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लखनऊ विश्वविद्यालय में बीटेक छात्रों को क्लाउड कंप्यूटिंग के दिए गए टिप्स

लखनऊ विश्वविद्यालय में बीटेक छात्रों के लिए बुधवार को स्टूडेंट डेवलपमेंट प्रोग्राम का आयोजन किया गया. इस दौरान छात्रों को क्लाउड कम्यूटिंग के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई.

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लखनऊ विश्वविद्यालय.
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Published : Nov 11, 2020, 10:21 PM IST

लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय के इंजीनियरिंग विभाग और जयपुरिया प्रबंध संस्थान की ओर से क्लाउड कंप्यूटिंग एंड वर्ल्ड ऑफ बिजनेस विषय पर स्टूडेंट डेवलपमेंट प्रोग्राम आयोजित किया गया. कार्यक्रम का आयोजन बीटेक छात्रों के लिए किया गया था, जिसमें क्लाउड कंप्यूटिंग के बारे में विस्तार से चर्चा की गई.

इस डेवलपमेंट प्रोग्राम में एक्सपर्ट डॉ. प्रीतम सुमन ने बताया कि क्लाउड कंप्यूटिंग के माध्यम से यूजर ऑनलाइन कार्यों का संपादन करने के लिए सुदूर स्थित डाटा सेंटर की सूचनाओं को प्रयोग कर सकते हैं. उदाहरण के तौर पर ऑनलाइन वीडियो, फोटो एडिटिंग सॉफ्टवेयर, एंटीवायरस एप्लीकेशन, ऑनलाइन फाइल कनवर्टर, ई-कॉमर्स एप्लीकेशन, डेटा बैकअप और रिकवरी समेत क्लाउड कंप्यूटिंग के तहत कार्य करते हैं. दरअसल, क्लाउड कंप्यूटिंग के तहत क्लाउड स्टोरेज शामिल होता है, जिसमें कोई व्यक्ति अपने निजी सूचनाएं व डेटा को सुरक्षित रख सकता है.

डॉ. प्रीतम सुमन ने बताया कि गूगल ड्राइव, ड्रॉपबॉक्स, आई क्लाउड अन्य क्लाउड स्टोरेज की सुविधा प्रदान करने वाले एप्लीकेशन है. यह डेटा सेंटर (क्लाउड) पूरे विश्व में कुछ स्थानों पर स्थित है, जहां डेटा को संग्रहित व प्रोसेस किया जाता है. विश्व के अधिकांश डेटा सेंटर गूगल, माइक्रोसॉफ्ट समेत अन्य प्रमुख तकनीकी कंपनियों की ओर से संचालित किए जाते हैं. इस स्टूडेंट डेवलपमेंट प्रोग्राम का आयोजन इंजीनियरिंग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. हिमांशु पांडे व जयपुरिया प्रबंध संस्थान के अंकुर अवस्थी के सहयोग से कराया गया.

लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय के इंजीनियरिंग विभाग और जयपुरिया प्रबंध संस्थान की ओर से क्लाउड कंप्यूटिंग एंड वर्ल्ड ऑफ बिजनेस विषय पर स्टूडेंट डेवलपमेंट प्रोग्राम आयोजित किया गया. कार्यक्रम का आयोजन बीटेक छात्रों के लिए किया गया था, जिसमें क्लाउड कंप्यूटिंग के बारे में विस्तार से चर्चा की गई.

इस डेवलपमेंट प्रोग्राम में एक्सपर्ट डॉ. प्रीतम सुमन ने बताया कि क्लाउड कंप्यूटिंग के माध्यम से यूजर ऑनलाइन कार्यों का संपादन करने के लिए सुदूर स्थित डाटा सेंटर की सूचनाओं को प्रयोग कर सकते हैं. उदाहरण के तौर पर ऑनलाइन वीडियो, फोटो एडिटिंग सॉफ्टवेयर, एंटीवायरस एप्लीकेशन, ऑनलाइन फाइल कनवर्टर, ई-कॉमर्स एप्लीकेशन, डेटा बैकअप और रिकवरी समेत क्लाउड कंप्यूटिंग के तहत कार्य करते हैं. दरअसल, क्लाउड कंप्यूटिंग के तहत क्लाउड स्टोरेज शामिल होता है, जिसमें कोई व्यक्ति अपने निजी सूचनाएं व डेटा को सुरक्षित रख सकता है.

डॉ. प्रीतम सुमन ने बताया कि गूगल ड्राइव, ड्रॉपबॉक्स, आई क्लाउड अन्य क्लाउड स्टोरेज की सुविधा प्रदान करने वाले एप्लीकेशन है. यह डेटा सेंटर (क्लाउड) पूरे विश्व में कुछ स्थानों पर स्थित है, जहां डेटा को संग्रहित व प्रोसेस किया जाता है. विश्व के अधिकांश डेटा सेंटर गूगल, माइक्रोसॉफ्ट समेत अन्य प्रमुख तकनीकी कंपनियों की ओर से संचालित किए जाते हैं. इस स्टूडेंट डेवलपमेंट प्रोग्राम का आयोजन इंजीनियरिंग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. हिमांशु पांडे व जयपुरिया प्रबंध संस्थान के अंकुर अवस्थी के सहयोग से कराया गया.

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