लखनऊः कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद के भाजपा में शामिल होते ही उनकी अपनी गठित की गई 'ब्राह्मण चेतना परिषद' में ही विरोध शुरू हो गया है. परिषद के पदाधिकारी इस्तीफा देने लगे हैं. आरोप लगा रहे हैं कि जिस सरकार के खिलाफ ब्राह्मणों की लड़ाई लड़ने को लेकर परिषद का गठन किया गया था, उसके मुखिया उसी पार्टी में जा मिले.
पदाधिकारियों का कहना है कि ऐसी परिषद में रहने का औचित्य ही क्या है? पार्टी के उन्नाव के जिला अध्यक्ष कमलेश तिवारी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. इसके अलावा जब ब्राह्मण चेतना परिषद की डिस्प्ले पिक्चर जितिन प्रसाद ने चेंज की तो यहां पर भी उनके पक्ष में कम बल्कि विपक्ष में ज्यादा लोगों की आवाजें मुखर हो गईं.
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परिषद के उन्नाव जिला अध्यक्ष कमलेश तिवारी ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पंडित विश्वदीप अवस्थी को अपना इस्तीफा भेज दिया है. उन्होंने अपने इस्तीफे में साफ तौर पर लिखा है कि जिस विचारधारा के खिलाफ ब्राह्मणों की आवाज बनने निकले थे, उन्हें न्याय दिलाने निकले थे, जब वही रास्ते से भटक गए हैं तो इस परिषद में रहने का कोई अर्थ नहीं बचता है. आप मेरा इस्तीफा स्वीकार करें. जिला अध्यक्ष कमलेश तिवारी के इस्तीफे के बाद अब और भी सदस्यों के ब्राह्मण चेतना परिषद छोड़ने की उम्मीद जताई जा रही है.
नड्डा के साथ जितिन ने डाली फोटो, सदस्यों को नहीं आई रास
भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन करने के बाद जितिन प्रसाद ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ ब्राह्मण चेतना परिषद पर अपनी फोटो डाली. इसके बाद उन्हें बधाइयां कम मिलीं, जलालत ज्यादा झेलनी पड़ी. तमाम सदस्यों ने कमेंट करने शुरू कर दिए. उन्होंने जितिन के इस कदम की जमकर निंदा की. अमर दुबे की विधवा खुशी दुबे का प्रकरण उठाया गया. कहा गया कि इसी सरकार में खुशी दुबे का कोई अपराध न होने के बावजूद सिर्फ ब्राह्मण बेटी होने का अपराध जेल में झेल रही है. आप सत्ताधारी दल में जाने के बाद उसे न्याय दिला पाएंगे, तो किसी ने लिखा कि गाय के लिए न्याय मांगते-मांगते कसाई के पास ही जा बैठे.
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जितिन के पक्ष में भी खड़े हुए लोग
किसी ने जितिन के पक्ष में लिखा कि योगी ब्राह्मण विरोधी हैं, लेकिन भाजपा योगी की बपौती नहीं है. सत्ताधारी दल में जाने के बाद आवाज और मुखर हो सकेगी और अब उस पर अमल भी हो सकेगा. एक सदस्य ने लिखा कि कांग्रेस की औकात पंचायत चुनाव जिताने की भी नहीं बची है. अब जितिन प्रसाद ब्राह्मणों की आवाज बनकर लोगों की मदद कर सकेंगे. किसी ने लिखा कि ब्राह्मण चेतना परिषद का सहारा लेकर ब्राह्मणों का साथ लेकर उन्होंने भाजपा में जाने की अपनी मंजिल तय कर ली बिल्कुल सही कदम नहीं है.