![लखनऊ के इस गेट से अंग्रेजों ने की थी एंट्री.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/15-08-2023/19263464_apnspl1.jpg)
लखनऊ : यूपी की राजधानी लखनऊ में तमाम ऐसी ऐतिहासिक धरोहर हैं, जिनका ताल्लुक 1857 की स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई से है. जिसमें से एक है चंदरनगर गेट. जी हां, आलमबाग में स्थित यह इमारत आज चंदरनगर गेट के नाम से जानी जाती है. आपको बता दें, यह चंदरनगर गेट वास्तव में आलमबाग कोठी का दरवाजा है. यह कोठी लखनऊ के नवाब वाजिद अली शाह ने अपनी बेगम आलम आरा (आजम बहू) के लिए बनवाई थी. बाद में यह कोठी आजादी की लड़ाइयों में उजड़ गई, लेकिन इसका फाटक अब भी बाकी है.
![लखनऊ की विरासतें.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/15-08-2023/19263464_apnspl2.jpg)
![लखनऊ के इस गेट से अंग्रेजों ने की थी एंट्री.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/15-08-2023/19263464_apnspl3.jpg)
बता दें, कुछ साल पहले नवीनीकरण किया गया था, लेकिन दोनों संरचनाएं दयनीय स्थिति में हैं. सरकारी उदासीनता से आस-पास विभिन्न प्रकार की दुकानदारों का अतिक्रमण हो गया है. 1947 में यह स्थान पाकिस्तान से आए शरणार्थियों से बसाया गया था. वर्ष 2017 में इस शहर में आगामी मेट्रो परियोजना के लिए रास्ता बनाने के लिए शहर के अधिकारियों द्वारा आलमबाग गेट के पास मंगल बाजार और विभिन्न दुकानों को हटा दिया गया था. स्मारक मार्गदर्शन नियमों के अनुसार स्मारक स्थल से 300 मीटर के दायरे में कोई भी भवन या निर्माण गतिविधियां नहीं होनी चाहिए. बहरहाल अतिक्रमणकारियों को इन दिशा निर्देशों का रत्ती भर भी परवाह नहीं है.
![लखनऊ क्रांति की ऐतिहासिक धरोहरें.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/15-08-2023/up-luc-01-historical-place-lucknow-special-7209871_14082023152520_1408f_1692006920_290.jpg)
![लखनऊ क्रांति की ऐतिहासिक धरोहरें.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/15-08-2023/up-luc-01-historical-place-lucknow-special-7209871_14082023152520_1408f_1692006920_194.jpg)
![लखनऊ क्रांति की ऐतिहासिक धरोहरें.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/15-08-2023/up-luc-01-historical-place-lucknow-special-7209871_14082023152520_1408f_1692006920_592.jpg)
इतिहासकार हाफिज किदवई ने बताया कि चंदर नगर गेट आजादी की लड़ाई का एक अहम हिस्सा रहा है. रेजीडेंसी सीज होने के बाद अंग्रेज आलमबाग के रास्ते शहर में प्रवेश कर रहे थे. यहां मौलवी अहमद उल्लाह शाह और अंग्रेजों के बीच युद्ध हुआ, जिसमें अंग्रेजों की हार हुई. बताते हैं सर हेनरी हैवलॉक यहीं बीमार हुए थे, जिनकी मृत्यु दिलकुशा में हुई थी. मौत के बाद उन्हें यहीं दिलकुशा के करीब स्थित कब्रिस्तान में दफन किया गया था. प्रथम स्वाधीनता संग्राम के अंतिम पड़ाव में अंग्रेजों ने इसी फाटक को किले के रूप में प्रयोग किया और कई क्रांतिकारियों को फांसी दी गई. इसके बाद से इसे फांसी दरवाजा के नाम से जाना जाने लगा था.
![लखनऊ क्रांति की ऐतिहासिक धरोहरें.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/15-08-2023/up-luc-01-historical-place-lucknow-special-7209871_14082023152520_1408f_1692006920_770.jpg)
![लखनऊ क्रांति की ऐतिहासिक धरोहरें.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/15-08-2023/up-luc-01-historical-place-lucknow-special-7209871_14082023152520_1408f_1692006920_1110.jpg)
कुछ प्रभावशाली इमारतें जो इसका हिस्सा नहीं थीं, वे भी विद्रोह के दौरान क्षतिग्रस्त हो गईं. यह भारतीय सेनानियों द्वारा नहीं, बल्कि ब्रिटिश सैनिकों द्वारा किया गया था, जिन्होंने इमारतों को लूटा और उन्हें भारी नुकसान पहुंचाया. इतना ही नहीं बल्कि उन्होंने भारतीय मूल निवासियों पर जहर और नफरत उगली. आलमबाग पैलेस ने स्वतंत्रता के पहले युद्ध के दौरान अन्य स्थलों की तुलना में कम भूमिका नहीं निभाई. रानी के लिए बनाया गया आलीशान महल भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों और ब्रिटिश आक्रमणकारियों दोनों के काम आया. भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा इस जगह पर अच्छी तरह से लिखा हुआ है जो अब क्षतिग्रस्त अवस्था में है. राज्य सरकार को न केवल आलमबाग महल बल्कि अन्य ऐतिहासिक स्मारकों के जीर्णोद्धार और संरक्षण के लिए समर्पित प्रयास करना चाहिए.
![लखनऊ क्रांति की ऐतिहासिक धरोहरें.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/15-08-2023/up-luc-01-historical-place-lucknow-special-7209871_14082023152520_1408f_1692006920_451.jpg)
![लखनऊ क्रांति की ऐतिहासिक धरोहरें.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/15-08-2023/up-luc-01-historical-place-lucknow-special-7209871_14082023152520_1408f_1692006920_370.jpg)
दिलकुशा में है जनरल हैवलॉक की समाधि : स्वतंत्रता संग्राम के लड़ाई के दौरान लखनऊ (कभी अवध साम्राज्य की राजधानी) का यह क्षेत्र 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान तीव्र स्वतंत्रता संग्राम और हिंसा का दृश्य था, जो मेरठ छावनी से शुरू हुआ था. भारतीय सेनानियों ने सितंबर 1857 तक दमनकारी अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए कुछ इमारतों को सैन्य चौकी के रूप में इस्तेमाल किया. जनरल हैवलॉक के नेतृत्व में ईआईसी की सेना ने अंत में महल और अन्य स्थानों पर नियंत्रण कर लिया और घायलों के इलाज के लिए सैन्य अस्पताल में परिवर्तित कर दिया. 23 नवंबर को अंग्रेज जनरल की दिलकुशा में मृत्यु हो गई और अगले दिन उसे यहीं दफनाया गया. जनरल हैवलॉक की याद में उनके रिश्तेदारों द्वारा यहां एक मकबरा भी बनवाया गया था.