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हाथी पर सवार होकर विधान परिषद पहुंचेगा भाजपा का 11वां उम्मीदवार!

उत्तर प्रदेश में विधान परिषद की 12 सीटों के लिए होने वाले चुनाव को लेकर पार्टियां गुणा गणित में लग गई हैं. भाजपा जल्द ही अपने उम्मीदवारों के नाम घोषित करेगी. ऐसे में बसपा के भाजपा के समर्थन में जाने के कयास लगाए जा रहे हैं.

स्वतंत्र देव सिंह
स्वतंत्र देव सिंह
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Published : Jan 12, 2021, 3:00 PM IST

लखनऊः यूपी में विधान परिषद की रिक्त 12 सीटों पर हो रहे चुनाव के लिए सरगर्मियां तेज हो गयी है. सत्ताधारी पार्टी भाजपा प्रत्याशी घोषित करने के लिए मंथन में जुटी है. पार्टी जल्द ही उम्मीदवारों की घोषणा करेगी. इस बार विधान परिषद के चुनाव में बसपा भाजपा को समर्थन करती दिखाई दे रही है. बसपा के इस चुनाव से दूरी बनाकर रहने की पूरी उम्मीद है. सवाल उठता है आखिर बसपा भाजपा की मदद करके कौन सा उधार चुकाएगी. ऐसे में यह कहा जा सकता है कि भाजपा का उम्मीदवार हाथी पर सवार होकर विधान परिषद पहुंचेगा.

राज्यसभा में मिले समर्थन का हिसाब चुकता
इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमें थोड़ा पीछे चलना होगा. दरअसल, पिछले अक्टूबर-नवंबर में राज्यसभा की 10 सीटों के लिए हुए चुनाव में भारतीय जनता पार्टी नौ सीटें जीत सकती थी लेकिन पार्टी ने केवल आठ सीटों पर ही उम्मीदवार उतारे. नौंवी सीट पर भारतीय जनता पार्टी का समर्थन बहुजन समाज पार्टी को गया. 18 विधायकों वाली पार्टी अपना एक सदस्य राज्यसभा भेजने में सफल रही. उस वक्त बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने कहा था कि वक्त आने पर समर्थन देने वाली पार्टी का हिसाब चुकता किया जाएगा.

लिहाजा अब यह कयास लगाया जा रहा है कि इस चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अपना उम्मीदवार मैदान में नहीं उतारेगी. बसपा का समर्थन भारतीय जनता पार्टी के 11वें प्रत्याशी को होगा. इस लिहाज से बसपा अपना उधार चुकता करेगी. समाजवादी पार्टी के खाते में एक सीट जाती दिख रही है. भाजपा और बसपा के बीच की इस केमिस्ट्री को 2022 के चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है. सत्ता के गलियारे में भाजपा और बसपा के संबंधों को लेकर खूब चर्चा भी रही है. वरिष्ठ पत्रकार अनिल भारद्वाज कहते हैं कि राज्यसभा के चुनाव में जो रणनीति बनाई गई थी, उसका यह परिणाम है. सियासी गलियारों में यह बिना गठबंधन के गठबंधन माना जाएगा.

भाजपा की जल्द आएगी सूची
भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश चुनाव समिति ने पिछले दिनों बैठक करके पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह को संभावित नामों की सूची केंद्र को भेजने के लिए अधिकृत किया है. पार्टी सूत्रों की माने तो 11 सीटों के लिए करीब 75 नामों पर चर्चा की गई है. इनमें से कुछ नामों का चयन करके प्रदेश अध्यक्ष केंद्रीय चुनाव समिति को भेजेंगे. केंद्रीय चुनाव समिति की मुहर लगते ही पार्टी प्रदेश में विधान परिषद के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा करेगी. पार्टी जातीय संतुलन के साथ-साथ क्षेत्रीय संतुलन को साधने का पूरा प्रयास कर रही है. भाजपा के प्रदेश में छह सांगठनिक क्षेत्र हैं और सभी क्षेत्रों से उम्मीदवारों का चयन किया जाएगा. आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए पार्टी उम्मीदवारों का चयन करेगी. भाजपा चाहती है कि ऐसे नाम का चयन किया जाए जो अपने क्षेत्र और समाज के बीच एक मैसेज दे सकते हों.

लखनऊः यूपी में विधान परिषद की रिक्त 12 सीटों पर हो रहे चुनाव के लिए सरगर्मियां तेज हो गयी है. सत्ताधारी पार्टी भाजपा प्रत्याशी घोषित करने के लिए मंथन में जुटी है. पार्टी जल्द ही उम्मीदवारों की घोषणा करेगी. इस बार विधान परिषद के चुनाव में बसपा भाजपा को समर्थन करती दिखाई दे रही है. बसपा के इस चुनाव से दूरी बनाकर रहने की पूरी उम्मीद है. सवाल उठता है आखिर बसपा भाजपा की मदद करके कौन सा उधार चुकाएगी. ऐसे में यह कहा जा सकता है कि भाजपा का उम्मीदवार हाथी पर सवार होकर विधान परिषद पहुंचेगा.

राज्यसभा में मिले समर्थन का हिसाब चुकता
इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमें थोड़ा पीछे चलना होगा. दरअसल, पिछले अक्टूबर-नवंबर में राज्यसभा की 10 सीटों के लिए हुए चुनाव में भारतीय जनता पार्टी नौ सीटें जीत सकती थी लेकिन पार्टी ने केवल आठ सीटों पर ही उम्मीदवार उतारे. नौंवी सीट पर भारतीय जनता पार्टी का समर्थन बहुजन समाज पार्टी को गया. 18 विधायकों वाली पार्टी अपना एक सदस्य राज्यसभा भेजने में सफल रही. उस वक्त बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने कहा था कि वक्त आने पर समर्थन देने वाली पार्टी का हिसाब चुकता किया जाएगा.

लिहाजा अब यह कयास लगाया जा रहा है कि इस चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अपना उम्मीदवार मैदान में नहीं उतारेगी. बसपा का समर्थन भारतीय जनता पार्टी के 11वें प्रत्याशी को होगा. इस लिहाज से बसपा अपना उधार चुकता करेगी. समाजवादी पार्टी के खाते में एक सीट जाती दिख रही है. भाजपा और बसपा के बीच की इस केमिस्ट्री को 2022 के चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है. सत्ता के गलियारे में भाजपा और बसपा के संबंधों को लेकर खूब चर्चा भी रही है. वरिष्ठ पत्रकार अनिल भारद्वाज कहते हैं कि राज्यसभा के चुनाव में जो रणनीति बनाई गई थी, उसका यह परिणाम है. सियासी गलियारों में यह बिना गठबंधन के गठबंधन माना जाएगा.

भाजपा की जल्द आएगी सूची
भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश चुनाव समिति ने पिछले दिनों बैठक करके पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह को संभावित नामों की सूची केंद्र को भेजने के लिए अधिकृत किया है. पार्टी सूत्रों की माने तो 11 सीटों के लिए करीब 75 नामों पर चर्चा की गई है. इनमें से कुछ नामों का चयन करके प्रदेश अध्यक्ष केंद्रीय चुनाव समिति को भेजेंगे. केंद्रीय चुनाव समिति की मुहर लगते ही पार्टी प्रदेश में विधान परिषद के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा करेगी. पार्टी जातीय संतुलन के साथ-साथ क्षेत्रीय संतुलन को साधने का पूरा प्रयास कर रही है. भाजपा के प्रदेश में छह सांगठनिक क्षेत्र हैं और सभी क्षेत्रों से उम्मीदवारों का चयन किया जाएगा. आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए पार्टी उम्मीदवारों का चयन करेगी. भाजपा चाहती है कि ऐसे नाम का चयन किया जाए जो अपने क्षेत्र और समाज के बीच एक मैसेज दे सकते हों.

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