लखनऊ: जिले के बख्शी का तालाब स्थित चंद्र भानु गुप्ता कृषि स्नातकोत्तर महाविद्यालय अब किसानों की आय को बढ़ाने के लिए लगातार प्रयासरत रहता है. इसी क्रम में महाविद्यालय कड़कनाथ मुर्गा पालन की पहल करने जा रहा है. बता दें कि कुछ समय पूर्व महाविद्यालय ने बरबरी बकरी पालन की योजना भी शुरू की थी. जिसका किसानों ने काफी लाभ उठाया था. अब महाविद्यालय द्वारा कड़कनाथ मुर्गी पालन की योजना किसानों के लिए शुरू की है. यह योजना भी किसानों के लिए काफी लाभकारी है.
फैट लेस होता है कड़कनाथ मुर्गा
ईटीवी से बातचीत के दौरान महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर योगेश कुमार शर्मा ने बताया कि कड़कनाथ मुर्गा नई प्रजाति का है, जिसको सरकार ने भी 2018 में मान्यता दे दी थी. इसकी उत्पत्ति मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ से हुई है. कड़कनाथ मुर्गा काले रंग का होता है और इसका मीट भी काले रंग का होता है. इसके मीट में 25% प्रोटीन पाया जाता है और यह पूरी तरह से फैट लेस होता है. जिसके चलते इसकी मार्केट में डिमांड भी ज्यादा होती है.
एक हजार रुपये प्रति किलो तक होती है कीमत
प्रोफेसर योगेश कुमार शर्मा ने बताया कि इनके अंडे अन्य मुर्गियों के अंडों की अपेक्षा बाजार में ज्यादा महंगे हैं. कड़कनाथ मुर्गी के एक अंडे की कीमत 50 रुपये तक होती है. अन्य मुर्गों की अपेक्षा कड़कनाथ मुर्गे का मीट सबसे ज्यादा बाजार में बिकता है. जिसकी कीमत लगभग 1000 रुपये प्रति किलो होती है. वहीं अन्य मुर्गों में देसी मुर्गे की कीमत 600 से लेकर 700 तक होती है जबकि फार्मी मुर्गों की कीमत 150 से 200 रुपये प्रति किलो होती है. यह कहा जा सकता है कि कड़कनाथ किसानों की आय को बढ़ाने का अच्छा साधन है. हालांकि कड़कनाथ मुर्गियों की मात्रा बाजार में ज्यादा नहीं है. इसका कारण है कि यह मुर्गियां अंडों को शेती नहीं है. इनके बच्चों को निकालने के लिए इनक्यूबेटर का प्रयोग करना पड़ता है. प्रोफेसर शर्मा ने बताया कि इनक्यूबेटर से निकले हुए बच्चे काफी धीरे ग्रोथ करते हैं. एक बच्चे को पूरी तरह से ग्रोथ करने में 6 महीने का समय लगता है जबकि अन्य मुर्गियों की बात की जाए तो उनके बच्चे 45 दिन में ग्रोथ कर लेते हैं और लगभग 2 किलो तक के होते हैं.
कड़कनाथ मुर्गा पालन से बढ़ेगी किसानों की आय
वहीं महाविद्यालय के प्रवक्ता धीरेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि हमलोग लगातार किसानों की आय बढ़ाने को लेकर नई-नई पहल शुरू कर रहे हैं. जिससे किसान भी लगातार लाभान्वित हो रहे हैं. इसके पहले हमारे महाविद्यालय ने बरबरी बकरी पालन की योजना भी शुरू की थी, जिसका किसानों ने काफी लाभ उठाया था. अब महाविद्यालय द्वारा कड़कनाथ मुर्गी पालन की योजना किसानों के लिए शुरू की गई है. यह योजना भी किसानों के लिए काफी लाभकारी है.
कड़कनाथ मुर्गा पालन के लिए नही करनी पड़ती है ज्यादा मेहनत
उन्होंने बताया कि कड़कनाथ मुर्गी पालन के लिए किसानों को ज्यादा मेहनत की भी जरूरत नहीं है. इन मुर्गों को गला हुआ मक्का, चावल का टुकड़ा और दाल के मिश्रण को मिलाकर दिया जाता है. इनके खाने की मात्रा ढाई सौ ग्राम तक होनी चाहिए. कैल्शियम के लिए कड़कनाथ मुर्गों को संगमरमर के छोटे-छोटे टुकड़े भी इनको दिए जाते हैं. इन मुर्गों की सबसे बड़ी खासियत यह होती है कि जहां अन्य मुर्गों के मीट में 13 से 15 परसेंट तक फैट होता है वहीं कड़कनाथ मुर्गे के मीट में फैट बिल्कुल भी नहीं होता. कड़कनाथ मुर्गे का मीट सबसे ज्यादा उनको फायदा करता है जो हार्ड के पेशेंट होते हैं.