लखनऊ: 2022 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए बीजेपी ने पिछड़ा कार्ड खेला है. पिछड़ी जाति के लोगों को लामबंद करने के उद्देश्य से बसपा से भाजपा में आए पूर्व विधायक और पूर्वांचल विकास बोर्ड के सदस्य जयप्रकाश निषाद को राज्यसभा का उम्मीदवार घोषित किया है. राज्यसभा की रिक्त हुई एक सीट पर उपचुनाव होगा जिसके लिए निषाद को उम्मीदवार बनाया गया है.
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह ने उत्तर प्रदेश के कोटे से रिक्त हुई राज्यसभा सीट के लिए गोरखपुर के चौरी-चौरा के रहने वाले पूर्व विधायक जयप्रकाश निषाद को उम्मीदवार घोषित किया है. राज्यसभा की यह सीट समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता बेनी प्रसाद वर्मा के निधन के बाद खाली हुई है. इस सीट पर उप-चुनाव की तारीख 24 अगस्त घोषित की गई है. भारतीय जनता पार्टी ने 2022 के विधानसभा चुनाव देखते हुए अति पिछड़ा कार्ड खेलते हुए पूर्वांचल में निषाद बिरादरी को पार्टी के पक्ष में लामबंद करने के उद्देश्य से राज्यसभा भेजने का फैसला किया है. बता दें कि इस राज्य सभा सीट का कार्यकाल 5 मई 2022 तक ही है.
जयप्रकाश निषाद को राज्यसभा का उम्मीदवार बनाने के पीछे कई राजनीतिक मायने भी नजर आ रहे हैं. पूर्वांचल में पिछडे वर्ग को साधने के उद्देश्य से भाजपा ने यह चाल चली है. जय प्रकाश निषाद को राज्यसभा भेजकर भारतीय जनता पार्टी ने मुख्य रूप से पूर्वांचल में पिछड़े वोटों को पार्टी के पक्ष में लामबंद करने और इसका फायदा 2022 के विधानसभा चुनाव में लेने के उद्देश्य से यह बड़ा दांव चला है.
राजनीतिक विश्लेषक अनिल भारद्वाज कहते हैं कि उत्तर प्रदेश में जब एक तरफ विपक्षी दल ब्राह्मण वोटों को साधने के लिए परशुराम की मूर्ति लगाने के दावे कर रहे हैं तो ऐसे समय में भारतीय जनता पार्टी ने पूर्वांचल के पिछड़ों को साधने के लिए यह बड़ा दांव चला है. बीजेपी ने पिछड़े वोटों को पार्टी से जोड़ने के उद्देश्य से निषाद बिरादरी के जयप्रकाश निषाद को राज्यसभा भेजने का फैसला किया है जो चौंकाने वाला है.