लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने मोहनलालगंज थाने (Case of beating of lawyers in Mohanlalganj) में दो वकीलों के खिलाफ दर्ज मामले में वादी से किसी भी प्रकार का सम्पर्क न करने का आदेश पुलिस को दिया है. न्यायालय ने मामले में सख्त रुख अपनाते हुए, मोहनलालगंज थाने की जनरल डायरी भी तलब कर ली है. मामले की अगली सुनवाई 17 जनवरी को होगी.
यह आदेश जस्टिस देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस नरेंद्र कुमार जौहरी की खंडपीठ ने पीड़ित अधिवक्ताओं अरुण कुमार ओझा और अश्वनी कुमार सिंह राठौर की याचिका पर पारित किया है. याचियों की ओर से उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को चुनौती दी गई है. उक्त एफआईआर में दोनों वकीलों पर शराब पीकर गाड़ी चलाते हुए, वादी को टक्कर मारने व विरोध करने पर उसके साथ गाली-गलौज करने व मारपीट का आरोप (Case of beating of lawyers in Mohanlalganj) लगाया गया है. याचियों का कहना है कि वादी सतीश निर्मल से स्थानीय पुलिस ने सादे कागज पर दस्तखत करवा के फर्जी एफआईआर पंजीकृत की है. याचियों की ओर से इस सम्बंध में वादी का एक हलफ़नामा भी प्रस्तुत किया गया है. आरोप लगाया गया है कि 30 दिसम्बर 2022 को दोनों वकीलों को मोहनलालगंज पुलिस ने थाने के हवालात में बंद कर मारा-पीटा था. 3 जनवरी को मामले की सुनवाई करते हुए न्यायालय ने टिप्पणी भी की कि यदि याचिका में लगाए गए आरोप सही हैं तो ये बहुत ही परेशान करने वाले तथ्य हैं और पुलिस की कार्यशैली का पता चलता है.
उक्त टिप्पणी के साथ ही न्यायालय ने पुलिस को वादी सतीश निर्मल से सम्पर्क न करने का आदेश दिया. गुरूवार को भी मामले की सुनवाई के दौरान न्यायालय का रुख सख्त रहा. न्यायालय ने मामले में शामिल पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के लिए याचियों को निचली अदालत में प्रार्थना पत्र दाखिल करने की छूट दी, साथ ही यह भी कहा है कि प्रार्थना पत्र पर सुनवाई के लिए सिर्फ याचियों के अधिवक्ता ही कोर्ट रूम में जाएंगे. न्यायालय ने मोहनलालगंज थाने की जनरल डायरी भी अगली सुनवाई पर पेश करने का आदेश दिया है. उल्लेखनीय है कि इस मामले में बुधवार को वकीलों की महापंचायत भी हुई थी, जिसमें लखनऊ बार एसोसिएशन के महामंत्री कुलदीप नारायण मिश्रा, मुख्य स्थाई अधिवक्ता प्रशांत सिंह अटल इत्यादि मौजूद थे.