लखनऊ: भाजपा के लिए वैश्य अब तक कोर वोटर रहे हैं. बिना हक मांगे वैश्य बिरादरी ने भाजपा को लगातार वोट दिए हैं. एक समय तो भाजपा को वैश्यों की पार्टी ही कहा जाता था. मगर इस बार बनिया बिरादरी अपना पूरा हक मांगने की तैयारी में जुटी है. हाल ही अखिल भारतीय वैश्य महासम्मेलन की ओर से अब स्पष्ट कर दिया गया है कि उनको अब पूरा हक चाहिए. भाजपा सहित सभी प्रमुख विपक्षी दलों को यह साफ कह दिया गया है कि वैश्य यूपी की 110 सीटों पर अहम भूमिका रखते हैं और वे निर्णायक स्थिति में हैं. इसलिए उनकी संख्या के आधार पर उनकी भागीदारी अब टिकटों में तय होनी चाहिए. जो पार्टी उनको बेहतर भागीदारी देगा वे उसके साथ आगे बढ़ेंगे.
विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election 2022) के लिए अब जातिगत समीकरणों पर सभी पार्टियां जोर दे रही हैं. वैश्य समाज और व्यापारियों को अपनी ओर करने के लिए पार्टियां कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है. इस समाज की खास बात यह है कि ये वोटर तो है ही है, साथ ही पार्टियों की वित्तीय मदद करने की स्थिति में भी होते हैं. ऐसे में प्रत्येक राजनीतिक दल चाहता है कि वैश्य समाज का रुख उसकी ओर हो.
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भारतीय जनता पार्टी अभी तक एक वैश्य संपर्क सम्मेलन कर चुकी है. जबकि रविवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद ही एक व्यापारी सम्मेलन में शामिल हुए थे. जहां उन्होंने यहां तक कह दिया कि व्यापारियों को धमकाने वाले को अब गोलियों का सामना करना पड़ेगा.
दूसरी ओर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी रविवार को एक व्यापारी सम्मेलन में भागीदारी की थी. यह सम्मेलन समाजवादी पार्टी की ओर से आयोजित किया गया था. इसलिए अब वैश्य समाज भी अपने राजनीतिक रुख को स्पष्ट कर रहा है.
उत्तर प्रदेश सहित पूरे देश में भारत के सबसे बड़े वैश्य संगठन अखिल भारतीय वैश्य महासम्मेलन के प्रदेश अध्यक्ष नटवर गोयल का रूप इस संबंध में साफ है. उन्होंने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि हमारी हिस्सेदारी उत्तर प्रदेश की 110 विधानसभा सीटों पर है, जहां पर हम निर्णायक भूमिका हैं.
इसलिए हम उसी तरह से राजनीतिक ताकत भी चाहते हैं. भारतीय जनता पार्टी और सभी दलों के लिए संदेश साफ है. वह हमें टिकटों में पर्याप्त भागीदारी दें. इसके बाद हम उनके साथ सहयोग की भावना रखेंगे. हाल ही में हुई हमारी एक बैठक में यह तय किया गया है कि हम अपना राजनीतिक भविष्य टिकटों में भागीदारी के आधार पर ही तय करेंगे.
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