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भाजपा में जिलाध्यक्षों का चुनाव नहीं आसान, पर्यवेक्षक कह रहे 70 प्रतिशत हटाना ही समाधान - भाजपा की राजनीति

लोकसभा चुनाव 2024 को देखते हुए उत्तर प्रदेश भाजपा कार्यालय में जिला अध्यक्षी के लिए दौड़ शुरू हो गई है. दूसरी ओर जिलों में भेजे गई पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट बहुत ही खराब है. कुल 98 में से 70 प्रतिशत जिलाध्यक्ष को हटाने की सिफारिश की गई है. ऐसे में जिलाध्यक्ष चुनने की राह काफी कठिन दिख रही है.

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Published : Jul 15, 2023, 11:11 PM IST

भाजपा में जिलाध्यक्षों का चुनाव नहीं आसान. देखें खबर




लखनऊ : भाजपा जिलाध्यक्ष अब तक नहीं चुने गए हैं. लोकसभा चुनाव में केवल छह महीने का समय बचा हुआ है. ऐसे में भारतीय जनता पार्टी कार्यालय का फैसला नहीं हो पा रहा है. यह बात दीगर है कि उत्तर प्रदेश भाजपा कार्यालय में जिला अध्यक्षों की दौड़ हो रही है. दूसरी ओर जिलाध्यक्ष को लेकर जिलों में जो पर्यवेक्षक भेजे गए हैं. उनकी रिपोर्ट बहुत ही खराब है. कुल 98 में से 70 प्रतिशत जिलाध्यक्ष को हटाने की सिफारिश की गई है.

भाजपा में जिलाध्यक्षों का चुनाव नहीं आसान.
भाजपा में जिलाध्यक्षों का चुनाव नहीं आसान.



पर्यवेक्षकों ने दी जिलाध्यक्षों की निगेटिव रिपोर्ट जिलाध्यक्ष बदलाव के संबंध में रिपोर्ट को लेकर जिले-जिले में पर्यवेक्षक भारतीय जनता पार्टी ने भेजे थे. कुल 98 संगठनात्मक जिलों में अधिकांश के जिला अध्यक्षों की रिपोर्ट या तो नेगेटिव है या फिर भी अपना समय पूरा कर चुके हैं. ऐसे में बदलाव आवश्यक है. माना जा रहा है कि पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट के आधार पर बीजेपी में नए चेहरे 70 फीसदी दिखेंगे. जिला अध्यक्षों में बदलाव, पर्यवेक्षकों ने रिपोर्ट तैयार की है. रिपोर्ट देने का आज अंतिम दिन 98 संगठनात्मक जिलों में नए अध्यक्षों की कवायद शुरू हो गई है.



भाजपा में जिलाध्यक्षों का चुनाव नहीं आसान.
भाजपा में जिलाध्यक्षों का चुनाव नहीं आसान.

दिल्ली में तय होंगे नए अध्यक्ष : 98 संगठनात्मक जिलों में पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट भले ही नेगेटिव हो, मगर प्रदेश संगठन किसी बड़े बदलाव का इच्छुक नहीं है. लोकसभा चुनाव सिर पर हैं. ऐसे में जिलाध्यक्ष के बदलाव से क्षेत्र में नुकसान होने का खतरा है. जिसको देखते हुए बड़ा बदलाव नहीं किया जाएगा. प्रदेश में संगठन की यही इच्छा है. ऐसे में बदलाव टल रहा है.

यह भी पढ़ें : 2500 रुपये में बन गया पुलिसवाला, पकड़ा गया तो बोला- बस का किराया बचाने के लिए ये किया

भाजपा में जिलाध्यक्षों का चुनाव नहीं आसान. देखें खबर




लखनऊ : भाजपा जिलाध्यक्ष अब तक नहीं चुने गए हैं. लोकसभा चुनाव में केवल छह महीने का समय बचा हुआ है. ऐसे में भारतीय जनता पार्टी कार्यालय का फैसला नहीं हो पा रहा है. यह बात दीगर है कि उत्तर प्रदेश भाजपा कार्यालय में जिला अध्यक्षों की दौड़ हो रही है. दूसरी ओर जिलाध्यक्ष को लेकर जिलों में जो पर्यवेक्षक भेजे गए हैं. उनकी रिपोर्ट बहुत ही खराब है. कुल 98 में से 70 प्रतिशत जिलाध्यक्ष को हटाने की सिफारिश की गई है.

भाजपा में जिलाध्यक्षों का चुनाव नहीं आसान.
भाजपा में जिलाध्यक्षों का चुनाव नहीं आसान.



पर्यवेक्षकों ने दी जिलाध्यक्षों की निगेटिव रिपोर्ट जिलाध्यक्ष बदलाव के संबंध में रिपोर्ट को लेकर जिले-जिले में पर्यवेक्षक भारतीय जनता पार्टी ने भेजे थे. कुल 98 संगठनात्मक जिलों में अधिकांश के जिला अध्यक्षों की रिपोर्ट या तो नेगेटिव है या फिर भी अपना समय पूरा कर चुके हैं. ऐसे में बदलाव आवश्यक है. माना जा रहा है कि पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट के आधार पर बीजेपी में नए चेहरे 70 फीसदी दिखेंगे. जिला अध्यक्षों में बदलाव, पर्यवेक्षकों ने रिपोर्ट तैयार की है. रिपोर्ट देने का आज अंतिम दिन 98 संगठनात्मक जिलों में नए अध्यक्षों की कवायद शुरू हो गई है.



भाजपा में जिलाध्यक्षों का चुनाव नहीं आसान.
भाजपा में जिलाध्यक्षों का चुनाव नहीं आसान.

दिल्ली में तय होंगे नए अध्यक्ष : 98 संगठनात्मक जिलों में पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट भले ही नेगेटिव हो, मगर प्रदेश संगठन किसी बड़े बदलाव का इच्छुक नहीं है. लोकसभा चुनाव सिर पर हैं. ऐसे में जिलाध्यक्ष के बदलाव से क्षेत्र में नुकसान होने का खतरा है. जिसको देखते हुए बड़ा बदलाव नहीं किया जाएगा. प्रदेश में संगठन की यही इच्छा है. ऐसे में बदलाव टल रहा है.

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