लखनऊ: यूपी में जीका वायरस के मामले थमते नहीं दिख रहे हैं. मरीजों का आंकड़ा अब 128 पहुंच गया है. इसमें लखनऊ के चार मरीज और कन्नौज का एक मरीज वायरस की गिरफ्त में है. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग की टीम ने जहां कांटेक्ट ट्रेसिंग-टेस्टिंग जोर कर दिया है, वहीं अब मरीज मिलने पर एन्टीलार्वा और फॉगिंग 400 मीटर के बजाए तीन किमी एरिया में किया जाएगा. यह दावा चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के महानिदेशक डॉ. वेद व्रत सिंह ने किया.
अब तक 5500 सैंपल का जीका टेस्ट
यूपी में कोरोना के बाद डेंगू, मलेरिया और स्क्रबटाइफस ने कहर मचाया. डेंगू का हमला अभी थमा नहीं है. वहीं जीका वायरस ने नई मुसीबत बढ़ा दी हैं. कानपुर में लगातार जीका वायरस के मरीज पाए जा रहे हैं. लखनऊ में भी मरीजों के बढ़ने का सिलसिला जारी है. संचारी रोग निदेशक डॉ जीएस बाजपेई के मुताबिक, शनिवार तक कुल 125 मरीज मिले थे. वहीं रविवार को तीन और मरीज बढ़कर 128 हो गए. इसमें से 35 ने बीमारी को हरा दिया है. तीनों जिलों में 5500 से अधिक लोगों के सैंपल लेकर टेस्ट कराया गया. लखनऊ में 118 के करीब बेड मरीजों के लिए रिजर्व किए गए हैं.
बुखार है तो रहें सतर्क
डीजी हेल्थ डॉ. वेद व्रत सिंह ने सभी जिलों को निर्देश भी भेजे हैं. बुखार के जिन मरीजों में डेंगू-मलेरिया या कोरोना की जांच में पुष्टि न हो और समस्या लगातार बनी हुई है, ऐसे में उस मरीज का जीका वायरस का टेस्ट अवश्य कराएं.
डेंगू मच्छर से ही फैल रहा जीका वायरस
संचारी रोग निदेशक डॉक्टर जी एस बाजपेई के मुताबिक, डेंगू मच्छर से ही जीका वायरस हो रहा है. डेंगू के लिए दोषी मादा एनाफिलीज मच्छर ही जीका वायरस का वाहक है. ऐसे में नगर मलेरिया टीम व जिला मलेरिया विभाग की टीम को निर्देश जारी कर दिए गए हैं. वह मरीज के घर के अंदर इंडोर स्प्रे कर रहे हैं. साथ ही बाहर भी एंटी लार्वा का छिड़काव कर रहे हैं. इसके अलावा घरों में मच्छरों के जो सोर्स हैं, उसे नष्ट किया जा रहा है. साथ ही टीम लार्वा का सैंपल संग्रह कर लैब भेज रही है. इसके अलावा नगर निगम की टीम फॉगिंग कर रही है.
कई में नहीं उभरते लक्षण
जीका वायरस डेंगू फैलाने वाले मच्छर से होता है. गर्भवती महिलाओं के लिए यह अधिक खतरनाक है. यही नहीं गर्भस्थ शिशु के मस्तिष्क के विकास में भी बाधक है. हालांकि, इसकी मृत्यु दर कम है. पहली बार वर्ष 1952 में अफ्रीका के जंगल में एक लंगूर में जीका वायरस मिला. वर्ष 1954 में इसे वैज्ञानिकों ने विषाणु करार दिया. वर्ष 2007 में एशिया और वर्ष 2021 में केरल और महाराष्ट्र में केस मिला. विशेषज्ञों के मुताबिक 60 फीसदी संक्रमितों में रोग के लक्षण नहीं उभरते हैं.
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यह हैं प्रमुख लक्षण
हल्का बुखार, शरीर पर दाने, लाल चकत्ते, सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, जोड़ों में दर्द, आंख में लाली, थकावट, घबराहट.
क्या हैं बचाव
- खुद को मच्छरों के काटने से बचाएं
- शरीर को फुल आस्तीन कपड़ों से ढक के रखें
- मच्छरों को घर के आसपास पनपने न दें
- गर्भवती महिलाओं को खास तौर पर मच्छरों से बचाएं
- घर में टूटे बर्तन, टायर, कूलर में पानी भरा न रहने दें
फीवर क्लीनिक एक्टिवेट किया जाएगा
जीका वायरस पर काबू करने के लिए फीवर क्लीनिक एक्टिवेट किया जाएगा. इस संबंध में सोमवार को कलेक्ट्रेट सभागार में जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश ने निर्देश दिए. उन्होंने बताया कि 41 टीमों ने 1058 घरों में 5196 लोगों का सर्वेक्षण किया है. 33 सैंपल भी जुटाए गए हैं. उन्होंने जीका वायरस के प्रोटोकॉल का कड़ाई से पालन करने के निर्देश भी दिए. इस दौरान कई अफसर मौजूद रहे. उधर, शहर के इन्दिरानगर, अलीगंज, सिल्वर जुबली, चिनहट, काकोरी, टूडियागंज क्षेत्र में 18 डेंगू के मरीज मिले. 7 घरों में मच्छरजनित स्थितियां पाए जाने पर नोटिस जारी किया गया.