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ट्रैफिक पुलिस के लिए मददगार साबित हुए बॉडी वॉर्न कैमरे, रसूखदार भी अब नतमस्तक

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में ट्रैफिक पुलिस के लिए बॉडी वॉर्न कैमरे मददगार साबित हुए है. इन कैमरों की मदद से ट्रैफिक पुलिस की धूमिल हो चुकी छवि भी उज्ज्वल हुई है. अब रसूखदार भी ट्रैफिक पुलिस के आगे नतमस्तक हो रहे हैं.

body worn cameras proved helpful for lucknow traffic police
ट्रैफिक पुलिस के लिए मददगार साबित हुए बॉडी वॉर्न कैमरे.
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Published : Dec 6, 2020, 7:21 PM IST

Updated : Dec 6, 2020, 7:29 PM IST

लखनऊ: वाहनों की चेकिंग के दौरान यातायात पुलिस के साथ अक्सर बदसलूकी की घटनाएं हो जाती हैं. इस तरह की घटनाओं पर नियंत्रण स्थापित करने, लोगों पर नजर रखने के साथ ही यातायात पुलिस के काम में पारदर्शिता लाने के लिए यातायात विभाग ने ट्रैफिक इंस्पेक्टरों, सब इंस्पेक्टरों को बॉडी वॉर्न कैमरे दिए थे. यह कैमरे पुलिस के लिए वरदान साबित हुए हैं तो रसूखदारों के लिए अभिशाप. अब पुलिस के साथ अनुशासनहीनता की घटनाओं में बड़े स्तर पर कमी आई है. कैमरा लगा होते देख रसूखदार खुद-ब-खुद नतमस्तक हो जाते हैं, वहीं ट्रैफिक पुलिस का काम काफी आसान हो जाता है. कुल मिलाकर ये कैमरे विभाग की छवि सुधारने के लिए बेहतर साबित हो रहे हैं.

मददगार साबित हुए बॉडी वॉर्न कैमरे.

अब नहीं मिलती वर्दी उतरवाने की धमकी
यातायात पुलिस जब हाईटेक नहीं थी, तब उसके लिए चेकिंग अभियान चलाना काफी मुश्किल हो जाता था. वजह थी कि चेकिंग के दौरान रसूखदार अक्सर पुलिस से भिड़ जाते थे. वर्दी उतरवाने तक की धमकी दे डालते थे. इतना ही नहीं, कई बार तो पुलिस के साथ यह रसूखदार धक्का-मुक्की पर भी आमादा हो जाते थे. ट्रैफिक पुलिस के चेकिंग करने पर चौराहे पर धरना देने तक बैठ जाते थे, लेकिन धीरे-धीरे पुलिस ने अपनी कार्यशैली बदली और खुद को हाईटेक करने की दिशा में कदम बढ़ा दिए. इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए बॉडी वॉर्न कैमरों का सहारा लिया गया. शुरुआत में यातायात विभाग ने दर्जन भर ट्रैफिक इंस्पेक्टरों को यह कैमरे उपलब्ध कराए और ट्रायल किया. ट्रायल में सामने आया कि वर्दी के अगले हिस्से में कैमरा लगा होने से लोग पुलिस से अनुशासित तरीके से पेश आने लगे. अनुशासनहीनता करने की हिम्मत भी नहीं पड़ी. ऐसे में ट्रैफिक पुलिस ने काफी अच्छी क्वालिटी के कैमरे ट्रैफिक सब-इंस्पेक्टरों को मुहैया कराए. एक कैमरे की कीमत करीब 20 हजार रुपये थी.

रात में भी होती है रिकॉर्डिंग
यह कैमरे दिन की रोशनी में तो काम करते ही हैं, रात के अंधेरे में भी रिकॉर्डिंग करने के लिहाज से बेहतर हैं. इन कैमरों का सीधे कंट्रोल रूम से कनेक्शन है, जिससे कोई भी घटना होने पर इसका रिकॉर्ड कंट्रोल रूम में दर्ज हो जाता है और संबंधित व्यक्ति पर कार्रवाई की जाती है. इस कैमरे का डाटा डिलीट नहीं किया जाए तो लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है.

इतने हाईटेक हैं कैमरे
बॉडी वॉर्न कैमरे की खासियत रात में बेहतर रिकॉर्डिंग तो है ही. साथ ही वाईफाई, जीपीएस और ब्लूटूथ जैसी सारी सुविधाएं भी इसमें मौजूद हैं, जिससे ये सीधे कंट्रोल रूम से कनेक्ट रहते हैं.

पुलिस को आरोपों से मिली निजात
दरअसल, इन बॉडी वॉर्न कैमरों से सिर्फ रसूखदारों पर ही नियंत्रण स्थापित नहीं हुआ है, बल्कि आए दिन पुलिस पर घूस मांगने के जो आरोप लगते थे, उससे भी पुलिस को मुक्ति मिल गई है. वजह है कि अब जब सब कुछ कैमरे में रिकॉर्ड हो ही जाता है तो कोई पुलिस पर मनमाना आरोप भी नहीं लगा सकता है. इन कैमरों ने ट्रैफिक पुलिस की धूमिल छवि को भी उज्ज्वल करने में सहयोग किया है.

लखनऊ: वाहनों की चेकिंग के दौरान यातायात पुलिस के साथ अक्सर बदसलूकी की घटनाएं हो जाती हैं. इस तरह की घटनाओं पर नियंत्रण स्थापित करने, लोगों पर नजर रखने के साथ ही यातायात पुलिस के काम में पारदर्शिता लाने के लिए यातायात विभाग ने ट्रैफिक इंस्पेक्टरों, सब इंस्पेक्टरों को बॉडी वॉर्न कैमरे दिए थे. यह कैमरे पुलिस के लिए वरदान साबित हुए हैं तो रसूखदारों के लिए अभिशाप. अब पुलिस के साथ अनुशासनहीनता की घटनाओं में बड़े स्तर पर कमी आई है. कैमरा लगा होते देख रसूखदार खुद-ब-खुद नतमस्तक हो जाते हैं, वहीं ट्रैफिक पुलिस का काम काफी आसान हो जाता है. कुल मिलाकर ये कैमरे विभाग की छवि सुधारने के लिए बेहतर साबित हो रहे हैं.

मददगार साबित हुए बॉडी वॉर्न कैमरे.

अब नहीं मिलती वर्दी उतरवाने की धमकी
यातायात पुलिस जब हाईटेक नहीं थी, तब उसके लिए चेकिंग अभियान चलाना काफी मुश्किल हो जाता था. वजह थी कि चेकिंग के दौरान रसूखदार अक्सर पुलिस से भिड़ जाते थे. वर्दी उतरवाने तक की धमकी दे डालते थे. इतना ही नहीं, कई बार तो पुलिस के साथ यह रसूखदार धक्का-मुक्की पर भी आमादा हो जाते थे. ट्रैफिक पुलिस के चेकिंग करने पर चौराहे पर धरना देने तक बैठ जाते थे, लेकिन धीरे-धीरे पुलिस ने अपनी कार्यशैली बदली और खुद को हाईटेक करने की दिशा में कदम बढ़ा दिए. इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए बॉडी वॉर्न कैमरों का सहारा लिया गया. शुरुआत में यातायात विभाग ने दर्जन भर ट्रैफिक इंस्पेक्टरों को यह कैमरे उपलब्ध कराए और ट्रायल किया. ट्रायल में सामने आया कि वर्दी के अगले हिस्से में कैमरा लगा होने से लोग पुलिस से अनुशासित तरीके से पेश आने लगे. अनुशासनहीनता करने की हिम्मत भी नहीं पड़ी. ऐसे में ट्रैफिक पुलिस ने काफी अच्छी क्वालिटी के कैमरे ट्रैफिक सब-इंस्पेक्टरों को मुहैया कराए. एक कैमरे की कीमत करीब 20 हजार रुपये थी.

रात में भी होती है रिकॉर्डिंग
यह कैमरे दिन की रोशनी में तो काम करते ही हैं, रात के अंधेरे में भी रिकॉर्डिंग करने के लिहाज से बेहतर हैं. इन कैमरों का सीधे कंट्रोल रूम से कनेक्शन है, जिससे कोई भी घटना होने पर इसका रिकॉर्ड कंट्रोल रूम में दर्ज हो जाता है और संबंधित व्यक्ति पर कार्रवाई की जाती है. इस कैमरे का डाटा डिलीट नहीं किया जाए तो लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है.

इतने हाईटेक हैं कैमरे
बॉडी वॉर्न कैमरे की खासियत रात में बेहतर रिकॉर्डिंग तो है ही. साथ ही वाईफाई, जीपीएस और ब्लूटूथ जैसी सारी सुविधाएं भी इसमें मौजूद हैं, जिससे ये सीधे कंट्रोल रूम से कनेक्ट रहते हैं.

पुलिस को आरोपों से मिली निजात
दरअसल, इन बॉडी वॉर्न कैमरों से सिर्फ रसूखदारों पर ही नियंत्रण स्थापित नहीं हुआ है, बल्कि आए दिन पुलिस पर घूस मांगने के जो आरोप लगते थे, उससे भी पुलिस को मुक्ति मिल गई है. वजह है कि अब जब सब कुछ कैमरे में रिकॉर्ड हो ही जाता है तो कोई पुलिस पर मनमाना आरोप भी नहीं लगा सकता है. इन कैमरों ने ट्रैफिक पुलिस की धूमिल छवि को भी उज्ज्वल करने में सहयोग किया है.

Last Updated : Dec 6, 2020, 7:29 PM IST
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