लखनऊः यूपी की पुलिस इन दिनों चंदौली की निशा यादव की मौत और ललितपुर की बेटी की अस्मत लूटने के मामले को लेकर चर्चा में है. यह पहली बार नहीं है जब खाकी पर दाग लगे हैं. इससे पहले भी कई बार खाकी का दामन दागदार हो चुका है. चलिए जानते हैं ऐसे कुछ चर्चित मामलों के बारे में.
ताजा मामला है ललितपुर का. बीते दिनों एक 13 साल की बेटी जो न्याय की आस में थाने गई थी, उसे इंस्पेक्टर तिलकधारी सरोज ने ही अपनी हैवानियत का शिकार बना लिया. बाद में जब बच्ची ने पूरे मामले का खुलासा किया तो खाकी के दामन पर बड़ा दाग लग गया.
वहीं, 1 मई को चंदौली के सैयदराजा थाने की पुलिस बालू व्यापारी कन्हैया यादव को पकड़ने के लिए उसके घर पहुंची थी. घर में कन्हैया की दो बेटी अकेले थी. ऐसे में यूपी की बहादुर पुलिस ने उसी घर में बेटियों पर थर्ड डिग्री का कहर ढहा दिया. व्यापारी की छोटी बेटी अंजू ने बताया कि पुलिस उसकी बहन निशा को दूसरे कमरे में ले गयी और तब तक मारती रही जब तक उसकी चीखे सन्नाटे में बदल नही गयी. निशा के शांत होते ही पुलिस मौके से निकल गयी. यह भी मामला भी ताजा मामला है खाकी के दामन पर दाग का. अब चलिए जानते हैं कुछ पुराने मामलों के बारे में.
यूपी के सबसे बड़े कोतवाल एडीजी कानून व्यवस्था से जब पूछा गया कि उनकी पुलिस नाक कटवा रही है तो जवाब देते हुए उनकी जुबान भी लड़खड़ा जाती है. हालांकि सभी आरोपी पुलिस कर्मियों पर सख्त कार्यवाई करने का भरोसा जरूर दिलाते है और कहते है कि "पुलिस के द्वारा या किसी भी व्यक्ति के द्वारा कोई भी गलत कार्य किया जाएगा तो उसके विरूद्ध नियमानुसार कठोर कार्यवाई की जाएगी."
उत्तर प्रदेश में लंबे समय तक पुलिस सेवा में रहे और डीजीपी के पद से रिटायर हुए एके जैन कहते हैं कि "न सिर्फ ललितपुर व चंदौली की घटना बल्कि बीते सालों में वो तमाम घटनाएं जिसमें खाकी पर दाग लगा है वो दुर्भाग्यपूर्ण है. जैन इसके पीछे पुलिस एक्ट को जिम्मेदार मानते है जो अंग्रेजो द्वारा जनता के दमन के लिए बनाया गया था. उनका मानना है कि 1857 की क्रांति के बाद साल 1861 में बना पुलिस एक्ट आज भी लागू है और इसी से पुलिस गवर्न हो रही है. इसमें बदलाव की जरूरत है. जैन खाकी के दागदार होने के पीछे पुलिस अधिकारियों की पोस्टिंग में राजनीतिक हस्तक्षेप को भी मानते है. उनका मानना है कि जब विधायक और सांसद पुलिस कर्मियों व अधिकारियों की अपने क्षेत्र में पोस्टिंग कराते है तो पुलिस मनबढ़ हो जाती है और ऐसी घटनाएं करने लगती है. एके जैन का मानना है कि ऐसी घटनाएं तब ही रुक सकती है जब तक सरकार दोषी पुलिसकर्मियो के लिए सख्त कार्यवाई व सजा का प्रावधान नही कर देती है."
वहीं, वरिष्ठ पत्रकार ज्ञानेंद्र शुक्ला का मानना है कि "जब किसी को शक्ति दी जाती है तो उसका दुरुपयोग भी होता है. सरकार ने पुलिस को माफ़ियाओं के खिलाफ कार्यवाई करने के लिए खुली छूट दे रखी है जो उचित भी है लेकिन उस शक्ति का सुपर विज़न अधिकारियों को करना होता है. राज्य में मातहतों का पर्यवेक्षणन और सुपर विजन दोनों ही लचर है. ज्ञानेंद्र कहते है कि जब भी ऐसी कोई घटना होती है तो सरकार कोई भी हो कभी ऐसी कार्यवाई नही करती है जो नजीर बन सके और जब तब ऐसा नही होगा पुलिसकर्मी ऐसे ही अपराध करते रहेंगे.
सपा नेता तारिक अहमद लारी कहते है कि "पूर्व की सपा व बसपा सरकार में भले ही एक दो बार खाकी ने अपना दामन दागदार किया हो लेकिन हमने कार्रवाई कर उस दाग को धुलने की कोशिश की थी. लेकिन भाजपा की सरकार में हर रोज खाकी कहर ढहा रही है. चौराहे पर खड़े सिपाही से लेकर एसपी तक दागदार है. यूपी में पहली बार हो रहा है कि एक हत्या करने वाला वांक्षित माफिया क्रिकेट खेलता है और उसका वीडियो वायरल होता है, पुलिस उसे गिरफ्तार नही करती लेकिन 151 व बिजली चोरी करने वाले के घर पुलिस दबिश डालती है और उसकी बेटी की हत्या कर देती है."
वहीं, यूपी के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक का कहना है कि "ऐसी घटना को विपक्ष पॉलिटिकल टूरिज्म मानता है. पाठक ने कहा कि घटना के दोषियों को नहीं छोड़ा जाएगा, चाहे किसी भी कद का व्यक्ति हो, बेटी के साथ सरकार खड़ी है. जो भी घटना घटी है उस पर ऐसी कार्रवाई होगी कि उसकी आने वाली पीढ़ी याद रखेगी."
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