लखनऊ: उप्र में लगभग 60 लाख अस्थमा के मरीज हैं. धूम्रपान, प्रदूषण और फास्ट फूड के बढ़ते प्रचलन के कारण प्रदेश व देश में अस्थमा की रोगियों की संख्या बढ़ रही है. अस्थमा के प्रमुख लक्षण सांस फूलना, पसली चलना, सीने में भारीपन और बार-बार सर्दी जुकाम और खांसी होना हैं. अस्थमा की डायग्नोसिस पीएफटी जांच की जाती है. अस्थमा का सही उपचार इन्हेलर चिकित्सा है जो कि चिकित्सक की सलाह से नियमित रूप से लेना चाहिए. यह बातें इण्डियन मेडिकल एसोसिएशन लखनऊ (Indian Medical Association Lucknow) के सचिव डॉ. संजय सक्सेना ने शुक्रवार को कहीं.
दरअसल विश्व अस्थमा दिवस के मौके पर इण्डियन मेडिकल एसोसिएशन लखनऊ शाखा ने शुक्रवार को निशुल्क अस्थमा शिविर आईएमए भवन में लगाया था. इस शिविर में लगभग 55 मरीजों की निशुल्क जांच और दवाओं का वितरण किया गया. वहीं आईएमए के उपाध्यक्ष डॉ. अजय वर्मा ने इस मौके पर अस्थमा रोगियों एवं उनके परिजनों से कहा कि अस्थमा का उचित इलाज इन्हेलर चिकित्सा है,जिसका नियमित इस्तेमाल चिकित्सक की सलाह के अनुसार किया जाना चाहिए.
उन्होने यह भी बताया कि अस्थमा के रोगियों को धूम्रपान व प्रदूषण से बचना चाहिए. शुद्ध शाकाहारी भोजन, हरी सब्जियां और फल प्रचुर मात्रा में खाना चाहिए. बच्चों और अस्थमा के रोगियों को फास्ट फूड का सेवन नहीं करना चाहिए. एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. जेडी रावत, सेक्रेटरी डॉ संजय सक्सेना, केजीएमयू के रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. सूर्यकान्त के मार्गदर्शन में हुए शिविर में एसोसिएशन के उपाध्यक्ष डॉ अजय वर्मा के साथ रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के जूनियर डॉ. अमन वर्मा, डॉ. जगदीश पटेल, डॉ. आकाश भारद्धाज एवं डॉ. रनजीत रमन ने अस्थमा रोगियों का परीक्षण किया.
इस शिविर में रोगियों की पीएफटी (पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट) जांच निःशुल्क की गई तथा इन्हेलर थेरेपी के बारे में मरीजों को जानकारी दी गयी. इसके साथ ही निशुल्क इन्हेलर और दवाइयों का भी वितरण किया गया.
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