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जेईई मेंस में 75 प्रतिशत का नियम लागू होने से अभ्यर्थियों में मायूसी, जानिए क्या बोले एक्सपर्ट

देश के सभी इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआईटी) व बड़े इंजीनियरिंग संस्थानों में प्रवेश के लिए होने वाले ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जाम (जेईई) मेंस क्वालीफाई करने के बाद भी अगर 12वीं में छात्रों के 75 प्रतिशत अंक (75 percent rule in JEE Mains) नहीं होंगे तो वह देश के शीर्ष इंजीनियरिंग संस्थानों में प्रवेश नहीं पा सकेंगे, वहीं एससी व एसटी कैटेगरी के छात्रों के लिए यह अनिवार्यता 65 फ़ीसदी रखी गई है.

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Published : Dec 21, 2022, 10:19 AM IST

बातचीत करते संवाददाता श्याम चंद्र सिंह

लखनऊ : देश के सभी इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआईटी) व बड़े इंजीनियरिंग संस्थानों में प्रवेश के लिए होने वाले ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जाम (जेईई) मेंस क्वालीफाई करने के बाद भी अगर 12वीं में छात्रों के 75 प्रतिशत अंक (75 percent rule in JEE Mains) नहीं होंगे तो वह देश के शीर्ष इंजीनियरिंग संस्थानों में प्रवेश नहीं पा सकेंगे, वहीं एससी व एसटी कैटेगरी के छात्रों के लिए यह अनिवार्यता 65 फ़ीसदी रखी गई है. ज्ञात हो कि कोविड-19 महामारी के कारण पिछले दो वर्षों से 75 फीसदी अंकों की अनिवार्यता को लागू नहीं किया गया था. अब बीते एक साल से जब सामान तरीके से पढ़ाई हो रही है तो जेईई में 2023 में बोर्ड में 75 फीसदी अंकों की अनिवार्यता को लागू कर दिया गया है, जिससे हजारों छात्रों के भविष्य पर संकट खड़ा हो गया है.

इंदिरा नगर सेक्टर 14 में रहने वाले छात्र रोहित सिंह ने बताया कि साल 2021-22 में सीबीएसई बोर्ड से 12वीं का एग्जाम दिया था. कोविड-19 के कारण बीते दो वर्षों से ऑनलाइन पढ़ाई हो रही थी. जिस कारण इंटरमीडिएट में ज्यादातर पढ़ाई घर बैठकर ही हुई है. ऐसे में बोर्ड एग्जाम में परफॉर्मेंस उम्मीद के अनुसार नहीं रहा. पीसीएम ग्रुप से इंटर में 74 प्रतिशत अंक प्राप्त कर पाए. बीते साल जेईई मेंस का दोनों एग्जाम दिया था पर जेईई एडवांस के लिए क्वालीफाई नहीं कर पाया था. इस बार शुरू से ही जेईई के लिए तैयारी रहा था, लेकिन 75 फ़ीसदी मार्क्स की अनिवार्यता लागू करने से दिक्कत होगी. इस निर्णय से मेरे जैसे छात्रों को काफी मायूसी हुई है. हमारी पूरी मेहनत बेकार चली जाएगी.

12वीं के छात्र मोहित अग्रवाल ने बताया कि इसी साल बोर्ड एग्जाम दिया था, जिसमें 71 प्रतिशत नंबर मिले हैं. इस नियम को लागू करना ही था तो इसकी जानकारी बीते जेईई एडवांस एग्जाम के तुरंत बाद देना चाहिए था, ताकि मेरे जैसे छात्र इम्प्रूवमेंट एग्जाम देकर अपना रिजल्ट सुधार लेते तो दिक्कत नहीं होती. इस निर्णय से हम जैसे छात्रों का पूरा भविष्य अधर में लटक गया है.

जेईई के एक्सपर्ट इंजीनियर आदित्य कुमार ने बताया कि ऐसे कई छात्र हैं, जो कोरोना काल में मेंस में बेहतर स्कोर नहीं आने के कारण इंजीनियरिंग में दाखिला ना लेकर दोबारा तैयारी कर रहे हैं. इनमें हजारों छात्र ऐसे हैं जो 12वीं की बोर्ड परीक्षा दे चुके हैं और उनके 75 फ़ीसदी अंक नहीं हैं, लेकिन वह बीते एक वर्ष से जेईई के लिए तैयारी कर रहे हैं. अब इस नए नियम के बाद से आईआईटी व एनआईटी की होने वाली काउंसलिंग में शामिल नहीं हो पाएंगे. उन्होंने बताया कि अगर 75 फीसदी के नियम को इस साल से लागू करना था तो इसकी सूचना छात्रों को एक साल पहले दे देनी चाहिए थी. जिन छात्रों के बोर्ड में 75 प्रतिशत से कम अंक हैं, वह पिछली बार हुए इंप्रूवमेंट परीक्षा में शामिल हो सकते थे. उन्होंने बताया कि यह नियम सभी बोर्ड के छात्रों के लिए लागू किया गया है.


स्ट्रक्चर में किया है बदलाव : एक्सपर्ट आदित्य कुमार ने बताया कि केंद्रीय सीट आवंटन बोर्ड ने (सीएसएबी) अपने नियमों में बदलाव किया है. उन्होंने बताया कि सीएसएबी के माध्यम से जो छात्र आईआईटी व एनआईटी में सीट पाने के लिए काउंसलिंग कराते थे उन्हें अब बोर्ड एग्जाम में 75 प्रतिशत अंक लाना अनिवार्य है. उन्होंने बताया कि आईआईटी व एनआईटी में प्रवेश के लिए छात्रों को जेईई मेंस व जेईई एडवांस की परीक्षा देनी होती है. 6 चरणों की काउंसलिंग के लिए 75 प्रतिशत अंक की अनिवार्यता नहीं है. इसके बाद जो आखिरी दो चरण की काउंसलिंग सीएसएबी कराता है उसके लिए 75 प्रतिशत मार्क्स की अनिवार्यता को लागू कर दिया गया है. आदित्य कुमार ने बताया कि हालांकि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) की ओर से जेईई-मेंस में शामिल होने के लिए ऐसी कोई अहर्ता नहीं रखी गई है.

यह भी पढ़ें : मदरसा विनियमावली में बड़े संशोधन करने की तैयारी, दिए गए ये प्रस्ताव

बातचीत करते संवाददाता श्याम चंद्र सिंह

लखनऊ : देश के सभी इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआईटी) व बड़े इंजीनियरिंग संस्थानों में प्रवेश के लिए होने वाले ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जाम (जेईई) मेंस क्वालीफाई करने के बाद भी अगर 12वीं में छात्रों के 75 प्रतिशत अंक (75 percent rule in JEE Mains) नहीं होंगे तो वह देश के शीर्ष इंजीनियरिंग संस्थानों में प्रवेश नहीं पा सकेंगे, वहीं एससी व एसटी कैटेगरी के छात्रों के लिए यह अनिवार्यता 65 फ़ीसदी रखी गई है. ज्ञात हो कि कोविड-19 महामारी के कारण पिछले दो वर्षों से 75 फीसदी अंकों की अनिवार्यता को लागू नहीं किया गया था. अब बीते एक साल से जब सामान तरीके से पढ़ाई हो रही है तो जेईई में 2023 में बोर्ड में 75 फीसदी अंकों की अनिवार्यता को लागू कर दिया गया है, जिससे हजारों छात्रों के भविष्य पर संकट खड़ा हो गया है.

इंदिरा नगर सेक्टर 14 में रहने वाले छात्र रोहित सिंह ने बताया कि साल 2021-22 में सीबीएसई बोर्ड से 12वीं का एग्जाम दिया था. कोविड-19 के कारण बीते दो वर्षों से ऑनलाइन पढ़ाई हो रही थी. जिस कारण इंटरमीडिएट में ज्यादातर पढ़ाई घर बैठकर ही हुई है. ऐसे में बोर्ड एग्जाम में परफॉर्मेंस उम्मीद के अनुसार नहीं रहा. पीसीएम ग्रुप से इंटर में 74 प्रतिशत अंक प्राप्त कर पाए. बीते साल जेईई मेंस का दोनों एग्जाम दिया था पर जेईई एडवांस के लिए क्वालीफाई नहीं कर पाया था. इस बार शुरू से ही जेईई के लिए तैयारी रहा था, लेकिन 75 फ़ीसदी मार्क्स की अनिवार्यता लागू करने से दिक्कत होगी. इस निर्णय से मेरे जैसे छात्रों को काफी मायूसी हुई है. हमारी पूरी मेहनत बेकार चली जाएगी.

12वीं के छात्र मोहित अग्रवाल ने बताया कि इसी साल बोर्ड एग्जाम दिया था, जिसमें 71 प्रतिशत नंबर मिले हैं. इस नियम को लागू करना ही था तो इसकी जानकारी बीते जेईई एडवांस एग्जाम के तुरंत बाद देना चाहिए था, ताकि मेरे जैसे छात्र इम्प्रूवमेंट एग्जाम देकर अपना रिजल्ट सुधार लेते तो दिक्कत नहीं होती. इस निर्णय से हम जैसे छात्रों का पूरा भविष्य अधर में लटक गया है.

जेईई के एक्सपर्ट इंजीनियर आदित्य कुमार ने बताया कि ऐसे कई छात्र हैं, जो कोरोना काल में मेंस में बेहतर स्कोर नहीं आने के कारण इंजीनियरिंग में दाखिला ना लेकर दोबारा तैयारी कर रहे हैं. इनमें हजारों छात्र ऐसे हैं जो 12वीं की बोर्ड परीक्षा दे चुके हैं और उनके 75 फ़ीसदी अंक नहीं हैं, लेकिन वह बीते एक वर्ष से जेईई के लिए तैयारी कर रहे हैं. अब इस नए नियम के बाद से आईआईटी व एनआईटी की होने वाली काउंसलिंग में शामिल नहीं हो पाएंगे. उन्होंने बताया कि अगर 75 फीसदी के नियम को इस साल से लागू करना था तो इसकी सूचना छात्रों को एक साल पहले दे देनी चाहिए थी. जिन छात्रों के बोर्ड में 75 प्रतिशत से कम अंक हैं, वह पिछली बार हुए इंप्रूवमेंट परीक्षा में शामिल हो सकते थे. उन्होंने बताया कि यह नियम सभी बोर्ड के छात्रों के लिए लागू किया गया है.


स्ट्रक्चर में किया है बदलाव : एक्सपर्ट आदित्य कुमार ने बताया कि केंद्रीय सीट आवंटन बोर्ड ने (सीएसएबी) अपने नियमों में बदलाव किया है. उन्होंने बताया कि सीएसएबी के माध्यम से जो छात्र आईआईटी व एनआईटी में सीट पाने के लिए काउंसलिंग कराते थे उन्हें अब बोर्ड एग्जाम में 75 प्रतिशत अंक लाना अनिवार्य है. उन्होंने बताया कि आईआईटी व एनआईटी में प्रवेश के लिए छात्रों को जेईई मेंस व जेईई एडवांस की परीक्षा देनी होती है. 6 चरणों की काउंसलिंग के लिए 75 प्रतिशत अंक की अनिवार्यता नहीं है. इसके बाद जो आखिरी दो चरण की काउंसलिंग सीएसएबी कराता है उसके लिए 75 प्रतिशत मार्क्स की अनिवार्यता को लागू कर दिया गया है. आदित्य कुमार ने बताया कि हालांकि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) की ओर से जेईई-मेंस में शामिल होने के लिए ऐसी कोई अहर्ता नहीं रखी गई है.

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