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किराए के मकान से बेहतर है अपना घर खरीदना, जानिए किस बात का रखें ध्यान और कैसे होगा Home Loan - INCOME TAX DEPARTMENT

किराए पर रहने वालों को अक्सर ही घर बदलने की समस्या झेलनी पड़ती है. इससे सामान की बर्बादी तो होती ही है पैसों और समय की भी बर्बादी होती है. इससे पहले नया मकान खोजने की जद्दोजहद होती है, सो अलग. पर यदि आप अपना मकान होम लोन पर लेते हैं तो आपको आपके बजट के हिसाब से किराए के पैसों में ही नया मकान मिल जाता है.

किराए के मकान से बेहतर है अपना घर खरीदना, जानिए किस बात का रखें ध्यान और कैसे होगा Home Loan
किराए के मकान से बेहतर है अपना घर खरीदना, जानिए किस बात का रखें ध्यान और कैसे होगा Home Loan
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Published : Apr 20, 2022, 8:15 PM IST

Updated : Apr 20, 2022, 9:45 PM IST

लखनऊ : हर आदमी के मन में एक इच्छा होती है कि एक दिन उसका अपना घर हो. इसके लिए कड़ी मेहनत और फाइनेंशियल प्लानिंग (Financial Planning) के साथ लोग बचत, लोन व अन्य दूसरे लीगल पहलुओं पर भी पूरा ध्यान देते हैं. साथ ही लोग किराए पर रहने के दौरान मकान मालिक से होने वाली किचकिच और अन्य परेशानियों से भी बचने के लिए अपना मकान लेना चाहते हैं. लेकिन अधिकतर लोगों को पता ही नहीं होता है कि वह जितना किराया अपने मकान मालिक को दे रहे हैं उतने ही पैसों में अपनी जरूरत के हिसाब से छोटा या बड़ा घर खरीद सकते हैं. एक रिपोर्ट..

किराए पर रहने वालों को अक्सर ही घर बदलने की समस्या झेलनी पड़ती है. इससे सामान की बर्बादी तो होती ही है पैसों और समय की भी बर्बादी होती है. इससे पहले नया मकान खोजने की जद्दोजहद होती है, सो अलग. पर यदि आप अपना मकान होम लोन पर लेते हैं तो आपको आपके बजट के हिसाब से किराए के पैसों में ही नया मकान मिल जाता है. फिर लोन के ईएमआई के अनुपात में आपके मकान की जो कीमत बढ़ती है वो अलग ही आपको फायदा देती है. इसलिए अपना मकान खरीदना किराए से बेहतर समझा जाता है. वैसे भी रियल एस्टेट एक सुरक्षित निवेश माना जाता है. इसमें कैपिटल की वृद्धि और टैक्स लाभ की भी संभावना रहती है.

'सपनों का घर' बनाते वक्त न बिगाड़ें अपना बजट, याद रखें ये बात

मध्यम वर्ग जब भी नया मकान लेने की सोचता है तो वह अफोर्डेबल विला या अपार्टमेंट को ही पसंद करता है. वैसे भी अफॉर्डेबल या स्टैंडर्ड, लक्जरी फ्लैट या विला में अंतर केवल मॉड्यूलर किचन की क्वालिटी, ब्रांडेड एप्लायंसेस, कमरों में फाल्स सीलिंग, मार्बल फ्लोरिंग, टाइल्स की क्वालिटी, स्विच ,वायर्स के ब्रांड , सेनेटरी वेयर के ब्रांडों में ही होता है. बाकी बेसिक चीजें समान स्टैंडर्ड के ही होते हैं.

अफॉर्डेबल या लक्जरी में से पहले करें किसी एक का चुनाव : अपनी कमाई के हिसाब से यह तय करना चाहिए कि आपको अफोर्डेबल हाउस चाहिए या फिर आप लक्जरी फ्लैट चाहते हैं. मकान में वुडन फ्लोरिंग से लेकर टाइल्स वर्क, फर्नीचर इत्यादि पर भी काफी खर्च होता है.

घर खरीदते समय इन बातों का ध्यान जरूरी

कराएं पक्की रजिस्ट्री : अगर आप घर खरीदने जा रहे हैं तो उसकी पक्की रजिस्ट्री ही कराएं. जमीन लाल डोरे में न हो. अगर जमीन की पक्की रजिस्ट्री नहीं है तो आपको ऐसी जमीन नहीं लेनी चाहिए क्योंकि इससे आपको बाद में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. इसके अलावा घर खरीदते समय आपको टाइटल सर्टिफिकेट के बारे में जान लेना चाहिए कि क्या ये क्लियर है. दरअसल, इससे पता चलता है कि प्रॉपर्टी का चेन डेवलप हुआ है और क्या असल में इस प्रॉपर्टी का टाइटल डेवलपर के पास है या नहीं. वहीं, जमीन पर होने वाले रिडेवलपमेंट के लिए आप डेवलपमेंट एग्रीमेंट भी जरूर चेक करें.

लोकल अथॉरिटी से मंजूर होना चाहिए प्रोजेक्ट : मकान खरीदते समय यह जरूर चेक करें कि अपका विला, मकान, प्लाट या अपार्टमेंट का प्रोजेक्ट लोकल अथॉरिटी से अप्रूव हो. साथ ही अपार्टमेंट या विला अप्रूव नक्शे के हिसाब से बनाया गया हो. ये जरूर देखें कि जो घर बना है वो प्लान के तहत बना है या नहीं. इसके अलावा फ्लोर को नक्शे के हिसाब से बनाया गया है या नहीं.

लीगल एक्सपर्ट की सलाह जरूरी : घर खरीदते समय आपको लीगल एक्सपर्ट से जरूर सलाह लेनी चाहिए. आप ऐसे लोगों से भी सलाह ले सकते हैं जिन्हें आप अच्छे से जानते हों. जो प्रॉपर्टी के बारे में अच्छी जानकारी रखते हों. इससे आपको घर के बारे में सही जानकारी मिल सकेगी और आप जान सकेंगे कि आपको ये घर खरीदना चाहिए या नहीं.

मार्केट में कई जगहों पर दाम और सुविधओं का करें तुलनात्मक अध्ययन : कहीं भी मकान, फ्लैट, विला या अन्य कोई प्रापर्टी खरीदने में कोई जल्दीबाजी न करें. कई प्रापर्टी, वहां की लोकैलिटि, वहां दी जाने वाली सुविधा और नक्शा आदि पास होने जैसे तथ्यों का गहराई से अध्ययन करने के बाद ही प्रापर्टी की खरीद को फाइनल करें.

ऐसे करें होम लोन के लिए अप्लाई : अक्सर होम लोन के लिए अप्लाई करते समय खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. बैंक के अधिकारी आपको लगातार दौड़ाते रहते हैं और आपको लोन नहीं मिल पाता. यही नहीं, अगर आपका सिबिल स्कोर अच्छा नहीं है या फिर आपकी टेक होम सैलरी ईएमआई का 45 से 50 फीसदी हो तो भी बैंक आपको लोन नहीं देता. ऐसे में इन तरीकों का इस्तेमाल कर लोन लिया जा सकता है...

सिबिल स्कोर का रखें ध्यान : सिबिल स्कोर से आपकी क्रेडिट हिस्ट्री का पता चलता है. आपको लोन दिलाने में इसकी अहम भूमिका होती है. इसके जरिए बैंक ये देखते हैं कि आपने पहले लोन लिया है या क्रेडिट कार्ड आदि का किस तरह इस्तेमाल किया है. क्रेडिट स्कोर रीपेमेंट हिस्ट्री, क्रेडिट इस्तेमाल का अनुपात, मौजूदा लोन और बिलों के समय पर पेमेंट से पता चलता है. क्रेडिट स्कोर नियमित रूप से चेक करें ताकि आप इसमें समय रहते सुधार कर सकें.

लोन अमाउंट कम रखें और जॉइट एकाउंट पर लें लोन : कम लोन अमाउंट रखने से घर में आपका कॉन्ट्रिब्‍यूशन ज्‍यादा हो जाएगा. इससे बैंक का जोखिम भी कम होगा. इसकी वजह से कोई भी बैंक आपको आसानी से लोन दे देगा. जॉइंट होम लोन लेने में ज्यादा फायदा देता है. इस प्रक्रिया के लिए बैंक दोनों की आय और सिबिल स्कोर को देखते हुए होम लोन देने पर विचार करते है. जॉइंट होम लोन लेने पर लोन अप्रूव होने के चांस बढ़ जाते हैं. अगर सह-आवेदक महिला होती है तो कुछ बैंक इंटरेस्ट रेट में आधे फीसदी तक छूट भी देती है.

बिना सिबिल स्कोर पर भी मिलेगा लोन पर चुकाना होगा ज्यादा ब्याज : किसी गारंटी पर लिए गए लोन को सिक्योर्ड लोन कहते हैं. इसके तहत कोई भी व्‍यक्ति प्रॉपर्टी, गोल्ड, या PPF आदि पर लोन ले सकता है. अनसिक्‍योर्ड लोन कि तुलना में सिक्योर्ड लोन के लिए नियम आसान होते हैं. वहीं, बैंक में लोन के लिए अप्लाई करने के बाद बैंक आपकी फिक्स ऑब्लिगेशन टू इनकम रेशियो (FOIR) चेक करता है. इससे पता चलता है कि आप हर महीने लोन के लिए किस्त के तौर पर कितने रुपये दे सकते हैं. आपकी पहले से जा रही ईएमआई, घर का कि‍राया, बीमा पॉलि‍सी और दूसरे भुगतान मौजूदा आय का कि‍तना फीसदी है. यदि ये सभी खर्च सैलरी के 50% से ज्यदा हैं तो आपकी लोन एप्‍लि‍केशन रि‍जेक्‍ट कर सकता है.

NBFC में करें अप्लाई : एनबीएफसी यानी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी एक कंपनी अधिनियम 1956 के अंतर्गत पंजीकृत फाइनेंसियल कंपनी है. यह एक बैंक की तरह ही काम करती है. बैंक से लोन न मिलने पर आप यहां आवेदन कर सकते हैं. हालांकि यहां भी आपको ज्यादा ब्याज चुकाना पड़ेगा.

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लखनऊ : हर आदमी के मन में एक इच्छा होती है कि एक दिन उसका अपना घर हो. इसके लिए कड़ी मेहनत और फाइनेंशियल प्लानिंग (Financial Planning) के साथ लोग बचत, लोन व अन्य दूसरे लीगल पहलुओं पर भी पूरा ध्यान देते हैं. साथ ही लोग किराए पर रहने के दौरान मकान मालिक से होने वाली किचकिच और अन्य परेशानियों से भी बचने के लिए अपना मकान लेना चाहते हैं. लेकिन अधिकतर लोगों को पता ही नहीं होता है कि वह जितना किराया अपने मकान मालिक को दे रहे हैं उतने ही पैसों में अपनी जरूरत के हिसाब से छोटा या बड़ा घर खरीद सकते हैं. एक रिपोर्ट..

किराए पर रहने वालों को अक्सर ही घर बदलने की समस्या झेलनी पड़ती है. इससे सामान की बर्बादी तो होती ही है पैसों और समय की भी बर्बादी होती है. इससे पहले नया मकान खोजने की जद्दोजहद होती है, सो अलग. पर यदि आप अपना मकान होम लोन पर लेते हैं तो आपको आपके बजट के हिसाब से किराए के पैसों में ही नया मकान मिल जाता है. फिर लोन के ईएमआई के अनुपात में आपके मकान की जो कीमत बढ़ती है वो अलग ही आपको फायदा देती है. इसलिए अपना मकान खरीदना किराए से बेहतर समझा जाता है. वैसे भी रियल एस्टेट एक सुरक्षित निवेश माना जाता है. इसमें कैपिटल की वृद्धि और टैक्स लाभ की भी संभावना रहती है.

'सपनों का घर' बनाते वक्त न बिगाड़ें अपना बजट, याद रखें ये बात

मध्यम वर्ग जब भी नया मकान लेने की सोचता है तो वह अफोर्डेबल विला या अपार्टमेंट को ही पसंद करता है. वैसे भी अफॉर्डेबल या स्टैंडर्ड, लक्जरी फ्लैट या विला में अंतर केवल मॉड्यूलर किचन की क्वालिटी, ब्रांडेड एप्लायंसेस, कमरों में फाल्स सीलिंग, मार्बल फ्लोरिंग, टाइल्स की क्वालिटी, स्विच ,वायर्स के ब्रांड , सेनेटरी वेयर के ब्रांडों में ही होता है. बाकी बेसिक चीजें समान स्टैंडर्ड के ही होते हैं.

अफॉर्डेबल या लक्जरी में से पहले करें किसी एक का चुनाव : अपनी कमाई के हिसाब से यह तय करना चाहिए कि आपको अफोर्डेबल हाउस चाहिए या फिर आप लक्जरी फ्लैट चाहते हैं. मकान में वुडन फ्लोरिंग से लेकर टाइल्स वर्क, फर्नीचर इत्यादि पर भी काफी खर्च होता है.

घर खरीदते समय इन बातों का ध्यान जरूरी

कराएं पक्की रजिस्ट्री : अगर आप घर खरीदने जा रहे हैं तो उसकी पक्की रजिस्ट्री ही कराएं. जमीन लाल डोरे में न हो. अगर जमीन की पक्की रजिस्ट्री नहीं है तो आपको ऐसी जमीन नहीं लेनी चाहिए क्योंकि इससे आपको बाद में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. इसके अलावा घर खरीदते समय आपको टाइटल सर्टिफिकेट के बारे में जान लेना चाहिए कि क्या ये क्लियर है. दरअसल, इससे पता चलता है कि प्रॉपर्टी का चेन डेवलप हुआ है और क्या असल में इस प्रॉपर्टी का टाइटल डेवलपर के पास है या नहीं. वहीं, जमीन पर होने वाले रिडेवलपमेंट के लिए आप डेवलपमेंट एग्रीमेंट भी जरूर चेक करें.

लोकल अथॉरिटी से मंजूर होना चाहिए प्रोजेक्ट : मकान खरीदते समय यह जरूर चेक करें कि अपका विला, मकान, प्लाट या अपार्टमेंट का प्रोजेक्ट लोकल अथॉरिटी से अप्रूव हो. साथ ही अपार्टमेंट या विला अप्रूव नक्शे के हिसाब से बनाया गया हो. ये जरूर देखें कि जो घर बना है वो प्लान के तहत बना है या नहीं. इसके अलावा फ्लोर को नक्शे के हिसाब से बनाया गया है या नहीं.

लीगल एक्सपर्ट की सलाह जरूरी : घर खरीदते समय आपको लीगल एक्सपर्ट से जरूर सलाह लेनी चाहिए. आप ऐसे लोगों से भी सलाह ले सकते हैं जिन्हें आप अच्छे से जानते हों. जो प्रॉपर्टी के बारे में अच्छी जानकारी रखते हों. इससे आपको घर के बारे में सही जानकारी मिल सकेगी और आप जान सकेंगे कि आपको ये घर खरीदना चाहिए या नहीं.

मार्केट में कई जगहों पर दाम और सुविधओं का करें तुलनात्मक अध्ययन : कहीं भी मकान, फ्लैट, विला या अन्य कोई प्रापर्टी खरीदने में कोई जल्दीबाजी न करें. कई प्रापर्टी, वहां की लोकैलिटि, वहां दी जाने वाली सुविधा और नक्शा आदि पास होने जैसे तथ्यों का गहराई से अध्ययन करने के बाद ही प्रापर्टी की खरीद को फाइनल करें.

ऐसे करें होम लोन के लिए अप्लाई : अक्सर होम लोन के लिए अप्लाई करते समय खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. बैंक के अधिकारी आपको लगातार दौड़ाते रहते हैं और आपको लोन नहीं मिल पाता. यही नहीं, अगर आपका सिबिल स्कोर अच्छा नहीं है या फिर आपकी टेक होम सैलरी ईएमआई का 45 से 50 फीसदी हो तो भी बैंक आपको लोन नहीं देता. ऐसे में इन तरीकों का इस्तेमाल कर लोन लिया जा सकता है...

सिबिल स्कोर का रखें ध्यान : सिबिल स्कोर से आपकी क्रेडिट हिस्ट्री का पता चलता है. आपको लोन दिलाने में इसकी अहम भूमिका होती है. इसके जरिए बैंक ये देखते हैं कि आपने पहले लोन लिया है या क्रेडिट कार्ड आदि का किस तरह इस्तेमाल किया है. क्रेडिट स्कोर रीपेमेंट हिस्ट्री, क्रेडिट इस्तेमाल का अनुपात, मौजूदा लोन और बिलों के समय पर पेमेंट से पता चलता है. क्रेडिट स्कोर नियमित रूप से चेक करें ताकि आप इसमें समय रहते सुधार कर सकें.

लोन अमाउंट कम रखें और जॉइट एकाउंट पर लें लोन : कम लोन अमाउंट रखने से घर में आपका कॉन्ट्रिब्‍यूशन ज्‍यादा हो जाएगा. इससे बैंक का जोखिम भी कम होगा. इसकी वजह से कोई भी बैंक आपको आसानी से लोन दे देगा. जॉइंट होम लोन लेने में ज्यादा फायदा देता है. इस प्रक्रिया के लिए बैंक दोनों की आय और सिबिल स्कोर को देखते हुए होम लोन देने पर विचार करते है. जॉइंट होम लोन लेने पर लोन अप्रूव होने के चांस बढ़ जाते हैं. अगर सह-आवेदक महिला होती है तो कुछ बैंक इंटरेस्ट रेट में आधे फीसदी तक छूट भी देती है.

बिना सिबिल स्कोर पर भी मिलेगा लोन पर चुकाना होगा ज्यादा ब्याज : किसी गारंटी पर लिए गए लोन को सिक्योर्ड लोन कहते हैं. इसके तहत कोई भी व्‍यक्ति प्रॉपर्टी, गोल्ड, या PPF आदि पर लोन ले सकता है. अनसिक्‍योर्ड लोन कि तुलना में सिक्योर्ड लोन के लिए नियम आसान होते हैं. वहीं, बैंक में लोन के लिए अप्लाई करने के बाद बैंक आपकी फिक्स ऑब्लिगेशन टू इनकम रेशियो (FOIR) चेक करता है. इससे पता चलता है कि आप हर महीने लोन के लिए किस्त के तौर पर कितने रुपये दे सकते हैं. आपकी पहले से जा रही ईएमआई, घर का कि‍राया, बीमा पॉलि‍सी और दूसरे भुगतान मौजूदा आय का कि‍तना फीसदी है. यदि ये सभी खर्च सैलरी के 50% से ज्यदा हैं तो आपकी लोन एप्‍लि‍केशन रि‍जेक्‍ट कर सकता है.

NBFC में करें अप्लाई : एनबीएफसी यानी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी एक कंपनी अधिनियम 1956 के अंतर्गत पंजीकृत फाइनेंसियल कंपनी है. यह एक बैंक की तरह ही काम करती है. बैंक से लोन न मिलने पर आप यहां आवेदन कर सकते हैं. हालांकि यहां भी आपको ज्यादा ब्याज चुकाना पड़ेगा.

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Last Updated : Apr 20, 2022, 9:45 PM IST
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