ETV Bharat / state

पश्चिमी यूपी में रालोद-सपा का चकव्यूह बनने से पहले ही ध्वस्त करने की तैयारी में बीजेपी...तैयार किया 'बुलडोजर प्लान' - उत्तर प्रदेश की ताजी खबर

आगामी विधानसभा चुनाव 2022 के लिए सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी के एक मंच पर आने से पहले ही बीजेपी ने गेम प्लान बनाना शुरू कर दिया है. बीजेपी की कोशिश है कि इन दोनों पार्टियों का चक्रव्यूह तैयार होने से पहले ही उसे ध्वस्त कर दिया जाए. चलिए जानते है इसके बारे में.

पश्चिमी यूपी में रालोद-सपा का चकव्यूह बनने से पहले ही ध्वस्त करने की तैयारी में बीजेपी.
पश्चिमी यूपी में रालोद-सपा का चकव्यूह बनने से पहले ही ध्वस्त करने की तैयारी में बीजेपी.
author img

By

Published : Dec 2, 2021, 6:04 PM IST

लखनऊ: आगामी विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Elections 2022) में सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी की 'यारी' (गठजोड़) की बीजेपी को भारी कीमत न चुकानी पड़ जाए इसके लिए पार्टी अभी से सतर्क हो गई है. कई मुद्दों पर पश्चिमी यूपी में ही इन दोनों दलों को घेरने का बीजेपी ने गेम यानी बुलडोजर प्लान तैयार कर लिया है.

दरअसल, बीते दिनों लखनऊ में अखिलेश यादव और जयंत चौधरी की मुलाकात ने बीजेपी की बेचैनी बढ़ा दी थी. यह बात भी सामने आई थी कि ये दोनों दल सात दिसंबर को मेरठ में रैली भी कर सकते हैं.


एक दिन पहले जयंत चौधरी ने अखिलेश यादव से मुलाकात की थी और सीटों के बंटवारे को लेकर बातचीत की थी. सूत्रों के अनुसार जयंत चौधरी ने गठबंधन के अंतर्गत खुद के लिए डिप्टी सीएम का पद भी मांगा था. हालांकि अभी इस पर कोई बातचीत आगे नहीं बढ़ पाई है. वहीं सूत्रों के अनुसार समाजवादी पार्टी राष्ट्रीय लोकदल को 35 या 40 विधानसभा सीट दे सकती है इनमें कुछ सीटों पर समाजवादी पार्टी अपने उम्मीदवार राष्ट्रीय लोकदल को देगी और रालोद के सिंबल पर यह सपा उम्मीदवार चुनाव लड़ेंगे.

सपा और रालोद के बारे में यह बोले भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता समीर सिंह.

पश्चिमी यूपी की 136 सीटों में 27 सीटें हारी थी बीजेपी

दरअसल, 2017 के चुनाव में पश्चिमी यूपी की 136 में से 27 सीटों पर बीजेपी हार गई थी. हालांकि 109 सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी. कमजोर सीटों पर सीएम योगी लगातार जनसभा और रैली कर रहे हैं. हारी हुई सीटों में शामिल बदायूं और शाहजहांपुर समेत कई विधानसभाओं को करोड़ों की योजना की सौगात दी जा रही है. जयंत और अखिलेश की मुलाकात के बाद बीजेपी को यह चिंता सता रही है कि कहीं हारी हुई सीटों का आंकड़ा बढ़ न जाए. हालांकि बीजेपी के लिए राहत वाली बात यह है कि कृषि बिल वापस होने से किसानों की नाराजगी काफी हद तक कम हुई है. बीजेपी को उम्मीद है कि इसका फायदा पार्टी को मिल सकता है.

ये रहा बीजेपी का गेम प्लान

  • जाट, ब्राह्मण, दलित और पिछड़ा गठजोड़ बनाने के साथ ही हिंदुत्व के मुद्दे को उठाया जाएगा.
  • मथुरा में कृष्ण जन्म भूमि के मामले को लेकर भी सपा को घेरने की तैयारी.
  • कैराना में पलायन का मुद्दा भी अहम हथियार.
  • मुजफ्फरनगर के दंगों में समाजवादी पार्टी की नकारात्मक भूमिका को फिर से उठाने की तैयारी.

ये भी पढ़ेंः अखिलेश यादव जयंत चौधरी की जनसभा 7 दिसंबर को, पश्चिम यूपी में दिखाएंगे सियासी ताकत

हर बार चलने से पहले ही रुक गया रालोद का रथ...

2014 से लेकर 2019 के बीच लगातार राष्ट्रीय लोकदल कभी कांग्रेस तो कभी समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन करके पश्चिम उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ने के लिए उतरा. पार्टी के उम्मीदवारों को सफलता नहीं मिली. दिवंगत चौधरी अजीत सिंह और उनके पुत्र जयंत चौधरी को भी हार का सामना करना पड़ा. भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने भी रालोद के टिकट पर चुनाव लड़ा और उनको भी हार का सामना करना पड़ा. वर्तमान विधानसभा में राष्ट्रीय लोक दल का प्रतिनिधित्व करने वाला केवल एक ही विधायक है. 2017 में राष्ट्रीय लोकदल ने 277 सीटों पर चुनाव लड़ा. पार्टी को केवल 1.78 फीसदी ही वोट मिला.

इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक राजकुमार सिंह कहते हैं कि अभी इन हालातों पर कुछ भी बोलना मुनासिब नहीं होगा. राष्ट्रीय लोक दल का गठबंधन समाजवादी पार्टी से होगा या अभी पूरी तरह से औपचारिक नहीं है. यह बात तो तय है कि रालोद का पिछला प्रदर्शन बिल्कुल भी अच्छा नहीं रहा है. हर बार भाजपा से उसको हार का सामना ही करना पड़ा है.

वहीं, भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता समीर सिंह का कहना है कि समाजवादी पार्टी का बसपा से गठबंधन हुआ था. उससे मजबूत गठबंधन कोई नहीं हो सकता था मगर उसका परिणाम सभी ने देखा. रालोद और सपा गठबंधन की और बुरी हालात होगी. हमारी सरकार बेहतर काम कर रही है, जिस पर मुहर लगेगी.


ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

लखनऊ: आगामी विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Elections 2022) में सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी की 'यारी' (गठजोड़) की बीजेपी को भारी कीमत न चुकानी पड़ जाए इसके लिए पार्टी अभी से सतर्क हो गई है. कई मुद्दों पर पश्चिमी यूपी में ही इन दोनों दलों को घेरने का बीजेपी ने गेम यानी बुलडोजर प्लान तैयार कर लिया है.

दरअसल, बीते दिनों लखनऊ में अखिलेश यादव और जयंत चौधरी की मुलाकात ने बीजेपी की बेचैनी बढ़ा दी थी. यह बात भी सामने आई थी कि ये दोनों दल सात दिसंबर को मेरठ में रैली भी कर सकते हैं.


एक दिन पहले जयंत चौधरी ने अखिलेश यादव से मुलाकात की थी और सीटों के बंटवारे को लेकर बातचीत की थी. सूत्रों के अनुसार जयंत चौधरी ने गठबंधन के अंतर्गत खुद के लिए डिप्टी सीएम का पद भी मांगा था. हालांकि अभी इस पर कोई बातचीत आगे नहीं बढ़ पाई है. वहीं सूत्रों के अनुसार समाजवादी पार्टी राष्ट्रीय लोकदल को 35 या 40 विधानसभा सीट दे सकती है इनमें कुछ सीटों पर समाजवादी पार्टी अपने उम्मीदवार राष्ट्रीय लोकदल को देगी और रालोद के सिंबल पर यह सपा उम्मीदवार चुनाव लड़ेंगे.

सपा और रालोद के बारे में यह बोले भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता समीर सिंह.

पश्चिमी यूपी की 136 सीटों में 27 सीटें हारी थी बीजेपी

दरअसल, 2017 के चुनाव में पश्चिमी यूपी की 136 में से 27 सीटों पर बीजेपी हार गई थी. हालांकि 109 सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी. कमजोर सीटों पर सीएम योगी लगातार जनसभा और रैली कर रहे हैं. हारी हुई सीटों में शामिल बदायूं और शाहजहांपुर समेत कई विधानसभाओं को करोड़ों की योजना की सौगात दी जा रही है. जयंत और अखिलेश की मुलाकात के बाद बीजेपी को यह चिंता सता रही है कि कहीं हारी हुई सीटों का आंकड़ा बढ़ न जाए. हालांकि बीजेपी के लिए राहत वाली बात यह है कि कृषि बिल वापस होने से किसानों की नाराजगी काफी हद तक कम हुई है. बीजेपी को उम्मीद है कि इसका फायदा पार्टी को मिल सकता है.

ये रहा बीजेपी का गेम प्लान

  • जाट, ब्राह्मण, दलित और पिछड़ा गठजोड़ बनाने के साथ ही हिंदुत्व के मुद्दे को उठाया जाएगा.
  • मथुरा में कृष्ण जन्म भूमि के मामले को लेकर भी सपा को घेरने की तैयारी.
  • कैराना में पलायन का मुद्दा भी अहम हथियार.
  • मुजफ्फरनगर के दंगों में समाजवादी पार्टी की नकारात्मक भूमिका को फिर से उठाने की तैयारी.

ये भी पढ़ेंः अखिलेश यादव जयंत चौधरी की जनसभा 7 दिसंबर को, पश्चिम यूपी में दिखाएंगे सियासी ताकत

हर बार चलने से पहले ही रुक गया रालोद का रथ...

2014 से लेकर 2019 के बीच लगातार राष्ट्रीय लोकदल कभी कांग्रेस तो कभी समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन करके पश्चिम उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ने के लिए उतरा. पार्टी के उम्मीदवारों को सफलता नहीं मिली. दिवंगत चौधरी अजीत सिंह और उनके पुत्र जयंत चौधरी को भी हार का सामना करना पड़ा. भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने भी रालोद के टिकट पर चुनाव लड़ा और उनको भी हार का सामना करना पड़ा. वर्तमान विधानसभा में राष्ट्रीय लोक दल का प्रतिनिधित्व करने वाला केवल एक ही विधायक है. 2017 में राष्ट्रीय लोकदल ने 277 सीटों पर चुनाव लड़ा. पार्टी को केवल 1.78 फीसदी ही वोट मिला.

इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक राजकुमार सिंह कहते हैं कि अभी इन हालातों पर कुछ भी बोलना मुनासिब नहीं होगा. राष्ट्रीय लोक दल का गठबंधन समाजवादी पार्टी से होगा या अभी पूरी तरह से औपचारिक नहीं है. यह बात तो तय है कि रालोद का पिछला प्रदर्शन बिल्कुल भी अच्छा नहीं रहा है. हर बार भाजपा से उसको हार का सामना ही करना पड़ा है.

वहीं, भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता समीर सिंह का कहना है कि समाजवादी पार्टी का बसपा से गठबंधन हुआ था. उससे मजबूत गठबंधन कोई नहीं हो सकता था मगर उसका परिणाम सभी ने देखा. रालोद और सपा गठबंधन की और बुरी हालात होगी. हमारी सरकार बेहतर काम कर रही है, जिस पर मुहर लगेगी.


ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.