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बृजलाल खाबरी बिना कोई परीक्षा दिए ही प्रदेश अध्यक्ष पद से हुए आउट, इन दो नेताओं के समय भी नहीं हुआ चुनाव

उत्तर प्रदेश की राजनीतिक डगर कांग्रेस के लिए काफी चुनौती पूर्ण है. पिछले कई चुनावों में प्रयोगों के भरमार रही जो अब भी जारी है. अब प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी बनारस के कद्दावर नेता अजय राय को दी गई है.

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Published : Aug 22, 2023, 1:01 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष के पद की जिम्मेदारी बनारस के कद्दावर नेता अजय राय को सौंपी गई है. कांग्रेस अगले आठ महीने में होने जा रहे लोकसभा चुनाव 2024 इन्हीं की अगुवाई में लड़ने की तैयारी शुरू होगी. उत्तर प्रदेश कांग्रेस के इतिहास में बृजलाल खाबरी को जब प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था तब उम्मीद थी कि पार्टी उन्हीं की अगुवाई में 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ेगी.

कांग्रेस की परिपाटी को देखा जाए तो जो भी नेता प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठता है तो वह कम से कम एक विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनाव उसके नेतृत्व में लड़ा जाता है. उस चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन के आधार पर यह देखा जाता है कि मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष पार्टी के लिए ठीक है या नहीं. मगर बृजलाल खाबरी लोकसभा चुनाव से पहले ही पार्टी के अध्यक्ष पद से विदाई दे दी गई. ऐसे में बीते 10 महीने में उनके द्वारा लोकसभा चुनाव लड़ने की जो भी तैयारी पार्टी स्तर पर की गई थी वह धरी रह गई. बृजलाल खाबरी कांग्रेस पार्टी के उन गिने-चुने प्रदेश अध्यक्षों की सूची में शामिल हो गए हैं. जो प्रदेश अध्यक्ष तो रहे पर उन्हें अपने काम को दिखाने का मौका नहीं मिला या यह कहें कि उनकी अगुवाई में पार्टी ने कोई भी बड़ा चुनाव नहीं लड़ा. बृजलाल खाबरी के अलावा 2 प्रदेश अध्यक्ष और रहे जो अपने कार्यकाल में कोई बड़ा चुनाव नहीं लड़ सके.

2022 के विधानसभा चुनाव कांग्रेस पार्टी ने तमकुही राज से विधायक अजय कुमार लल्लू की अध्यक्षता में लड़ा था. इस चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन 2017 में हुए विधानसभा चुनाव के प्रदर्शन से भी खराब रहा था. जहां 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी के पास आठ विधायक और 6% से अधिक वोट थे तो वहीं 2022 के विधानसभा चुनाव में प्रदर्शन गिर कर दो विधायक और दो प्रतिशत के वोट के आसपास आ गया. इतना ही नहीं खुद प्रदेश अध्यक्ष अपने विधानसभा स्वीट भी नहीं बचा पाए थे. ऐसे में कांग्रेस के आला कमान ने अजय कुमार लल्लू को हटाकर अक्टूबर 2022 में बसपा से आए पूर्व सांसद और दलित चेहरे बृजलाल खाबरी को प्रदेश की कमान सौंप दी. इसके साथ ही उत्तर प्रदेश को 6 जोन में बांटकर 6 प्रांतीय अध्यक्ष की भी नियुक्ति कर दिया था, पर बृजलाल खाबरी के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद उन्हें प्रदेश का संगठन नहीं तैयार करने दिया गया. इसके उलट उनके और प्रियंका गांधी के करीबियों के बीच में मतभेद की खबरें बाहर आने लगीं.

कांग्रेस पार्टी के नेताओं का कहना था कि हालात ऐसे हो गए थे कि कांग्रेस के लोग खुद ही कहने लगे थे कि उन्हें एक जुझारू व्यक्तित्व का नेता चाहिए. बृजलाल खाबरी का व्यक्तित्व जुझारू था, लेकिन वह नेता के तौर पर इतने सक्रिय और जुझारू नहीं दिखते थे. यही उनके प्रदेश अध्यक्ष पद से हटने का एक बड़ा कारण बना. किसी के साथ ही वह उन प्रदेश अध्यक्षों की सूची में तीसरे प्रदेश अध्यक्ष बन गए हैं. जिनकी अगवाई में कांग्रेस ने कोई भी विधानसभा या लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा था. बृजलाल खाबरी के अलावा राजेंद्र कुमारी बाजपेई (वर्ष 1991 से 92) और अरुण कुमार सिंह "मुन्ना" (वर्ष 2002 से 2003) ऐसे प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं जिनकी अगुवाई में कांग्रेस ने कोई भी लोकसभा या विधानसभा जैसा बड़ा चुनाव नहीं लड़ा. इन राजेंद्र कुमारी वाजपेई दो से तीन महीने ही प्रदेश अध्यक्ष के पद पर रही थीं. अरुण कुमार सिंह मुन्ना करीब 9 महीने प्रदेश अध्यक्ष रहे. वहीं बृजलाल खाबरी करीब 10 महीने तक प्रदेश अध्यक्ष के पद पर रहे हैं.


अजय लल्लू के कार्यकाल में कांग्रेस का सबसे खराब प्रदर्शन

लोकसभा चुनाव 2019 के बाद कांग्रेस की कमान ने उत्तर प्रदेश में सामाजिक न्याय के मुद्दे पर जोर देते हुए उत्तर प्रदेश में एक नई प्रयोग की शुरुआत की. कांग्रेस पार्टी ने प्रियंका गांधी को जहां उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाकर भेजा. वहीं अजय कुमार लल्लू को प्रदेश का कार्यभार सौंप दिया. इन दोनों नेताओं की जुगलबंदी का असली परिणाम विधानसभा चुनाव 2022 में हुआ. पार्टी को उम्मीद थी कि प्रियंका गांधी के छवि और अजय कुमार लल्लू के नेतृत्व में पार्टी 2017 के विधानसभा से अच्छा प्रदर्शन करेगी पर इस विधानसभा चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन बहुत ही शर्मनाक रहा और पार्टी विधानसभा में 8 से 2 सीटों पर आ गई. साथ ही वोट प्रतिशत 6 से घटकर दो प्रतिशत ही रह गया. अ

जय कुमार लालू से पहले उत्तर प्रदेश कांग्रेस की कमान फिल्म अभिनेता राज बब्बर के हाथ में थी. इनके अगुवाई में पार्टी ने 2017 का विधानसभा चुनाव और 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ा था. 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को जहां 8 विधानसभा जीतने में सफलता मिली. वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी अमेठी लोकसभा सीट तक नहीं बचा पाई थी. जहां से खुद राहुल गांधी प्रत्याशी थे. पार्टी को लोकसभा में केवल एक ही सीट मिला था. राज बब्बर से पहले पार्टी की कमान निर्मल खत्री के पास थी इनकी अगुवाई में पार्टी ने 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ा था और इस चुनाव में पार्टी को लोकसभा में 2009 में मिले लोकसभा के 21 सीटों की की अपेक्षा केवल 2 सीटें ही जीतने में कामयाबी मिली थी.

निर्मल खत्री से पहले 2009 से लेकर 2012 तक उत्तर प्रदेश कांग्रेस की कमान कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंती नंदन बहुगुणा की बेटी रीता बहुगुणा जोशी के पास थी. रीता बहुगुणा की अगुवाई में पार्टी ने 2012 के विधानसभा चुनाव और 2009 का लोकसभा चुनाव लड़ा था. वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने अप्रत्याशित तौर पर प्रदर्शन करते हुए 21 लोकसभा सीट जीती थी. जबकि विधानसभा में पार्टी को करीब 17 सीट मिली थीं. वहीं रीता बहुगुणा जोशी से पहले पार्टी की कमान जगदंबिका पाल के हाथ में थी. इनके नेतृत्व में पार्टी ने 2007 विधानसभा चुनाव लड़ा था.

जगदंबिका पाल से पहले सलमान खुर्शीद 1999 और 2004 में पार्टी के दो बार प्रदेश अध्यक्ष रहे थे. इस दौरान पार्टी ने विधानसभा और लोकसभा के चुनाव लड़े थे. जिसमें 2004 के लोकसभा चुनाव में पार्टी की केंद्र की सत्ता में वापसी हुई थी. बृजलाल खाबरी के पूरे कार्यकाल में कांग्रेस ने केवल 2023 में हुए नगर निकाय चुनाव उनके नेतृत्व में लड़ा था. अगर इस चुनाव की बात करें तो इसमें उन्हें बीते निकाय चुनाव की तुलना में मत प्रतिशत भी बढ़ा था और पार्टी 17 नगर निगम के मेयर चुनाव में 4 पर दूसरे नंबर पर आ गई थी जो लंबे समय से कांग्रेस के नगर निगम के चुनाव में अब तक का सबसे सकारात्मक परिणाम रहा था.

यह भी पढ़ें : जिम कॉर्बेट के यूपी वाले हिस्से को टाइगर रिजर्व बनाएगी सरकार, योगी कैबिनेट में आज होगा फैसला

लखनऊ : उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष के पद की जिम्मेदारी बनारस के कद्दावर नेता अजय राय को सौंपी गई है. कांग्रेस अगले आठ महीने में होने जा रहे लोकसभा चुनाव 2024 इन्हीं की अगुवाई में लड़ने की तैयारी शुरू होगी. उत्तर प्रदेश कांग्रेस के इतिहास में बृजलाल खाबरी को जब प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था तब उम्मीद थी कि पार्टी उन्हीं की अगुवाई में 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ेगी.

कांग्रेस की परिपाटी को देखा जाए तो जो भी नेता प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठता है तो वह कम से कम एक विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनाव उसके नेतृत्व में लड़ा जाता है. उस चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन के आधार पर यह देखा जाता है कि मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष पार्टी के लिए ठीक है या नहीं. मगर बृजलाल खाबरी लोकसभा चुनाव से पहले ही पार्टी के अध्यक्ष पद से विदाई दे दी गई. ऐसे में बीते 10 महीने में उनके द्वारा लोकसभा चुनाव लड़ने की जो भी तैयारी पार्टी स्तर पर की गई थी वह धरी रह गई. बृजलाल खाबरी कांग्रेस पार्टी के उन गिने-चुने प्रदेश अध्यक्षों की सूची में शामिल हो गए हैं. जो प्रदेश अध्यक्ष तो रहे पर उन्हें अपने काम को दिखाने का मौका नहीं मिला या यह कहें कि उनकी अगुवाई में पार्टी ने कोई भी बड़ा चुनाव नहीं लड़ा. बृजलाल खाबरी के अलावा 2 प्रदेश अध्यक्ष और रहे जो अपने कार्यकाल में कोई बड़ा चुनाव नहीं लड़ सके.

2022 के विधानसभा चुनाव कांग्रेस पार्टी ने तमकुही राज से विधायक अजय कुमार लल्लू की अध्यक्षता में लड़ा था. इस चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन 2017 में हुए विधानसभा चुनाव के प्रदर्शन से भी खराब रहा था. जहां 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी के पास आठ विधायक और 6% से अधिक वोट थे तो वहीं 2022 के विधानसभा चुनाव में प्रदर्शन गिर कर दो विधायक और दो प्रतिशत के वोट के आसपास आ गया. इतना ही नहीं खुद प्रदेश अध्यक्ष अपने विधानसभा स्वीट भी नहीं बचा पाए थे. ऐसे में कांग्रेस के आला कमान ने अजय कुमार लल्लू को हटाकर अक्टूबर 2022 में बसपा से आए पूर्व सांसद और दलित चेहरे बृजलाल खाबरी को प्रदेश की कमान सौंप दी. इसके साथ ही उत्तर प्रदेश को 6 जोन में बांटकर 6 प्रांतीय अध्यक्ष की भी नियुक्ति कर दिया था, पर बृजलाल खाबरी के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद उन्हें प्रदेश का संगठन नहीं तैयार करने दिया गया. इसके उलट उनके और प्रियंका गांधी के करीबियों के बीच में मतभेद की खबरें बाहर आने लगीं.

कांग्रेस पार्टी के नेताओं का कहना था कि हालात ऐसे हो गए थे कि कांग्रेस के लोग खुद ही कहने लगे थे कि उन्हें एक जुझारू व्यक्तित्व का नेता चाहिए. बृजलाल खाबरी का व्यक्तित्व जुझारू था, लेकिन वह नेता के तौर पर इतने सक्रिय और जुझारू नहीं दिखते थे. यही उनके प्रदेश अध्यक्ष पद से हटने का एक बड़ा कारण बना. किसी के साथ ही वह उन प्रदेश अध्यक्षों की सूची में तीसरे प्रदेश अध्यक्ष बन गए हैं. जिनकी अगवाई में कांग्रेस ने कोई भी विधानसभा या लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा था. बृजलाल खाबरी के अलावा राजेंद्र कुमारी बाजपेई (वर्ष 1991 से 92) और अरुण कुमार सिंह "मुन्ना" (वर्ष 2002 से 2003) ऐसे प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं जिनकी अगुवाई में कांग्रेस ने कोई भी लोकसभा या विधानसभा जैसा बड़ा चुनाव नहीं लड़ा. इन राजेंद्र कुमारी वाजपेई दो से तीन महीने ही प्रदेश अध्यक्ष के पद पर रही थीं. अरुण कुमार सिंह मुन्ना करीब 9 महीने प्रदेश अध्यक्ष रहे. वहीं बृजलाल खाबरी करीब 10 महीने तक प्रदेश अध्यक्ष के पद पर रहे हैं.


अजय लल्लू के कार्यकाल में कांग्रेस का सबसे खराब प्रदर्शन

लोकसभा चुनाव 2019 के बाद कांग्रेस की कमान ने उत्तर प्रदेश में सामाजिक न्याय के मुद्दे पर जोर देते हुए उत्तर प्रदेश में एक नई प्रयोग की शुरुआत की. कांग्रेस पार्टी ने प्रियंका गांधी को जहां उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाकर भेजा. वहीं अजय कुमार लल्लू को प्रदेश का कार्यभार सौंप दिया. इन दोनों नेताओं की जुगलबंदी का असली परिणाम विधानसभा चुनाव 2022 में हुआ. पार्टी को उम्मीद थी कि प्रियंका गांधी के छवि और अजय कुमार लल्लू के नेतृत्व में पार्टी 2017 के विधानसभा से अच्छा प्रदर्शन करेगी पर इस विधानसभा चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन बहुत ही शर्मनाक रहा और पार्टी विधानसभा में 8 से 2 सीटों पर आ गई. साथ ही वोट प्रतिशत 6 से घटकर दो प्रतिशत ही रह गया. अ

जय कुमार लालू से पहले उत्तर प्रदेश कांग्रेस की कमान फिल्म अभिनेता राज बब्बर के हाथ में थी. इनके अगुवाई में पार्टी ने 2017 का विधानसभा चुनाव और 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ा था. 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को जहां 8 विधानसभा जीतने में सफलता मिली. वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी अमेठी लोकसभा सीट तक नहीं बचा पाई थी. जहां से खुद राहुल गांधी प्रत्याशी थे. पार्टी को लोकसभा में केवल एक ही सीट मिला था. राज बब्बर से पहले पार्टी की कमान निर्मल खत्री के पास थी इनकी अगुवाई में पार्टी ने 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ा था और इस चुनाव में पार्टी को लोकसभा में 2009 में मिले लोकसभा के 21 सीटों की की अपेक्षा केवल 2 सीटें ही जीतने में कामयाबी मिली थी.

निर्मल खत्री से पहले 2009 से लेकर 2012 तक उत्तर प्रदेश कांग्रेस की कमान कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंती नंदन बहुगुणा की बेटी रीता बहुगुणा जोशी के पास थी. रीता बहुगुणा की अगुवाई में पार्टी ने 2012 के विधानसभा चुनाव और 2009 का लोकसभा चुनाव लड़ा था. वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने अप्रत्याशित तौर पर प्रदर्शन करते हुए 21 लोकसभा सीट जीती थी. जबकि विधानसभा में पार्टी को करीब 17 सीट मिली थीं. वहीं रीता बहुगुणा जोशी से पहले पार्टी की कमान जगदंबिका पाल के हाथ में थी. इनके नेतृत्व में पार्टी ने 2007 विधानसभा चुनाव लड़ा था.

जगदंबिका पाल से पहले सलमान खुर्शीद 1999 और 2004 में पार्टी के दो बार प्रदेश अध्यक्ष रहे थे. इस दौरान पार्टी ने विधानसभा और लोकसभा के चुनाव लड़े थे. जिसमें 2004 के लोकसभा चुनाव में पार्टी की केंद्र की सत्ता में वापसी हुई थी. बृजलाल खाबरी के पूरे कार्यकाल में कांग्रेस ने केवल 2023 में हुए नगर निकाय चुनाव उनके नेतृत्व में लड़ा था. अगर इस चुनाव की बात करें तो इसमें उन्हें बीते निकाय चुनाव की तुलना में मत प्रतिशत भी बढ़ा था और पार्टी 17 नगर निगम के मेयर चुनाव में 4 पर दूसरे नंबर पर आ गई थी जो लंबे समय से कांग्रेस के नगर निगम के चुनाव में अब तक का सबसे सकारात्मक परिणाम रहा था.

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