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सावधान! दांतों को भी 'चबा' रहा ब्लैक फंगस

कोरोना महामारी के बीच ब्लैक फंगस (Black Fungus) का भी खतरा लोगों को सता रहा है. रोजाना ब्लैक फंगस के मरीज सामने आ रहे हैं. वहीं लोहिया संस्थान के डेंटिस्ट डॉ. कपिल शर्मा ने बताया कि ब्लैक फंगस दांतों और जबड़ों को भी नुकसान पहुंचा रहा है. ऐसे में दांतों की सफाई अहम है. पढ़ें ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट...

कॉन्सेप्ट इमेज.
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Published : Jun 3, 2021, 11:24 AM IST

Updated : Jun 3, 2021, 2:43 PM IST

लखनऊ: कोरोना मरीजों में ब्लैक फंगस (Black Fungus) काफी घातक साबित हो रहा है. यह ब्रेन पर अटैक कर जहां जान ले रहा है तो वहीं ये बीमारी शरीर के कई अंगों को भी खराब कर रही है. यही नहीं ब्लैग फंगस अब तो मरीजों के दांतों को भी नहीं बख्श रहा है. मसूड़ों में पहुंचकर उनमें सड़न फैला रहा है. डॉक्टरों को इंफेक्शन के फैलाव को रोकने के लिये रोगियों में दांत उखाड़कर जबड़े तक साफ-सफाई करनी पड़ रही है.

जानकारी देते केजीएमयू के प्रवक्ता.

केजीएमयू के प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह के मुताबिक संस्थान में ब्लैक फंगस (Black Fungus) का अलग वार्ड है. यहां बुधवार शाम तक 250 मरीज भर्ती किए गए. इसमें 150 मरीजों की हालत गंभीर हो गई. ऐसे में डॉक्टरों ने ऑपरेशन कर मरीजों की जिंदगी बचाई. इसमें चार मरीजों के ईएनटी डॉक्टरों ने साइनस संबधी प्रोसीजर किए. इसके अलावा 30 ऑपरेशन आंख संबंधी किए गए. डॉक्टरों ने मरीजों के आई केयर ट्रीटमेंट में आंखों के पीछे से इंजेक्शन की डोज दी. वहीं दंत संकाय की मैक्सिलो फेशियल सर्जरी की टीम ने जबड़ा संबंधी ऑपरेशन किए. इसमें 10 मरीजों के फंगस की चपटे में आए दांतों को भी निकाला गया.

डॉ. कपिल शर्मा, दंत चिकित्सक.
डॉ. कपिल शर्मा, दंत चिकित्सक.

कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले रहें सतर्क
कोरोना के साथ-साथ ब्लैक फंगस का भी देश में प्रकोप बढ़ गया है. ऐसे में कोरोना मरीजों के साथ-साथ कमजोर इम्युनिटी (प्रतिरोधक क्षमता) वाले हर एक को सजग रहना होगा. कारण, यह फंगस आपके घर के आसपास ही है. लिहाजा, जरा भी लापरवाही जानलेवा हो सकती है.

लकड़ी व नमी वाली जगह पर फंगस
ब्लैक फंगस को म्युकर मायकोसिस कहते हैं. यह म्युकर मायसिटीस ग्रुप का फंगस है. फंगस नमी वाले स्थान, फफूंद वाली जगह, लकड़ी पर, गमले में, लोहे पर लगी जंग में, गोबर में व जमीन की सतह पर पाया जाता है. यानी कि यह वातावरण में मौजूद है. ऐसे में घर या आसपास भी ब्लैक फंगस का खतरा हो सकता है.

हर किसी के नाक में पहुंचता है फंगस
ब्लैक फंगस वातावरण में है. ऐसे में हर किसी की नाक तक पहुंचता है. मगर मजबूत इम्युनिटी वाले व्यक्तियों में अपना दुष्प्रभाव नहीं छोड़ पाता है, जबकि कमजोर इम्यूनिटी वाले मरीजों के शरीर में घातक बन जाता है.

इन्हें फंगस से खतरा ज्यादा
कैंसर के रोगी, डायबिटीज के रोगी, हाइपोथायराइड के मरीज, ट्रांसप्लांट के मरीज, वायरल इंफेक्शन के मरीज, बैक्टीरियल इंफेक्शन के मरीज, एचआईवी, टीबी, कोविड इंफेक्शन के मरीज, पोस्ट कोविड मरीज, कीमोथेरेपी, स्टेरॉयड थेरेपी, इम्युनोसप्रेशन थेरेपी के मरीजों में ब्लैक फंगस का खतरा ज्यादा रहता है.

देर करने पर नाक में जमावड़ा कर लेता है फंगस
फंगस पहले नाक में जाता है. ऐसे में नाक बंद होने लगती है. उसमें भारीपन, नाक का डिस्चार्ज होना, हल्का दर्द होना या फिर लालिमा, दाना होने जैसे लक्षण महससू होने पर तुरंत सतर्क हो जाएं. डॉक्टर को दिखाकर फंगस को शुरुआती दौर में ही मात दे सकते हैं. इसे नजरंदाज करने पर फंगस पैरानेजल साइनसेस (पीएनएस) में इकट्ठा होकर बॉल बनाता है. इसके बाद आंख में पहुंच बनाता है. धीरे-धीरे त्वचा को भी काली कर देता है. ऐसी स्थिति में सर्जरी कर आंख को निकालना तक पड़ जाता है. वहीं काली त्वचा होने पर भी ऑपरेशन किया जाता है.

ब्रेन में पहुंचते ही बन जाता जनलेवा
आंख में फंगस पहुंचने पर भी नजर अंदाज करने से यह दिमाग और आंख के बीच की हड्डी को तोड़ देता है. इस हड्डी को आर्बिट रूट कहते हैं. इसी को तोड़कर फंगस ब्रेन में पहुंच जाता है. ब्रेन में मौजूद सीएसएफ फ्ल्यूड में इन्फेक्शन कर देता है. ऐसे में मरीज फंगल इंसेफेलाइटिस की चपेट में आ जाता है. ऐसे स्थिति में पहुंचने पर 70 से 80 फीसदी मरीज की जान चली जाती है.

इसके अलावा संक्रमण जब तक नाक में रहता है, तब तक इलाज संभव है. ब्लैक फंगस मस्तिष्क तक नहीं पहुंचना चाहिए. ये जब मस्तिष्क में पहुंच जाता है तब कैवेरनेस साइनस थ्रॉम्बोसिस करता है. इसमें दिमाग की जो नसें खून वापस लेकर हृदय तक आती हैं वो चोक हो जाती हैं. खून का थक्का बनने के कारण मस्तिष्क को पर्याप्त मात्रा में रक्त और ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित हो जाती है, जो मौत का बड़ा कारण है. वहीं खून में फंगस होने पर सेप्टीसीमिया का भी खतरा बढ़ जाता है. इसमें भी 70 से 80 फीसद डेथ रेट है.

कौन सी जांचें हैं अहम
व्यक्ति को ब्लैक फंगस के लक्षण होने का एहसास होने पर तत्काल अस्पताल पहुंचना चाहिए. डॉक्टर से संपर्क कर उसे सीटी पीएनएस कराना चाहिए. साथ ही नेजल इंडोस्कोपी करा कर बीमारी को मात दें. वहीं बीमारी बढ़ने पर डॉक्टर दिक्कतों का आधार पर अन्य जांच कराएंगे.

बलगम में कालापन भी फंगस का संकेत
ब्लैक फंगस की चपेट में आने पर शुरुआती लक्षण तो नाक बंद होना, बहना या कालापन और आंखों में लालिमा हो सकती है. चार दिन बाद संक्रमण का स्तर गंभीर होने पर बलगम में कालापान, खून की उल्टी, बेहोशी इत्यादि की समस्या शुरू हो सकती है. ऐसे में कोरोना के जो मरीज स्वस्थ होकर घर पर आराम कर रहे हैं वो अपने स्वास्थ्य की निगरानी करें. यही नहीं कोरोना संक्रमण के बाद व्यक्ति के लिए पहले 30 दिन बहुत अहम होते हैं. मधुमेह से ग्रसित या कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले मरीजों के लिए ये जांच अनिवार्य कराएं. ऐसे ही लोगों में ब्लैक फंगस होने का खतरा ज्यादा है.

दांतों की सफाई है अहम
लोहिया संस्थान के डेंटिस्ट डॉ. कपिल शर्मा के मुताबिक ब्लैक फंगस (Black Fungus) दांतों और जबड़ों को भी नुकसान पहुंचा रहा है. ऐसे में दांतों की सफाई अहम है. ब्रश करने में हीलाहवाली न करें. टूथब्रश को डिसइंफेक्ट कर रखें, मसूड़ों और जीभ को स्वस्थ और साफ रखें ताकि अन्य तरह के इंफेक्शन्स से भी दूर रहें. यही नहीं लक्षण महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएं. अगर कोई व्यक्ति हाल ही में कोरोना वायरस से उबरा है तो वह इन लक्षणों पर जरूर ध्यान दें...

मोबाइल दांत
मोबाइल दांत होने का आशय यह है कि व्यक्ति मसूड़े से परे एक दांत की अव्यवस्था से पीड़ित है. इसमें दांतों के ढीले होने के पीछे चोट और संक्रमण सहित कई कारण हो सकते हैं, लेकिन यदि कोरोना वायरस से उबरने के बाद यह दिक्कत उभर रही है तो इसे फौरन डॉक्टर को दिखाना चाहिए.

ओरल टिशूज के रंग का बदलना
यदि आप कोरोना मरीज रहे हैं. आपके ओरल टिशूज और उसके आसपास रंग बदल रहा है. ऐसे में इसे हल्के में न लें और तुरंत डॉक्टर से सलाह करें.

मसूड़ों में पस आना
मसूड़ों में पस या किसी तरह का संक्रमण भी ब्लैक फंगस का शुरुआती लक्षण हो सकता है. उभरे हुए सफेद धब्बों, पस या मसूड़ों में दर्द को लेकर सतर्क रहे.

मुंह या गालों का सुन्न होना
मुंह या गालों के आसपास सुन्नपन महसूस होने पर भी ध्यान दें. एक तरफ सूजन, पैरालिसिस, लालिमा, सुन्नपन होने जैसे लक्षण भी ब्लैक फंगस के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं. मासंपेशियों में अचानक कमजोरी, लार टपकाना भी फंगल इंफेक्शन का लक्षण हो सकता है.

दांत-जबड़ों में दर्द, हो जाएं सतर्क
ब्लैक फंगस के कारण व्यक्ति के दांतों या जबड़े में दर्द महसूस हो सकता है. चेहरे पर सूजन आ सकती है. ब्लैक फंगस के कारण हड्डियों में रक्त का संचार बंद हो जाता है, जिससे उसमें गलन शुरू हो जाती है. इलाज में देरी होने पर व्यक्ति का दांत या जबड़ा भी निकालना पड़ सकता है. वहीं आंत-किडनी पर भी असर डालता है.

लखनऊ: कोरोना मरीजों में ब्लैक फंगस (Black Fungus) काफी घातक साबित हो रहा है. यह ब्रेन पर अटैक कर जहां जान ले रहा है तो वहीं ये बीमारी शरीर के कई अंगों को भी खराब कर रही है. यही नहीं ब्लैग फंगस अब तो मरीजों के दांतों को भी नहीं बख्श रहा है. मसूड़ों में पहुंचकर उनमें सड़न फैला रहा है. डॉक्टरों को इंफेक्शन के फैलाव को रोकने के लिये रोगियों में दांत उखाड़कर जबड़े तक साफ-सफाई करनी पड़ रही है.

जानकारी देते केजीएमयू के प्रवक्ता.

केजीएमयू के प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह के मुताबिक संस्थान में ब्लैक फंगस (Black Fungus) का अलग वार्ड है. यहां बुधवार शाम तक 250 मरीज भर्ती किए गए. इसमें 150 मरीजों की हालत गंभीर हो गई. ऐसे में डॉक्टरों ने ऑपरेशन कर मरीजों की जिंदगी बचाई. इसमें चार मरीजों के ईएनटी डॉक्टरों ने साइनस संबधी प्रोसीजर किए. इसके अलावा 30 ऑपरेशन आंख संबंधी किए गए. डॉक्टरों ने मरीजों के आई केयर ट्रीटमेंट में आंखों के पीछे से इंजेक्शन की डोज दी. वहीं दंत संकाय की मैक्सिलो फेशियल सर्जरी की टीम ने जबड़ा संबंधी ऑपरेशन किए. इसमें 10 मरीजों के फंगस की चपटे में आए दांतों को भी निकाला गया.

डॉ. कपिल शर्मा, दंत चिकित्सक.
डॉ. कपिल शर्मा, दंत चिकित्सक.

कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले रहें सतर्क
कोरोना के साथ-साथ ब्लैक फंगस का भी देश में प्रकोप बढ़ गया है. ऐसे में कोरोना मरीजों के साथ-साथ कमजोर इम्युनिटी (प्रतिरोधक क्षमता) वाले हर एक को सजग रहना होगा. कारण, यह फंगस आपके घर के आसपास ही है. लिहाजा, जरा भी लापरवाही जानलेवा हो सकती है.

लकड़ी व नमी वाली जगह पर फंगस
ब्लैक फंगस को म्युकर मायकोसिस कहते हैं. यह म्युकर मायसिटीस ग्रुप का फंगस है. फंगस नमी वाले स्थान, फफूंद वाली जगह, लकड़ी पर, गमले में, लोहे पर लगी जंग में, गोबर में व जमीन की सतह पर पाया जाता है. यानी कि यह वातावरण में मौजूद है. ऐसे में घर या आसपास भी ब्लैक फंगस का खतरा हो सकता है.

हर किसी के नाक में पहुंचता है फंगस
ब्लैक फंगस वातावरण में है. ऐसे में हर किसी की नाक तक पहुंचता है. मगर मजबूत इम्युनिटी वाले व्यक्तियों में अपना दुष्प्रभाव नहीं छोड़ पाता है, जबकि कमजोर इम्यूनिटी वाले मरीजों के शरीर में घातक बन जाता है.

इन्हें फंगस से खतरा ज्यादा
कैंसर के रोगी, डायबिटीज के रोगी, हाइपोथायराइड के मरीज, ट्रांसप्लांट के मरीज, वायरल इंफेक्शन के मरीज, बैक्टीरियल इंफेक्शन के मरीज, एचआईवी, टीबी, कोविड इंफेक्शन के मरीज, पोस्ट कोविड मरीज, कीमोथेरेपी, स्टेरॉयड थेरेपी, इम्युनोसप्रेशन थेरेपी के मरीजों में ब्लैक फंगस का खतरा ज्यादा रहता है.

देर करने पर नाक में जमावड़ा कर लेता है फंगस
फंगस पहले नाक में जाता है. ऐसे में नाक बंद होने लगती है. उसमें भारीपन, नाक का डिस्चार्ज होना, हल्का दर्द होना या फिर लालिमा, दाना होने जैसे लक्षण महससू होने पर तुरंत सतर्क हो जाएं. डॉक्टर को दिखाकर फंगस को शुरुआती दौर में ही मात दे सकते हैं. इसे नजरंदाज करने पर फंगस पैरानेजल साइनसेस (पीएनएस) में इकट्ठा होकर बॉल बनाता है. इसके बाद आंख में पहुंच बनाता है. धीरे-धीरे त्वचा को भी काली कर देता है. ऐसी स्थिति में सर्जरी कर आंख को निकालना तक पड़ जाता है. वहीं काली त्वचा होने पर भी ऑपरेशन किया जाता है.

ब्रेन में पहुंचते ही बन जाता जनलेवा
आंख में फंगस पहुंचने पर भी नजर अंदाज करने से यह दिमाग और आंख के बीच की हड्डी को तोड़ देता है. इस हड्डी को आर्बिट रूट कहते हैं. इसी को तोड़कर फंगस ब्रेन में पहुंच जाता है. ब्रेन में मौजूद सीएसएफ फ्ल्यूड में इन्फेक्शन कर देता है. ऐसे में मरीज फंगल इंसेफेलाइटिस की चपेट में आ जाता है. ऐसे स्थिति में पहुंचने पर 70 से 80 फीसदी मरीज की जान चली जाती है.

इसके अलावा संक्रमण जब तक नाक में रहता है, तब तक इलाज संभव है. ब्लैक फंगस मस्तिष्क तक नहीं पहुंचना चाहिए. ये जब मस्तिष्क में पहुंच जाता है तब कैवेरनेस साइनस थ्रॉम्बोसिस करता है. इसमें दिमाग की जो नसें खून वापस लेकर हृदय तक आती हैं वो चोक हो जाती हैं. खून का थक्का बनने के कारण मस्तिष्क को पर्याप्त मात्रा में रक्त और ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित हो जाती है, जो मौत का बड़ा कारण है. वहीं खून में फंगस होने पर सेप्टीसीमिया का भी खतरा बढ़ जाता है. इसमें भी 70 से 80 फीसद डेथ रेट है.

कौन सी जांचें हैं अहम
व्यक्ति को ब्लैक फंगस के लक्षण होने का एहसास होने पर तत्काल अस्पताल पहुंचना चाहिए. डॉक्टर से संपर्क कर उसे सीटी पीएनएस कराना चाहिए. साथ ही नेजल इंडोस्कोपी करा कर बीमारी को मात दें. वहीं बीमारी बढ़ने पर डॉक्टर दिक्कतों का आधार पर अन्य जांच कराएंगे.

बलगम में कालापन भी फंगस का संकेत
ब्लैक फंगस की चपेट में आने पर शुरुआती लक्षण तो नाक बंद होना, बहना या कालापन और आंखों में लालिमा हो सकती है. चार दिन बाद संक्रमण का स्तर गंभीर होने पर बलगम में कालापान, खून की उल्टी, बेहोशी इत्यादि की समस्या शुरू हो सकती है. ऐसे में कोरोना के जो मरीज स्वस्थ होकर घर पर आराम कर रहे हैं वो अपने स्वास्थ्य की निगरानी करें. यही नहीं कोरोना संक्रमण के बाद व्यक्ति के लिए पहले 30 दिन बहुत अहम होते हैं. मधुमेह से ग्रसित या कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले मरीजों के लिए ये जांच अनिवार्य कराएं. ऐसे ही लोगों में ब्लैक फंगस होने का खतरा ज्यादा है.

दांतों की सफाई है अहम
लोहिया संस्थान के डेंटिस्ट डॉ. कपिल शर्मा के मुताबिक ब्लैक फंगस (Black Fungus) दांतों और जबड़ों को भी नुकसान पहुंचा रहा है. ऐसे में दांतों की सफाई अहम है. ब्रश करने में हीलाहवाली न करें. टूथब्रश को डिसइंफेक्ट कर रखें, मसूड़ों और जीभ को स्वस्थ और साफ रखें ताकि अन्य तरह के इंफेक्शन्स से भी दूर रहें. यही नहीं लक्षण महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएं. अगर कोई व्यक्ति हाल ही में कोरोना वायरस से उबरा है तो वह इन लक्षणों पर जरूर ध्यान दें...

मोबाइल दांत
मोबाइल दांत होने का आशय यह है कि व्यक्ति मसूड़े से परे एक दांत की अव्यवस्था से पीड़ित है. इसमें दांतों के ढीले होने के पीछे चोट और संक्रमण सहित कई कारण हो सकते हैं, लेकिन यदि कोरोना वायरस से उबरने के बाद यह दिक्कत उभर रही है तो इसे फौरन डॉक्टर को दिखाना चाहिए.

ओरल टिशूज के रंग का बदलना
यदि आप कोरोना मरीज रहे हैं. आपके ओरल टिशूज और उसके आसपास रंग बदल रहा है. ऐसे में इसे हल्के में न लें और तुरंत डॉक्टर से सलाह करें.

मसूड़ों में पस आना
मसूड़ों में पस या किसी तरह का संक्रमण भी ब्लैक फंगस का शुरुआती लक्षण हो सकता है. उभरे हुए सफेद धब्बों, पस या मसूड़ों में दर्द को लेकर सतर्क रहे.

मुंह या गालों का सुन्न होना
मुंह या गालों के आसपास सुन्नपन महसूस होने पर भी ध्यान दें. एक तरफ सूजन, पैरालिसिस, लालिमा, सुन्नपन होने जैसे लक्षण भी ब्लैक फंगस के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं. मासंपेशियों में अचानक कमजोरी, लार टपकाना भी फंगल इंफेक्शन का लक्षण हो सकता है.

दांत-जबड़ों में दर्द, हो जाएं सतर्क
ब्लैक फंगस के कारण व्यक्ति के दांतों या जबड़े में दर्द महसूस हो सकता है. चेहरे पर सूजन आ सकती है. ब्लैक फंगस के कारण हड्डियों में रक्त का संचार बंद हो जाता है, जिससे उसमें गलन शुरू हो जाती है. इलाज में देरी होने पर व्यक्ति का दांत या जबड़ा भी निकालना पड़ सकता है. वहीं आंत-किडनी पर भी असर डालता है.

Last Updated : Jun 3, 2021, 2:43 PM IST
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