लखनऊः लखनऊ विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग में कोई प्रोफेसर नहीं बना है. इस स्थिति में विभागाध्यक्ष की जिम्मेदारी अधिष्ठाता कला संकाय प्रो. बीके शुक्ला को सौंप दी गई है. विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से शनिवार को इसके आदेश जारी किए गए हैं. वह अगले आदेशों तक विभाग की जिम्मेदारी संभालेंगे. विश्वविद्यालय के प्रवक्ता डॉ. दुर्गेश श्रीवास्तव ने बताया कि मनोविज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. मनोरमा प्रधान का कार्यकाल पूरा हो गया है.
अधिष्ठाता के जिम्मे हैं कई विभाग
यह पहला विभाग नहीं है जहां, विभाग के बाहर के शिक्षकों को विभागाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई है. सिर्फ कला संकाय में ही अधिष्ठाता के पास सात से आठ विभागों की जिम्मेदारी है.
- समाजशास्त्र विभाग में वरिष्ठ शिक्षकों के बीच विवाद के चलते उन्हें यह जिम्मेदारी सौंपी गई है. यहां प्रो. डीआर साहू को समन्वयक की जिम्मेदारी सौंपी गई है. यहां लगातार विवाद बढ़ रहे हैं.
- शारीरिक शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष की जिम्मेदारी भी अधिष्ठाता के पास है. यहां लगातार गुटबाजी हो रही है. जिसके चलते छात्र पिस रहे हैं.
- एंथ्रोपोलॉजी में विभागाध्यक्ष की जिम्मेदारी भी अधिष्ठाता के पास है. यहां असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. केया पाण्डेय को जिम्मेदारी सौंपी गई है.
- इनके अलावा, डिफेंस स्टडीज, अरेबिक, भूगोल, गृह विज्ञान, ज्योर्तिविज्ञान, संस्कृत एवं प्राकृत भाषा विभाग में भी विभागाध्यक्ष की जिम्मेदारी अधिष्ठाता के पास ही है.
यह होता है छात्रों का नुकसान
इस स्थिति का खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ रहा है. छात्रों का कहना है कि विभागों में अधिष्ठाता को बैठाकर प्रशासन जैसे-तैसे संचालन तो कर रहा है, लेकिन इसकी वजह से गुटबाजी से लेकर छात्रों का सामान्य कक्षाएं तक प्रभावित रहती हैं.
यह निकाला है फार्मूला
विश्वविद्यालय प्रशासन ने विभागों के स्तर पर काम का सुचारू रूप से चलाने का दावा करते हुए समन्वयक बनाए हैं. इन्हें अधिष्ठाता की ओर से कुछ छूट दी गई है. दावा है कि सामान्य कामकाज देखने में यह समन्वयक सक्षम होते हैं.
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