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भाजपा में अब शुरू होगी टिकट की लड़ाई, प्रभारियों की नियुक्ति के बाद होगी फीडबैक लेने की शुरुआत - विधानसभा चुनाव 2022

अब यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के लिए भाजपा में टिकट पाने की लड़ाई का आगाज होगा.राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पिछले महीने टिकट को लेकर संकेत आगरा के सम्मेलन में दे दिए थे. उनका स्पष्ट कहना था कि खराब काम करने वालों को टिकट नहीं मिलेगा. संगठन और सरकार दोनों स्तर पर किए गए सर्वे में यह सामने आया है कि करीब आधे विधायकों से जनता खुश नहीं है.

भाजपा में अब शुरू होगी टिकट की लड़ाई
भाजपा में अब शुरू होगी टिकट की लड़ाई
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Published : Sep 9, 2021, 9:49 PM IST

लखनऊ: भाजपा में आठ चुनाव प्रभारियों के पदभार ग्रहण करने के बाद अब विधानसभा चुनाव 2022 के लिए टिकट पाने की लड़ाई का आगाज होगा. जिसकी शुरुआत वर्तमान विधायकों और टिकट के लिए परिक्रमा कर रहे भाजपा नेताओं के फीडबैक से होगी. भाजपा बूथ विजय दिवस के आयोजन के साथ ही लंबा चुनावी कार्यक्रम शुरू कर रही है, जिसमें टिकट को लेकर भी कवायद जारी रहेगी. नगर और जिलाध्यक्षों की टीम के माध्यम से टिकट पाने वाले नेताओं के बारे में जानकारियां जुटाई जा रही हैं. माना जा रहा है कि भाजपा में कुल 325 विधायकों में से लगभग 100 के टिकट कट सकते हैं और 50 का टिकट दूसरी विधानसभा क्षेत्र से दिया जा सकता है.

जेपी नड्डा दे चुके हैं टिकटों के कटने का संकेत
राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पिछले महीने टिकट को लेकर संकेत आगरा के सम्मेलन में दे दिए थे. उनका स्पष्ट कहना था कि खराब काम करने वालों को टिकट नहीं मिलेगा. संगठन और सरकार दोनों स्तर पर किए गए सर्वे में यह सामने आया है कि करीब आधे विधायकों से जनता खुश नहीं है. कुछ ऐसे विधायक हैं जो संगठन और सरकार से अपना भरोसा खो चुके हैं. इसलिए विधानसभा चुनाव में यह बहुत बड़ा बदलाव हो सकता है. कई बड़े-बड़े नामों को इस बार अपने टिकट से हाथ धोना पड़ेगा.

शुरू होगी टिकट की लड़ाई.
बगावत करने वालों के लिए भी एक बड़ा चुनाव
2022 का विधानसभा चुनाव भारतीय जनता पार्टी से बगावत करने वालों के लिए भी एक बड़ा चुनाव होगा और यह बागी उम्मीदवार एक नया समीकरण बनाएंगे. भारतीय जनता पार्टी की हाल ही में हुई बैठकों के दौरान पार्टी के मंत्रियों और विधायकों में जो बातचीत हुई है, उसका यही निष्कर्ष निकला है कि आधे विधायकों का टिकट अब बदल दिया जाएगा. जिसके बाद यह तय है कि जिनका टिकट कटेगा वे दूसरे दलों में जाएंगे या फिर पार्टी प्रत्याशी के लिए खुल कर सामने नहीं आएंगे. ऐसे में बागियों को भी संभालना होगा.
कुछ नए चेहरे और कुछ दूसरे दलों के महारथी पाएंगे टिकट
पार्टी इन विधायकों के स्थान पर कुछ नए चेहरों दूसरे दलों से आने वाले मजबूत उम्मीदवारों को आजमा सकती है. कई इलाकों से पार्टी के कुछ खास कार्यकर्ताओं के नाम टिकट देने के लिए आए हैं. पार्टी उन पर भी भरोसा कर सकती है.पार्टी के सूत्रों ने बताया कि न केवल भारतीय जनता पार्टी के विधायकों के टिकट कटेंगे, बल्कि पार्टी के सहयोगी दलों से भी जो विधायक बने हैं, उनकी भी छुट्टी हो सकती है.
संगठन और सरकार को बदनाम करने वालों पर खास नजर
संगठन और सरकार को बदनाम कर करने वालों पर खास नजर है. ऐसे विधायक जिन्होंने समय-समय पर संगठन और सरकार को जटिल परिस्थितियों में डाल दिया, उनको निपटा दिया जाएगा. उदाहरण के तौर पर प्रतापगढ़ में भाजपा विधायक ने जमकर अफसरों के खिलाफ कपड़े उतार कर प्रदर्शन किया था, ऐसे लोग निशाने पर हैं. सार्वजनिक तौर पर सरकार की आलोचना करना, सरकार पर अलग-अलग तरह के आरोप लगाना, सरकार पर विधायकों के काम न होने, कार्यकर्ताओं के काम न होने और अधिकारियों के दबाव की बात करने वाले एमएलए के टिकट भी खतरे में हैं. सार्वजनिक तौर पर सरकार विरोधी प्रदर्शनों में हिस्सा लेना, अधिकारियों के समक्ष अभद्र व्यवहार करना. इस तरह के काम पिछले पांच सालों में जिन भी विधायकों ने किए हैं, वह सब टिकट कटने वाली काली सूची में शामिल हो सकते हैं.भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता आनंद दुबे ने बताया कि भाजपा में टिकट वितरण को लेकर पारदर्शी नीति है. चुनाव समिति ही टिकटों का वितरण कैसे किया जाए यह तय करती है. जिन भी उम्मीदवारों की जनता के बीच स्वीकार्यता का संकेत मिलेगा, उनको ही टिकट दिया जाएगा.


इसे भी पढ़ें- बीजेपी 10 दिन में बनाएगी 10 लाख पन्ना प्रमुख, पीएम मोदी के जन्मदिन पर करेगी जनता की सेवा

लखनऊ: भाजपा में आठ चुनाव प्रभारियों के पदभार ग्रहण करने के बाद अब विधानसभा चुनाव 2022 के लिए टिकट पाने की लड़ाई का आगाज होगा. जिसकी शुरुआत वर्तमान विधायकों और टिकट के लिए परिक्रमा कर रहे भाजपा नेताओं के फीडबैक से होगी. भाजपा बूथ विजय दिवस के आयोजन के साथ ही लंबा चुनावी कार्यक्रम शुरू कर रही है, जिसमें टिकट को लेकर भी कवायद जारी रहेगी. नगर और जिलाध्यक्षों की टीम के माध्यम से टिकट पाने वाले नेताओं के बारे में जानकारियां जुटाई जा रही हैं. माना जा रहा है कि भाजपा में कुल 325 विधायकों में से लगभग 100 के टिकट कट सकते हैं और 50 का टिकट दूसरी विधानसभा क्षेत्र से दिया जा सकता है.

जेपी नड्डा दे चुके हैं टिकटों के कटने का संकेत
राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पिछले महीने टिकट को लेकर संकेत आगरा के सम्मेलन में दे दिए थे. उनका स्पष्ट कहना था कि खराब काम करने वालों को टिकट नहीं मिलेगा. संगठन और सरकार दोनों स्तर पर किए गए सर्वे में यह सामने आया है कि करीब आधे विधायकों से जनता खुश नहीं है. कुछ ऐसे विधायक हैं जो संगठन और सरकार से अपना भरोसा खो चुके हैं. इसलिए विधानसभा चुनाव में यह बहुत बड़ा बदलाव हो सकता है. कई बड़े-बड़े नामों को इस बार अपने टिकट से हाथ धोना पड़ेगा.

शुरू होगी टिकट की लड़ाई.
बगावत करने वालों के लिए भी एक बड़ा चुनाव
2022 का विधानसभा चुनाव भारतीय जनता पार्टी से बगावत करने वालों के लिए भी एक बड़ा चुनाव होगा और यह बागी उम्मीदवार एक नया समीकरण बनाएंगे. भारतीय जनता पार्टी की हाल ही में हुई बैठकों के दौरान पार्टी के मंत्रियों और विधायकों में जो बातचीत हुई है, उसका यही निष्कर्ष निकला है कि आधे विधायकों का टिकट अब बदल दिया जाएगा. जिसके बाद यह तय है कि जिनका टिकट कटेगा वे दूसरे दलों में जाएंगे या फिर पार्टी प्रत्याशी के लिए खुल कर सामने नहीं आएंगे. ऐसे में बागियों को भी संभालना होगा.
कुछ नए चेहरे और कुछ दूसरे दलों के महारथी पाएंगे टिकट
पार्टी इन विधायकों के स्थान पर कुछ नए चेहरों दूसरे दलों से आने वाले मजबूत उम्मीदवारों को आजमा सकती है. कई इलाकों से पार्टी के कुछ खास कार्यकर्ताओं के नाम टिकट देने के लिए आए हैं. पार्टी उन पर भी भरोसा कर सकती है.पार्टी के सूत्रों ने बताया कि न केवल भारतीय जनता पार्टी के विधायकों के टिकट कटेंगे, बल्कि पार्टी के सहयोगी दलों से भी जो विधायक बने हैं, उनकी भी छुट्टी हो सकती है.
संगठन और सरकार को बदनाम करने वालों पर खास नजर
संगठन और सरकार को बदनाम कर करने वालों पर खास नजर है. ऐसे विधायक जिन्होंने समय-समय पर संगठन और सरकार को जटिल परिस्थितियों में डाल दिया, उनको निपटा दिया जाएगा. उदाहरण के तौर पर प्रतापगढ़ में भाजपा विधायक ने जमकर अफसरों के खिलाफ कपड़े उतार कर प्रदर्शन किया था, ऐसे लोग निशाने पर हैं. सार्वजनिक तौर पर सरकार की आलोचना करना, सरकार पर अलग-अलग तरह के आरोप लगाना, सरकार पर विधायकों के काम न होने, कार्यकर्ताओं के काम न होने और अधिकारियों के दबाव की बात करने वाले एमएलए के टिकट भी खतरे में हैं. सार्वजनिक तौर पर सरकार विरोधी प्रदर्शनों में हिस्सा लेना, अधिकारियों के समक्ष अभद्र व्यवहार करना. इस तरह के काम पिछले पांच सालों में जिन भी विधायकों ने किए हैं, वह सब टिकट कटने वाली काली सूची में शामिल हो सकते हैं.भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता आनंद दुबे ने बताया कि भाजपा में टिकट वितरण को लेकर पारदर्शी नीति है. चुनाव समिति ही टिकटों का वितरण कैसे किया जाए यह तय करती है. जिन भी उम्मीदवारों की जनता के बीच स्वीकार्यता का संकेत मिलेगा, उनको ही टिकट दिया जाएगा.


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