लखनऊः सीमा पर भारतीय सेना का कोई सानी नहीं है. सेना के जवान अपने देश के मान और सम्मान के लिए अपनी जान भी कुर्बान करने से पीछे नहीं हटते हैं. यही आत्मविश्वास दुश्मन सेना के जवानों के हौसले तोड़ने के लिए काफी है. उनका साहस विरोधी सेना को मिट्टी में मिला देता है. राजधानी के लाल ने सीमा पर ऐसा ही कमाल कर दिखाया. सामने आए चीनी सैनिकों को पीछे हटने को मजबूर कर दिया. देश के जवान ने देश का मान बढ़ाया तो सरकार ने भी कैप्टन राहुल झा को उनके अदम्य साहस और पराक्रम के लिए गणतंत्र दिवस पर गैलेंट्री सम्मान देकर उनका सम्मान किया. 'ईटीवी भारत' लखनऊ के एल्डिको कॉलोनी में रहने वाले कैप्टन राहुल झा के घर पहुंचा. यहां पर उनके छोटे भाई रोहन झा ने भाई कैप्टन राहुल झा के बचपन से लेकर अब तक के सफर की कहानी बयां की. कहा कि भाई के इस सम्मान से परिवार और देश का सम्मान बढ़ा है.
सवाल: कैप्टन राहुल झा की शिक्षा कहां से हुई?
जवाब: एल्डिको के दिल्ली पब्लिक स्कूल से भाई और मेरी पढ़ाई हुई. उन्होंने 12वीं के बाद नेशनल डिफेंस एकेडमी की परीक्षा दी और क्वालीफाई किया. उन्होंने एसएसबी दिया वह क्लियर हुआ. फिर उनका मेडिकल हुआ और वह भी क्लियर हुआ. इसके बाद उनका एनडीए में सलेक्शन हो गया. उन्होंने तीन साल कड़ी ट्रेनिंग की. इसके बाद एक साल तक देहरादून के इंडियन मिलिट्री एकेडमी में ट्रेनिंग की. जब वे आईएमए से पासआउट हुए तो फाइनली उनकी कमीशनिंग वन गोरखा राइफ़ल्स के अंडर हुई. उन्हें जम्मू कश्मीर के पुंछ में पहली पोस्टिंग मिली. वहां पर कुछ समय रहे इसके बाद उन्हें धर्मशाला में तैनाती मिली.
सवाल: चीनी सैनिकों से टक्कर के बाद घर से कोई बातचीत हुई थी?
जवाब: चीनी सेना के साथ वाला जब इंसिडेंट हुआ था उस समय कई बार वहां से कनेक्शन आउट हो जाता है तो घर से बातचीत नहीं हो पाती. हमें भी काफी बाद में पता चला जब इंसीडेंट हो गया था. टीवी पर भी बाद में रिपोर्ट किया गया. उसके कुछ दिन बाद हम लोगों को पता चला. हालांकि खुलकर हम लोगों को भी नहीं बताया गया कि वास्तव में वहां पर हुआ क्या? हां ये जरूर बाद में पता चला कि अगस्त और सितंबर माह में इंसिडेंट हुए थे.
सवाल: क्या चीनी सेना से ऑपरेशन को कैप्टन राहुल ही लीड कर रहे थे?
जवाब: हां, भाई ही लीड कर रहे थे. भाई को गणतंत्र दिवस पर गैलेंट्री अवॉर्ड मिलने से बहुत खुशी हो रही है. लाइफ में इससे ज्यादा मैंने कभी प्राउड फील नहीं किया है. मेरे मम्मी पापा के लिए भी यह उतनी ही गौरव की बात है. काफी अच्छा महसूस हो रहा है.
सवाल: मम्मी पापा कहां से बिलॉन्ग करते हैं और क्या करते हैं?
जवाब: मेरे पापा कैंसर इंस्टिट्यूट में अकाउंटेंट हैं और मम्मी हाउसवाइफ हैं. मम्मी, पापा दोनों बिहार से ताल्लुक रखते हैं. मम्मी की एजुकेशन दिल्ली से हुई और पापा की एजुकेशन इंदौर से.
सवाल: क्या आपने सेना में जाने के बारे में सोचा है?
जवाब: मैंने काफी कोशिश की थी. मैंने नेशनल डिफेंस एकेडमी का एग्जाम दिया था, लेकिन पास नहीं कर पाया. अभी मैंने क्लैट का एग्जाम दिया है और उसे क्लीयर किया. नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया. मेरा अभी भी फोकस आर्मी है. जैसे ही मैं ग्रेजुएट हो जाऊंगा मैं आर्मी के लिए ट्राय करूंगा.
सवाल: परिवार की भाई से कब बात हुई थी?
जवाब: जब दीपावली पर लखनऊ आए थे, तब परिवार का मिलना हुआ था. बाकी कुछ दिनों पर बात लद्दाख से हो जाती है.
सवाल: इससे पहले भी उन्हें अवार्ड मिले?
जवाब: स्कूल के टाइम पर कई कॉम्पटीशन जीते थे. जब एकेडमी में थे तब उन्हें वहां पर भी क्रॉस कंट्री रेसेज में अवॉर्ड मिले थे. जब आर्मी जॉइन की तो अपनी यूनिट की तरफ से क्रास कंट्री जीती तो मेडल्स मिले थे. खुखरी गोरखा राइफ़ल्स का ट्रेडिशन होता है जब कमीशन होते हैं. ऑफिसर तब उन्हें यूनिट की तरफ से प्रेजेंट की जाती है.