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गेस्ट हाउस कांड 1995: मायावती के केस वापस लेने पर भाजपा और कांग्रेस दी यह प्रतिक्रिया

बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने गेस्ट हाउस कांड 1995 में सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव और अन्य के खिलाफ चल रहे केस को सुप्रीम कोर्ट से वापस ले लिया है. वहीं इसको लेकर बीजेपी और कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है.

मायावती के केस वापस लेने पर भाजपा और कांग्रेस दी प्रतिक्रिया.
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Published : Nov 8, 2019, 5:47 PM IST

लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने 1995 के गेस्ट हाउस कांड में सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव व अन्य के खिलाफ चल रहा केस सुप्रीम कोर्ट से वापस ले लिया है. इसको लेकर विपक्षी दल चुटकी लेने में जुटे हैं. भाजपा का कहना है कि मायावती और मुलायम सिंह यादव बताएं कि उन कार्यकर्ताओं का क्या होगा, जिन्होंने इनके लिए लड़ाई लड़ी और उनके खिलाफ भी मुकदमे दर्ज हुए.

प्रतिक्रिया देते बीजेपी और कांग्रेस के प्रवक्ता.
भाजपा प्रवक्ता मनीष शुक्ला ने कहा कि राजनीतिक रूप से हाशिए पर जा चुकी बसपा अध्यक्ष मायावती और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने गठबंधन करने के बाद इस तरह की कवायद शुरू की थी कि मुकदमे वापस हो जाएं. मुकदमा वापस लेना या न लेना मायावती का अपना मामला है, लेकिन जब गेस्ट हाउस कांड हुआ था तो गांव-गांव में सपा और बसपा के लोगों के बीच संघर्ष हुआ था.

ये भी पढ़ें: नोटबंदी के खिलाफ NSUI का प्रदर्शन, कार्यकर्ताओं पर पुलिस ने भांजी लाठियां

मायावती जी और मुलायम जी से मेरा सवाल है कि आप लोगों की वजह से जिन कार्यकर्ताओं पर मुकदमे दर्ज हुए थे, उनका क्या होगा. आपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए उस समय मुकदमे कराए और अब मुकदमे वापस ले रहे हैं. ऐसे में कार्यकर्ताओं का क्या हाल होगा.
-मनीष शुक्ला, बीजेपी प्रवक्ता

1995 की यह घटना है, आज हम 2019 में बैठे हैं. मायावती जी ने अगर यह निर्णय लिया है तो उनका व्यक्तिगत निर्णय है, लेकिन कांग्रेस पार्टी का मानना है कि राजनीतिक व्यक्तियों के बीच ऐसी दुश्मनी नहीं होनी चाहिए. समझौता करने में इतना लंबा समय नहीं लगना चाहिए. मेरा मानना है किसी भी राजनीतिक व्यक्ति को इस तरह से आपस में नहीं लड़ना चाहिए.
-सिद्धार्थ प्रिय श्रीवास्तव, प्रशासन प्रभारी, कांग्रेस

लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने 1995 के गेस्ट हाउस कांड में सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव व अन्य के खिलाफ चल रहा केस सुप्रीम कोर्ट से वापस ले लिया है. इसको लेकर विपक्षी दल चुटकी लेने में जुटे हैं. भाजपा का कहना है कि मायावती और मुलायम सिंह यादव बताएं कि उन कार्यकर्ताओं का क्या होगा, जिन्होंने इनके लिए लड़ाई लड़ी और उनके खिलाफ भी मुकदमे दर्ज हुए.

प्रतिक्रिया देते बीजेपी और कांग्रेस के प्रवक्ता.
भाजपा प्रवक्ता मनीष शुक्ला ने कहा कि राजनीतिक रूप से हाशिए पर जा चुकी बसपा अध्यक्ष मायावती और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने गठबंधन करने के बाद इस तरह की कवायद शुरू की थी कि मुकदमे वापस हो जाएं. मुकदमा वापस लेना या न लेना मायावती का अपना मामला है, लेकिन जब गेस्ट हाउस कांड हुआ था तो गांव-गांव में सपा और बसपा के लोगों के बीच संघर्ष हुआ था.

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मायावती जी और मुलायम जी से मेरा सवाल है कि आप लोगों की वजह से जिन कार्यकर्ताओं पर मुकदमे दर्ज हुए थे, उनका क्या होगा. आपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए उस समय मुकदमे कराए और अब मुकदमे वापस ले रहे हैं. ऐसे में कार्यकर्ताओं का क्या हाल होगा.
-मनीष शुक्ला, बीजेपी प्रवक्ता

1995 की यह घटना है, आज हम 2019 में बैठे हैं. मायावती जी ने अगर यह निर्णय लिया है तो उनका व्यक्तिगत निर्णय है, लेकिन कांग्रेस पार्टी का मानना है कि राजनीतिक व्यक्तियों के बीच ऐसी दुश्मनी नहीं होनी चाहिए. समझौता करने में इतना लंबा समय नहीं लगना चाहिए. मेरा मानना है किसी भी राजनीतिक व्यक्ति को इस तरह से आपस में नहीं लड़ना चाहिए.
-सिद्धार्थ प्रिय श्रीवास्तव, प्रशासन प्रभारी, कांग्रेस

Intro:लखनऊ: मायावती के केस वापस लेने पर क्या बोली भाजपा और कांग्रेस

लखनऊ। बसपा अध्यक्ष मायावती ने 1995 के गेस्ट हाउस कांड में सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव व अन्य के खिलाफ चल रहा केस सुप्रीम कोर्ट से वापस ले लिया है। इसको लेकर विपक्षी चुटकी ले रहे हैं। भाजपा का कहना है कि मायावती और मुलायम सिंह यादव बताएं कि उन कार्यकर्ताओं का क्या जिन्होंने इनके लिए लड़ाई लड़ी और उनके खिलाफ भी मुकदमे हुए।





Body:भाजपा प्रवक्ता मनीष शुक्ला ने कहा कि राजनीतिक रूप से हाशिए पर जा चुकी बसपा अध्यक्ष मायावती और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने गठबंधन करने के बाद इस तरह की कवायद शुरू की थी कि मुकदमे वापस हो जाएं। मुकदमा वापस लेना या नहीं लेना मायावती का अपना मामला है। लेकिन जब गेस्ट हाउस कांड हुआ था तो गांव गांव में सपा और बसपा के लोगों के बीच संघर्ष हुआ था। सामान्य कार्यकर्ता ने एक दूसरे के खिलाफ मोर्चा लिए हुए थे। उनके बीच मुकदमें हुए थे। मायावती जी और मुलायम जी से मेरा सवाल है कि आप लोगों की वजह से जिन कार्यकर्ताओं पर मुकदमे दर्ज हुए थे उनका क्या होगा। आप राजनीतिक स्वार्थ के लिए उस समय मुकदमें कराए और अब मुकदमे वापस ले रहे हैं। ऐसे में कार्यकर्ताओं का क्या हाल होगा।

कांग्रेस के प्रशासन प्रभारी सिद्धार्थ प्रिय श्रीवास्तव ने कहा कि 1995 की या घटना है। आज हम 2019 में बैठे हैं। तब से गंगा जमुना में तमाम पानी बह गया। मायावती जी ने अगर यह निर्णय लिया है तो उनका व्यक्तिगत निर्णय है लेकिन कांग्रेस पार्टी का मानना है कि राजनैतिक व्यक्तियों के बीच ऐसी दुश्मनी नहीं होनी चाहिए जिसका परिणाम दूर जाए। किसी केस को वापस लेने में इतना वर्ष लग जाए। समझौता करने में इतना लंबा समय नहीं लगना चाहिए। मेरा मानना है किसी भी राजनीतिक व्यक्ति को इस तरह से आपस में नहीं लड़ना चाहिए।

दिलीप शुक्ला-9450663213


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