लखनऊ : आगामी निकाय चुनाव में भारतीय जनता पार्टी महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों पर अपने महिला कार्यकर्ताओं नेताओं को वरीयता देगी. इन सीटों पर पुरुष नेताओं की पत्नियों और माताओं को इस बार टिकट नहीं दिए जाएंगे. भाजपा इस रणनीति पर टिकटों को तय करेगी. निकाय चुनाव में बड़ी संख्या में महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी. ऐसे में भाजपा की इस नीति से बड़े नेताओं का पत्ता कटेगा. भारतीय जनता पार्टी की ओर से यह स्पष्ट किया जा रहा है कि उनके पास बड़ी संख्या में महिला कार्यकर्ता और नेता हैं, इसलिए वह कार्यकर्ताओं को परिवार पर तरजीह देगी.
उत्तरप्रदेश में 8 दिसंबर के बाद कभी भी निकाय चुनाव (Civic poll in Uttar Pradesh) की अधिसूचना जारी हो सकती है. इससे पहले निकाय चुनाव के लिए रिजर्व सीटों का ऐलान होगा. 17 नगर निगम. करीब 200 नगर पंचायत और नगर पालिका के अलावा लगभग 2000 वॉर्डों के लिए टिकटों का वितरण भारतीय जनता पार्टी के लिए बड़ी चुनौती होगी. अगर सामान्य सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होती हैं तो बीजेपी की मुश्किलें बढ़ेंगी. ऐसी स्थिति में उस सीट के पुरुष दावेदार अपनी माता, पत्नी या रिश्तेदार के लिए टिकट की दावेदारी कर सकते हैं. गौरतलब है कि बीजेपी मैनपुरी में डिंपल यादव को टिकट दिए जाने पर परिवारवाद का आरोप लगा रही है. मगर निकाय चुनाव में पार्टी के लिए ग्राउंड लेवल पर परिवारवाद को दरकिनार करना आसान नहीं होगा.
हालांकि भारतीय जनता पार्टी के पदाधिकारियों का कहना है कि पार्टी इस बार निकाय चुनाव में महिला कार्यकर्ताओं और सक्रिय नेताओं को ही महिला सीटों पर टिकट देगी. चुनाव लड़ने के लिए महिला कार्यकर्ताओं नेताओं की फौज तैयार है. सीट रिजर्व होते ही कैंडिडेट के चयन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता मनीष शुक्ला का कहना है कि महिला उम्मीदवारों का चयन विपक्ष के लिए चुनौती हो सकती है, बीजेपी के लिए नहीं. भारतीय जनता पार्टी के पास महिला कार्यकर्ताओं और नेताओं की एक बड़ी संख्या है. पार्टी के कार्यक्रमों में उनकी सक्रिय भागीदारी है. ऐसे में हमारे लिए चुनौती नहीं है.
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