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इन दो मुस्लिम नेताओं से है मायावती को उम्मीद, निकाय चुनाव में दौड़ेगा हाथी

यूपी निकाय चुनाव (up municipal election 2022) से पहले मायावती को दो बड़े मुस्लिम नेता मिल गए हैं. मायावती को इन नेताओं से उम्मीद है कि ये दोनों नेता उनकी पार्टी को मजबूत करने में मदद करेंगे. आइए जानते है इन दोनों नेताओं के बारे में...

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Published : Oct 23, 2022, 8:20 PM IST

लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती को दो बड़े मुस्लिम नेता मिल गए हैं और ऐसे में उनकी उम्मीद भी जाग गई है कि इन दोनों नेताओं के भरोसे आगामी निकाय चुनाव (up municipal election 2022) में बहुजन समाज पार्टी का हाथी तेजी से दौड़ेगा. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इमरान मसूद (BSP Imran Masood) तो पूर्वांचल में शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली (Shah Alam alias Guddu Jamali) बहुजन समाज पार्टी को मजबूत करेंगे. मायावती को भरोसा है कि निकाय चुनाव के साथ ही आगामी लोकसभा चुनाव में भी यह दोनों नेता मुस्लिमों को बसपा के साथ जोड़ने में कामयाब होंगे.

बता दें कि आजमगढ़ सीट पर लोकसभा उपचुनाव होने से ठीक पहले शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली ने बसपा में वापसी की थी. हाल ही में इमरान मसूद ने सपा का दामन छोड़ बसपा के हाथी की सवारी की है. इन दोनों नेताओं का बसपा को फायदा मिल सकता है. इस तरह की उम्मीद को सपा सिरे से खारिज कर रही है.

पूर्व नेताओं के बारे में बोलते सपा प्रवक्ता (विधायक) रविदास मेहरोत्रा

उत्तर प्रदेश में 2022 के विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आजमगढ़ लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया और यह सीट खाली हो गई. इसके बाद इस सीट पर लोकसभा का उपचुनाव हुआ. समाजवादी पार्टी की तरफ से धर्मेंद्र यादव को प्रत्याशी बनाया गया जबकि भारतीय जनता पार्टी ने दिनेश लाल यादव निरहुआ को टिकट दिया. बहुजन समाज पार्टी के पास उस समय तक कोई ऐसा चेहरा नहीं था, जिसे इस सीट पर उतारा जा सके. अचानक बसपा सुप्रीमो मायावती अपने पुराने विश्वसनीय शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली पर मेहरबान हुई. पार्टी में फिर से उनकी वापसी कराई और तत्काल आजमगढ़ लोकसभा सीट के लिए प्रत्याशी घोषित कर दिया. हालांकि इस चुनाव में शाह आलम तीसरे नंबर पर रहे, लेकिन उन्होंने अच्छे वोट हासिल किए और बसपा को मजबूत किया. दिनेश लाल यादव ने इस सीट पर कमल खिलाने में कामयाबी हासिल की.

पूर्वांचल में बहुजन समाज पार्टी को फिर से एक बड़ा मुस्लिम चेहरा मिल गया और मायावती अब निकाय चुनाव में पूर्वांचल में गुड्डू जमाली के दम पर मुस्लिम मतदाताओं को लेकर आशान्वित हैं. निकाय चुनाव लोकसभा चुनाव से पहले लिटमस टेस्ट की तरह हैं. अगर पूर्वांचल में बसपा अपने मुस्लिम नेता गुड्डू जमाली कदम पर अच्छे वोट हासिल करने में कामयाब होती है तो लोकसभा चुनाव में निश्चित तौर पर इसका फायदा पार्टी को मिलेगा.

पश्चिम में इमरान से उम्मीद

2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस पार्टी छोड़कर इमरान मसूद ने समाजवादी पार्टी की साइकिल की सवारी कर ली थी. मसूद इस उम्मीद के साथ समाजवादी पार्टी में आए थे कि उन्हें अखिलेश यादव विधानसभा चुनाव का टिकट देंगे, मगर अखिलेश ने उनकी उम्मीद पर पानी फेर दिया. जब टिकट नहीं मिला तो इमरान मसूद को लगा कि अखिलेश यादव उन्हें एमएलसी बना देंगे. लेकिन ऐसा भी नहीं हुआ. आखिरकार इमरान को समझ आ गया कि समाजवादी पार्टी ज्वाइन करना उनके लिए सही सौदा साबित नहीं हुआ. लिहाजा, तीन दिन पहले ही समाजवादी पार्टी छोड़कर इमरान मसूद ने बहुजन समाज पार्टी के हाथी की सवारी कर ली.

बसपा मुखिया मायावती पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एक बड़े कद वाले मुस्लिम नेता की तलाश भी थी. इमरान मसूद ने मायावती की तलाश को पूरा कर दिया और अब बसपा सुप्रीमो आगामी निकाय चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इमरान मसूद के भरोसे हैं. माया को पूरी उम्मीद है इमरान मसूद बहुजन समाज पार्टी को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जरूर मजबूत करेंगे. निकाय चुनावों में बसपा मजबूत होगी तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनावों में भी अच्छा प्रदर्शन करेगी. निकाय चुनाव इमरान मसूद के लिए अग्निपरीक्षा भी हैं.

बसपा से रुखसत हो चुके हैं ये बड़े नेता

बहुजन समाज पार्टी के बड़े मुस्लिम नेताओं के पार्टी छोड़ देने की बात करें तो एक बड़ा नाम था- नसीमुद्दीन सिद्दीकी. जो अब कांग्रेस के साथ हैं. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर से बसपा के कद्दावर मुस्लिम नेता कादिर राणा ने 2022 यूपी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बहुजन समाज पार्टी को अलविदा कहकर समाजवादी पार्टी ज्वाइन कर ली. इसके बाद मुजफ्फरनगर में बसपा के पास एक भी बड़ा मुस्लिम नेता नहीं बचा, जिसके सहारे मायावती मुस्लिमों को अपने पास रोक सकें. कादिर राणा से पहले उनके छोटे भाई और पूर्व विधायक नूर सलीम राणा ने भी बसपा को अलविदा कहकर आरएलडी का दामन थाम लिया था. मीरापुर से बसपा विधायक रहे मौलाना जमील अहमद कासमी भी अब आरएलडी के साथ हैं. पूर्व विधायक नवाजिश आलम और उनके पिता व पूर्व सांसद अमीर आलम ने भी बसपा को अलविदा कह दिया था.

सहारनपुर में बसपा के दिग्गज नेता रहे माजिद अली भी बसपा छोड़ चुके हैं. बिजनौर में पूर्व विधायक शेख सुलेमान बसपा से सपा में शामिल हो चुके हैं. बहुजन समाज पार्टी से दो बार के विधायक रहे शेख मोहम्मद गाजी भी चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी में शामिल हो चुके हैं. शहनवाज राणा भी पहले ही बसपा छोड आरएलडी में शामिल हो चुके हैं.

क्या कहते हैं सपा विधायक

बहुजन समाज पार्टी को दो बड़े मुस्लिम नेताओं के मिलने से आगामी चुनावों में बसपा को इसका फायदा मिलेगा? इस सवाल पर समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता और विधायक रविदास मेहरोत्रा कहते हैं कि उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी भारतीय जनता पार्टी की बी टीम के रूप में काम कर रही है. भाजपा को फायदा पहुंचाने के लिए मुस्लिम नेताओं को अपने साथ ले रही है. लेकिन इसका कोई फायदा बहुजन समाज पार्टी को नहीं मिलेगा. प्रदेश की जनता समाजवादी पार्टी के साथ हैं और अगले चुनावों में समाजवादी पार्टी का ही साथ देगी. हमें उम्मीद है कि जनता के सहयोग से समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव प्रधानमंत्री बनेंगे.

यह भी पढ़ें: लोकसभा उपचुनाव : बसपा की रणनीति ने फेरा सपा के सपनों पर पानी

लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती को दो बड़े मुस्लिम नेता मिल गए हैं और ऐसे में उनकी उम्मीद भी जाग गई है कि इन दोनों नेताओं के भरोसे आगामी निकाय चुनाव (up municipal election 2022) में बहुजन समाज पार्टी का हाथी तेजी से दौड़ेगा. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इमरान मसूद (BSP Imran Masood) तो पूर्वांचल में शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली (Shah Alam alias Guddu Jamali) बहुजन समाज पार्टी को मजबूत करेंगे. मायावती को भरोसा है कि निकाय चुनाव के साथ ही आगामी लोकसभा चुनाव में भी यह दोनों नेता मुस्लिमों को बसपा के साथ जोड़ने में कामयाब होंगे.

बता दें कि आजमगढ़ सीट पर लोकसभा उपचुनाव होने से ठीक पहले शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली ने बसपा में वापसी की थी. हाल ही में इमरान मसूद ने सपा का दामन छोड़ बसपा के हाथी की सवारी की है. इन दोनों नेताओं का बसपा को फायदा मिल सकता है. इस तरह की उम्मीद को सपा सिरे से खारिज कर रही है.

पूर्व नेताओं के बारे में बोलते सपा प्रवक्ता (विधायक) रविदास मेहरोत्रा

उत्तर प्रदेश में 2022 के विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आजमगढ़ लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया और यह सीट खाली हो गई. इसके बाद इस सीट पर लोकसभा का उपचुनाव हुआ. समाजवादी पार्टी की तरफ से धर्मेंद्र यादव को प्रत्याशी बनाया गया जबकि भारतीय जनता पार्टी ने दिनेश लाल यादव निरहुआ को टिकट दिया. बहुजन समाज पार्टी के पास उस समय तक कोई ऐसा चेहरा नहीं था, जिसे इस सीट पर उतारा जा सके. अचानक बसपा सुप्रीमो मायावती अपने पुराने विश्वसनीय शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली पर मेहरबान हुई. पार्टी में फिर से उनकी वापसी कराई और तत्काल आजमगढ़ लोकसभा सीट के लिए प्रत्याशी घोषित कर दिया. हालांकि इस चुनाव में शाह आलम तीसरे नंबर पर रहे, लेकिन उन्होंने अच्छे वोट हासिल किए और बसपा को मजबूत किया. दिनेश लाल यादव ने इस सीट पर कमल खिलाने में कामयाबी हासिल की.

पूर्वांचल में बहुजन समाज पार्टी को फिर से एक बड़ा मुस्लिम चेहरा मिल गया और मायावती अब निकाय चुनाव में पूर्वांचल में गुड्डू जमाली के दम पर मुस्लिम मतदाताओं को लेकर आशान्वित हैं. निकाय चुनाव लोकसभा चुनाव से पहले लिटमस टेस्ट की तरह हैं. अगर पूर्वांचल में बसपा अपने मुस्लिम नेता गुड्डू जमाली कदम पर अच्छे वोट हासिल करने में कामयाब होती है तो लोकसभा चुनाव में निश्चित तौर पर इसका फायदा पार्टी को मिलेगा.

पश्चिम में इमरान से उम्मीद

2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस पार्टी छोड़कर इमरान मसूद ने समाजवादी पार्टी की साइकिल की सवारी कर ली थी. मसूद इस उम्मीद के साथ समाजवादी पार्टी में आए थे कि उन्हें अखिलेश यादव विधानसभा चुनाव का टिकट देंगे, मगर अखिलेश ने उनकी उम्मीद पर पानी फेर दिया. जब टिकट नहीं मिला तो इमरान मसूद को लगा कि अखिलेश यादव उन्हें एमएलसी बना देंगे. लेकिन ऐसा भी नहीं हुआ. आखिरकार इमरान को समझ आ गया कि समाजवादी पार्टी ज्वाइन करना उनके लिए सही सौदा साबित नहीं हुआ. लिहाजा, तीन दिन पहले ही समाजवादी पार्टी छोड़कर इमरान मसूद ने बहुजन समाज पार्टी के हाथी की सवारी कर ली.

बसपा मुखिया मायावती पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एक बड़े कद वाले मुस्लिम नेता की तलाश भी थी. इमरान मसूद ने मायावती की तलाश को पूरा कर दिया और अब बसपा सुप्रीमो आगामी निकाय चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इमरान मसूद के भरोसे हैं. माया को पूरी उम्मीद है इमरान मसूद बहुजन समाज पार्टी को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जरूर मजबूत करेंगे. निकाय चुनावों में बसपा मजबूत होगी तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनावों में भी अच्छा प्रदर्शन करेगी. निकाय चुनाव इमरान मसूद के लिए अग्निपरीक्षा भी हैं.

बसपा से रुखसत हो चुके हैं ये बड़े नेता

बहुजन समाज पार्टी के बड़े मुस्लिम नेताओं के पार्टी छोड़ देने की बात करें तो एक बड़ा नाम था- नसीमुद्दीन सिद्दीकी. जो अब कांग्रेस के साथ हैं. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर से बसपा के कद्दावर मुस्लिम नेता कादिर राणा ने 2022 यूपी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बहुजन समाज पार्टी को अलविदा कहकर समाजवादी पार्टी ज्वाइन कर ली. इसके बाद मुजफ्फरनगर में बसपा के पास एक भी बड़ा मुस्लिम नेता नहीं बचा, जिसके सहारे मायावती मुस्लिमों को अपने पास रोक सकें. कादिर राणा से पहले उनके छोटे भाई और पूर्व विधायक नूर सलीम राणा ने भी बसपा को अलविदा कहकर आरएलडी का दामन थाम लिया था. मीरापुर से बसपा विधायक रहे मौलाना जमील अहमद कासमी भी अब आरएलडी के साथ हैं. पूर्व विधायक नवाजिश आलम और उनके पिता व पूर्व सांसद अमीर आलम ने भी बसपा को अलविदा कह दिया था.

सहारनपुर में बसपा के दिग्गज नेता रहे माजिद अली भी बसपा छोड़ चुके हैं. बिजनौर में पूर्व विधायक शेख सुलेमान बसपा से सपा में शामिल हो चुके हैं. बहुजन समाज पार्टी से दो बार के विधायक रहे शेख मोहम्मद गाजी भी चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी में शामिल हो चुके हैं. शहनवाज राणा भी पहले ही बसपा छोड आरएलडी में शामिल हो चुके हैं.

क्या कहते हैं सपा विधायक

बहुजन समाज पार्टी को दो बड़े मुस्लिम नेताओं के मिलने से आगामी चुनावों में बसपा को इसका फायदा मिलेगा? इस सवाल पर समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता और विधायक रविदास मेहरोत्रा कहते हैं कि उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी भारतीय जनता पार्टी की बी टीम के रूप में काम कर रही है. भाजपा को फायदा पहुंचाने के लिए मुस्लिम नेताओं को अपने साथ ले रही है. लेकिन इसका कोई फायदा बहुजन समाज पार्टी को नहीं मिलेगा. प्रदेश की जनता समाजवादी पार्टी के साथ हैं और अगले चुनावों में समाजवादी पार्टी का ही साथ देगी. हमें उम्मीद है कि जनता के सहयोग से समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव प्रधानमंत्री बनेंगे.

यह भी पढ़ें: लोकसभा उपचुनाव : बसपा की रणनीति ने फेरा सपा के सपनों पर पानी

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