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KGMU में ब्रेस्ट कैंसर सपोर्ट ग्रुप मीटिंग का आयोजन, ब्रेस्ट कैंसर फाइटर्स ने साझा किए अनुभव

लखनऊ केजीएमयू में ब्रेस्ट कैंसर सपोर्ट मीटिंग का आयोजन किया गया. इस मीटिंग में कैंसर से ठीक हो चुकीं महिलाएं और ब्रेस्ट कैंसर से जूझ रहे मरीजों के बीच मीटिंग की जाती है. इसमें कैंसर से ठीक हुईं महिलाएं अपना अनुभव साझा कर वर्तमान मरीजों की मानसिक परेशानियों को कम करने में मदद करती हैं.

ब्रेस्ट कैंसर सपोर्ट ग्रुप मीटिंग का आयोजन
ब्रेस्ट कैंसर सपोर्ट ग्रुप मीटिंग का आयोजन
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Published : Aug 8, 2020, 4:56 AM IST

लखनऊ: ब्रेस्ट कैंसर से जूझ रहे मरीजों के लिए केजीएमयू में एक मुहिम की शुरुआत की गई है. किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के एंडोक्राइन सर्जरी विभाग में ब्रेस्ट कैंसर के मरीजों का इलाज किया जाता है. इलाज के साथ ही कुछ महीनों पहले यहां पर एक मुहिम छेड़ी गई है. यहां पर ब्रेस्ट कैंसर से ठीक हुए मरीजों और वर्तमान मरीजों की मीटिंग कराई जाती है. इसमें ब्रेस्ट कैंसर के मरीज कैंसर से ठीक हुए मरीजों से उनके अनुभव जानकर अपनी मानसिक परेशानियों को कम करने में मदद पाते हैं.

ब्रेस्ट कैंसर सपोर्ट ग्रुप मीटिंग का आयोजन.
कैंसर सर्वाइवर के लिए कैंसर सपोर्ट ग्रुप मीटिंग
कोरोना काल से पहले तक हर महीने के पहले हफ्ते में केजीएमयू के एंडोक्राइन सर्जरी विभाग में ब्रेस्ट कैंसर से ठीक हुए लोगों और वर्तमान मरीजों का तांता लगा रहता था, क्योंकि यह मौका होता था 'ब्रेस्ट कैंसर सपोर्ट ग्रुप' की मीटिंग का. इस दिन सभी एक साथ बैठते थे और तमाम तरह की बातें और अनुभव साझा करते थे. कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते यह मीटिंग ऑफलाइन न होकर अब ऑनलाइन होने लगी है, लेकिन इस वर्चुअल मीटिंग में भी कैंसर से ठीक हो चुके फाइटर्स और ब्रेस्ट कैंसर से जूझ रहे वर्तमान मरीजों का जज्बा देखने लायक होता है.
हर महीने होती है ऑनलाइन मीटिंग

अब भी सभी हर महीने इस मीटिंग का बेसब्री से इंतजार करते हैं और इसकी तैयारियों में जुटे रहते हैं. गुरुवार को भी एंडोक्राइन सर्जरी विभाग में यह मीटिंग की गई. इस महीने की मीटिंग का थीम 'सावन' रखा गया था. जिसमें ब्रेस्ट कैंसर फाइटर्स और मरीजों ने तमाम सवाल-जवाब डॉक्टरों से किए और साथ ही सावन थीम से जुड़े हुए कई रंगारंग कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए.

केजीएमयू एंडोक्राइन सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर आनंद मिश्रा कहते हैं कि स्तन कैंसर की बीमारी से जूझ रहे मरीज जिनका इलाज अब पूरा हो चुका है और अब वह सामान्य जीवन जी रहे हैं उन्हें हम फाइटर्स कहते हैं. इसके अलावा ब्रेस्ट कैंसर के वर्तमान मरीजों के इलाज की प्रक्रिया काफी थकाऊ और लंबी चलती है. इस दौरान उन्हें कई तरह की मानसिक परेशानियां रहती हैं, चिंता रहती है, दुविधा रहती है कि सरकारी अस्पतालों में कैंसर पूरी तरह से ठीक हो सकता है या नहीं और वे पूरी तरह से ठीक हो पाएंगे कभी या नहीं.

मानसिक स्थिति बेहतर करने का उद्देश्य
इस तरह के तमाम सवाल उनके मन में चलते हैं. इस वजह से हम 'लखनऊ कैंसर सपोर्ट ग्रुप' के माध्यम से ब्रेस्ट कैंसर से ठीक हो चुके और वर्तमान में इलाज करवा रहे मरीजों की एक साथ मीटिंग करवाते हैं. कोरोना काल से पहले यह मीटिंग फिजिकली होती थी, जिसमें सभी लोग एक जगह इकट्ठा होकर एक-दूसरे के अनुभव जानते और समझते थे. अब इस वक्त यह मीटिंग ऑनलाइन गूगल मीट के सहारे की जा रही है. इस मीटिंग का मुख्य उद्देश्य यही होता है कि जो मरीज ब्रेस्ट कैंसर का इलाज करवाकर सामान्य जीवन जी रहे हैं. वह खुद में वापस आए कॉन्फिडेंस और अनुभव को साझा कर सकें, ताकि वर्तमान के मरीजों की मानसिक स्थिति बेहतर हो सके.

प्रोफेसर आनंद कहते हैं कि ब्रेस्ट कैंसर से ठीक हो चुके लोग और वर्तमान मरीज इस मीटिंग में शामिल होते हैं और जिस भी व्यक्ति या मरीज को किसी भी तरह की परेशानी होती है वह उसे साझा करते हैं और उसका हाल बताया जाता है. इसके साथ ही इस मीटिंग का एक उद्देश्य यह भी होता है कि कैंसर फाइटर्स और मरीज के बीच हम कुछ खुशियां बांट सकें, ताकि कुछ समय के लिए वह अपनी बीमारी भूलकर कुछ सुखद अनुभूति कर सकें. हम इस कार्यक्रम को कुछ अलग रंग देने की कोशिश करते हैं. इस कार्यक्रम में कैंसर की बात न कर अपने टैलेंट शो करते हैं. अपने अनुभव बताते हैं और हर महीने यह मीटिंग की जाती है.

सावन थीम के तहत हुई मीटिंग
इससे हर महीने इन फाइटर्स और मरीजों को कुछ नई बातें भी सीखने को मिल जाती हैं और साथ ही उनके अंदर एक कॉन्फिडेंस भी आता है. उनके जिजीविषा को जिंदा रखने के लिए इस सेक्शन का नाम हमने 'होप टॉक्स' का नाम दिया है. गुरुवार को हुई इस मीटिंग में सावन थीम के तहत ब्रेस्ट कैंसर से उबरे लोगों ने मीटिंग को हरा-भरा बनाए रखने की कोशिश की. एक कैंसर से ठीक हुई महिला ने कुमाऊनी गीत गाया, तो वहीं एक अन्य ने खाने की एक रेसिपी बताई. किसी अन्य ने बर्फ से शिवलिंग बनाने के तरीके बताए.

इस मीटिंग में किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी की सीनियर डायटिशियन डॉ. शालिनी श्रीवास्तव भी शामिल हुईं. जिन्होंने ब्रेस्ट कैंसर के मरीजों और कैंसर से ठीक हुए लोगों को संतुलित आहार और बेहतर खान-पान के तरीके भी बताए. डॉ शालिनी ने परंपरागत भारतीय व्यंजनों से कैंसर मरीजों को अवरोधक शक्ति बढ़ाने के बारे में भी बताया. अगस्त महीने की इस मीटिंग को गूगल मीट प्लेटफार्म पर आयोजित किया गया था. खास बात यह रही कि इस मीटिंग में उत्तर प्रदेश के साथ ही विदेश से भी ब्रेस्ट कैंसर के मरीज और ब्रेस्ट कैंसर से ठीक हुए लोग शामिल हुए.

लखनऊ: ब्रेस्ट कैंसर से जूझ रहे मरीजों के लिए केजीएमयू में एक मुहिम की शुरुआत की गई है. किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के एंडोक्राइन सर्जरी विभाग में ब्रेस्ट कैंसर के मरीजों का इलाज किया जाता है. इलाज के साथ ही कुछ महीनों पहले यहां पर एक मुहिम छेड़ी गई है. यहां पर ब्रेस्ट कैंसर से ठीक हुए मरीजों और वर्तमान मरीजों की मीटिंग कराई जाती है. इसमें ब्रेस्ट कैंसर के मरीज कैंसर से ठीक हुए मरीजों से उनके अनुभव जानकर अपनी मानसिक परेशानियों को कम करने में मदद पाते हैं.

ब्रेस्ट कैंसर सपोर्ट ग्रुप मीटिंग का आयोजन.
कैंसर सर्वाइवर के लिए कैंसर सपोर्ट ग्रुप मीटिंग
कोरोना काल से पहले तक हर महीने के पहले हफ्ते में केजीएमयू के एंडोक्राइन सर्जरी विभाग में ब्रेस्ट कैंसर से ठीक हुए लोगों और वर्तमान मरीजों का तांता लगा रहता था, क्योंकि यह मौका होता था 'ब्रेस्ट कैंसर सपोर्ट ग्रुप' की मीटिंग का. इस दिन सभी एक साथ बैठते थे और तमाम तरह की बातें और अनुभव साझा करते थे. कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते यह मीटिंग ऑफलाइन न होकर अब ऑनलाइन होने लगी है, लेकिन इस वर्चुअल मीटिंग में भी कैंसर से ठीक हो चुके फाइटर्स और ब्रेस्ट कैंसर से जूझ रहे वर्तमान मरीजों का जज्बा देखने लायक होता है.
हर महीने होती है ऑनलाइन मीटिंग

अब भी सभी हर महीने इस मीटिंग का बेसब्री से इंतजार करते हैं और इसकी तैयारियों में जुटे रहते हैं. गुरुवार को भी एंडोक्राइन सर्जरी विभाग में यह मीटिंग की गई. इस महीने की मीटिंग का थीम 'सावन' रखा गया था. जिसमें ब्रेस्ट कैंसर फाइटर्स और मरीजों ने तमाम सवाल-जवाब डॉक्टरों से किए और साथ ही सावन थीम से जुड़े हुए कई रंगारंग कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए.

केजीएमयू एंडोक्राइन सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर आनंद मिश्रा कहते हैं कि स्तन कैंसर की बीमारी से जूझ रहे मरीज जिनका इलाज अब पूरा हो चुका है और अब वह सामान्य जीवन जी रहे हैं उन्हें हम फाइटर्स कहते हैं. इसके अलावा ब्रेस्ट कैंसर के वर्तमान मरीजों के इलाज की प्रक्रिया काफी थकाऊ और लंबी चलती है. इस दौरान उन्हें कई तरह की मानसिक परेशानियां रहती हैं, चिंता रहती है, दुविधा रहती है कि सरकारी अस्पतालों में कैंसर पूरी तरह से ठीक हो सकता है या नहीं और वे पूरी तरह से ठीक हो पाएंगे कभी या नहीं.

मानसिक स्थिति बेहतर करने का उद्देश्य
इस तरह के तमाम सवाल उनके मन में चलते हैं. इस वजह से हम 'लखनऊ कैंसर सपोर्ट ग्रुप' के माध्यम से ब्रेस्ट कैंसर से ठीक हो चुके और वर्तमान में इलाज करवा रहे मरीजों की एक साथ मीटिंग करवाते हैं. कोरोना काल से पहले यह मीटिंग फिजिकली होती थी, जिसमें सभी लोग एक जगह इकट्ठा होकर एक-दूसरे के अनुभव जानते और समझते थे. अब इस वक्त यह मीटिंग ऑनलाइन गूगल मीट के सहारे की जा रही है. इस मीटिंग का मुख्य उद्देश्य यही होता है कि जो मरीज ब्रेस्ट कैंसर का इलाज करवाकर सामान्य जीवन जी रहे हैं. वह खुद में वापस आए कॉन्फिडेंस और अनुभव को साझा कर सकें, ताकि वर्तमान के मरीजों की मानसिक स्थिति बेहतर हो सके.

प्रोफेसर आनंद कहते हैं कि ब्रेस्ट कैंसर से ठीक हो चुके लोग और वर्तमान मरीज इस मीटिंग में शामिल होते हैं और जिस भी व्यक्ति या मरीज को किसी भी तरह की परेशानी होती है वह उसे साझा करते हैं और उसका हाल बताया जाता है. इसके साथ ही इस मीटिंग का एक उद्देश्य यह भी होता है कि कैंसर फाइटर्स और मरीज के बीच हम कुछ खुशियां बांट सकें, ताकि कुछ समय के लिए वह अपनी बीमारी भूलकर कुछ सुखद अनुभूति कर सकें. हम इस कार्यक्रम को कुछ अलग रंग देने की कोशिश करते हैं. इस कार्यक्रम में कैंसर की बात न कर अपने टैलेंट शो करते हैं. अपने अनुभव बताते हैं और हर महीने यह मीटिंग की जाती है.

सावन थीम के तहत हुई मीटिंग
इससे हर महीने इन फाइटर्स और मरीजों को कुछ नई बातें भी सीखने को मिल जाती हैं और साथ ही उनके अंदर एक कॉन्फिडेंस भी आता है. उनके जिजीविषा को जिंदा रखने के लिए इस सेक्शन का नाम हमने 'होप टॉक्स' का नाम दिया है. गुरुवार को हुई इस मीटिंग में सावन थीम के तहत ब्रेस्ट कैंसर से उबरे लोगों ने मीटिंग को हरा-भरा बनाए रखने की कोशिश की. एक कैंसर से ठीक हुई महिला ने कुमाऊनी गीत गाया, तो वहीं एक अन्य ने खाने की एक रेसिपी बताई. किसी अन्य ने बर्फ से शिवलिंग बनाने के तरीके बताए.

इस मीटिंग में किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी की सीनियर डायटिशियन डॉ. शालिनी श्रीवास्तव भी शामिल हुईं. जिन्होंने ब्रेस्ट कैंसर के मरीजों और कैंसर से ठीक हुए लोगों को संतुलित आहार और बेहतर खान-पान के तरीके भी बताए. डॉ शालिनी ने परंपरागत भारतीय व्यंजनों से कैंसर मरीजों को अवरोधक शक्ति बढ़ाने के बारे में भी बताया. अगस्त महीने की इस मीटिंग को गूगल मीट प्लेटफार्म पर आयोजित किया गया था. खास बात यह रही कि इस मीटिंग में उत्तर प्रदेश के साथ ही विदेश से भी ब्रेस्ट कैंसर के मरीज और ब्रेस्ट कैंसर से ठीक हुए लोग शामिल हुए.

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