लखनऊ : उत्तर प्रदेश में करीब 60 फीसदी वोट पिछड़े और अति पिछड़े वर्ग का है. ऐसे में भारतीय जनता पार्टी ने अपनी पहली दो सूचियों में 44 सीटों को पिछड़े वर्ग के नाम कर दिया. इसके साथ ही भारतीय जनता पार्टी ने हाल ही में पार्टी छोड़कर गए पिछड़े समाज के नेताओं के जरिए नकारात्मक माहौल को तोड़ने का प्रयास किया है.
इसके अलावा भाजपा ने 10 महिलाओं और 19 अनुसूचित जाति के नेताओं को टिकट दिया है. देखने वाली बात यह भी है कि भारतीय जनता पार्टी ने एक सामान्य सीट पर भी अनुसूचित जाति के नेता को चुना है. ऐसे में भाजपा दलितों और पिछड़ों के बीच में पैठ बनाने के लिए पहले दो चरण में ही दांव खेल चुकी है.
भारतीय जनता पार्टी ने पहले दो चरणों के लिए टिकटों की घोषणा की. इसमें जो गणित सामने आया, उसमें 44 सीटें पिछड़े और अति पिछड़े वर्ग के नेताओं को और 10 सीटें महिलाओं को देने के अलावा 19 सीटें अनुसूचित जाति के नेताओं को दी गईं. भाजपा ने स्पष्ट किया कि उसका कोर वोटर पिछड़ा वर्ग होगा. इसी वर्ग के सहारे वह अपनी नैया पार करेगा.
समय-समय पर उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य जो खुद भी पिछड़े वर्ग से आते हैं, कहते रहते हैं कि 60 से भी अधिक वोट प्रतिशत पिछड़े वर्ग का है. इसलिए उत्तर प्रदेश में हम जीत हासिल करेंगे. केशव प्रसाद मौर्य को खुद भी सिराथू विधानसभा सीट से टिकट मिली है. सिराथू से केशव प्रसाद मौर्य इससे पहले 2007 और 2012 में चुनाव लड़ चुके हैं. 2012 में उन्होंने जीत भी हासिल की थी.
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वहीं, बेबी रानी मौर्य को टिकट देकर जाटव समाज के बीच भाजपा एक संदेश देने की कोशिश कर रही है. पूर्व राज्यपाल और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बेबी रानी मौर्य आगरा ग्रामीण से भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार हैं. बेबी रानी मौर्य भले ही मौर्य टाइटल लिखती हों लेकिन वह जाटव समाज से आती हैं. इस बात को वह खुलकर चुनाव से पहले कह रही थीं और अनुसूचित जाति के बीच संदेश दे रही थीं.
अब मायावती के सामने भाजपा के पास भी महिला जाटव नेता है. इस बारे में राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार नवल कांत सिन्हा ने बताया कि पिछड़े वर्ग को साथ कर भाजपा ने यह स्पष्ट कर दिया है कि उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े वोट बैंक पर उसकी सीधी नजर है. हाल ही में जो नेता भाजपा छोड़कर गए हैं, वह भी सामान्य तौर पर पिछड़ी जाति और पिछड़े वर्ग से आते हैं.
ऐसे में पिछड़े वर्ग को सबसे अधिक टिकट देकर भाजपा ने एक मास्टर स्ट्रोक तो खेला है. मुख्य रूप से भाजपा की नजर गैर यादव पिछड़े वर्ग पर है. यादव वर्ग को सामान्य तौर पर समाजवादी पार्टी का वोट बैंक हैं. ऐसे में भाजपा की नजर कुर्मी, मौर्य, राजभर, कश्यप और अन्य पिछड़े वर्गों के वोटरों पर है.