्वारा में 69 करोड़ की 30 परियोजनाओं का लोकार्पण कर धनगर समाज को साधने की कोशिश करने के साथ ही इस समाज की समस्या दूर करने को जल्द ही इन्हें प्रदेश में अनुसूचित जाति में शामिल किए जाने की बात कही है.

धनगर समाज यूपी के ओबीसी समुदाय में अति पिछड़ी जातियों में आता है, जिन्हें अलग-अलग इलाके में गड़रिया, बघेल, पाल और धनगर जातियों के नाम से भी जाना जाता है.

बृज, रुहेलखंड और बुंदेलखंड के जिलों में पाल जाति काफी अहम मानी जाती है, जबकि पश्चिम यूपी के मुरादाबाद, रामपुर, अमरोहा में धनगर समाज काफी संख्या में है. बदायूं से लेकर बरेली, आगरा, फिरोजाबाद, इटावा, हाथरस जैसे जिलों में ये लोग बघेल उपजाति के रूप में जाने जाते हैं.

इसके अलावा अवध के इलाके में फतेहपुर, रायबरेली, प्रतापगढ़ और बुंदेलखड के तमाम जिलों में 5 से 10 हजार की संख्या में हर एक सीट पर पाल वोट हैं.

धनगर समाज अनुसूचित जाति की मांग लंबे समय से कर रहा है और एसपी बघेल आगरा लोकसभा सुरक्षित सीट से जीतकर मोदी सरकार में मंत्री हैं, जिनके एससी होने को लेकर विवाद भी है. हालांकि, अब योगी ने धनगर समाज को एससी में जल्द शामिल होने का आश्वासन देकर बड़ा दांव चला है.

वहीं, सीएम ने बिजनौर में जहां मेडिकल कॉलेज का शिलान्यास किया तो नोएडा के दादरी के मिहिर भोज पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज में 9वीं सदी के शासक गुर्जर सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा का अनावरण किया. ऐसे में भाजपा गुर्जर समुदाय को साधने के लिए बड़ा दांव चल चुकी है.

क्योंकि पश्चिम यूपी में गुर्जर समुदाय के लोग काफी समय से सम्राट मिहिर भोज को अपना पूर्वज बताते रहे हैं और उन्हें अपना आदर्श मानते हैं.

पश्चिम यूपी में गुर्जर समुदाय के मतदाताओं की अच्छी खासी संख्या है, जो किसी भी दल का खेल बनाने व बिगाड़ सकते हैं. गाजियाबाद, नोएडा, बिजनौर, संभल, मेरठ, सहारनपुर, कैराना जिले की करीब दो दर्जन सीटों पर गुर्जर समुदाय निर्णायक की भूमिका में हैं, जहां 20 से 70 हजार के करीब इनका वोट है.

2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर पांच गुर्जर समुदाय के विधायक जीतकर आए थे. इनमें कद्दावर नेता अवतार सिंह भड़ाना, डॉ. सोमेंद्र तोमर, तेजपाल नागर, प्रदीप चौधरी और नंदकिशोर गुर्जर हैं, लेकिन अवतार भड़ाना अब भाजपा को छोड़ चुके हैं. वहीं, भाजपा ने अशोक कटियार को एमएलसी के साथ-साथ कैबिनेट में भी जगह दे रखी है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.