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लखनऊ में तैयार हुई कोरोना रैपिड टेस्ट किट, अनुमोदन मिलने पर हर रोज हो सकेगी एक लाख जांच

राजधानी लखनऊ में कोरोना वायरस के संक्रमण की पहचान के लिए एक कंपनी ने रैपिड टेस्ट किट तैयार की है. परीक्षण में सफलता मिलने के बाद टेस्ट किट को नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वायरोलॉजी (एनआईवी ) पुणे को अनुमोदन के लिए भेजा गया है.

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लखनऊ में तैयार हुई कोरोना रैपिड टेस्ट किट
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Published : Apr 17, 2020, 6:02 PM IST

लखनऊ: कोविड-19 वायरस की पहचान के लिए लखनऊ की एक कंपनी ने रैपिड टेस्ट किट तैयार की है. शुरुआती परीक्षण में सफलता मिलने के बाद टेस्ट किट को नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वायरोलॉजी (एनआईवी ) पुणे को अनुमोदन के लिए भेजा गया है. एनआईवी की हरी झंडी मिलने के बाद लखनऊ में हर रोज एक लाख रैपिड टेस्ट किट तैयार की जा सकेंगी. उत्तर प्रदेश में सरकारी टेस्ट लैब से अभी हर रोज कोरोना संदिग्ध 2000 नमूनों की जांच की जा रही है.

ईटीवी भारत संवाददाता से बात करते संजय श्रीवास्तव.
कोरोना के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए अस्पतालों में इलाज के अलावा लॉकडाउन का भी सहारा लिया जा रहा है, लेकिन इस बीच दक्षिण कोरिया की तर्ज पर भारत में भी कोरोना संक्रमण के संभावित मरीजों की जांच कराए जाने की मांग तेज हो रही है. कोरोना को परास्त करने की रणनीति में ज्यादा से ज्यादा लोगों की जांच को भी अहम माना जा रहा है.

कोविड-19 की पहचान के लिए प्रयोगशालाओं की स्थापना पर भी जोर दिया जा रहा है. उत्तर प्रदेश सरकार ने ऐसी लैब की संख्या भी बढ़ाई है. इसके बावजूद प्रदेश में कुल 14 सरकारी लैब है, जिसमें हर रोज 2000 नमूनों की जांच की जा रही है. कोरोना वायरस की जांच में अधिक वक्त लगना भी इलाज में बाधा बना हुआ है. ऐसे में रैपिड टेस्ट किट की जरूरत महसूस की जा रही है.

ये भी पढ़ें- यूपी में 20 अप्रैल से कुछ सेक्टर में छूट मिलेगी: अवनीश अवस्थी

ऐसे में लखनऊ की bio-genics ने अपनी रैपिड टेस्ट किट तैयार की है, जो महज 15 मिनट में बता देगी कि रोगी कोरोना वायरस से संक्रमित है या नहीं. अभी तक कोरोना वायरस की जांच के लिए हजारों रुपये की फीस भी चुकानी पड़ रही है. केंद्र सरकार के गाइडलाइन के अनुसार भी जांच की दर 4500 रुपये प्रति टेस्ट है. लखनऊ की कंपनी ने जो रैपिड टेस्ट किट तैयार की है उसे वह महज 500 रुपये में उपलब्ध कराने के लिए तैयार है.

कंपनी के प्रबंध निदेशक संजय श्रीवास्तव ने बताया कि बड़े पैमाने पर उत्पादन होने पर टेस्ट किट की लागत और कम हो सकती है, लेकिन इसका बड़ा फायदा यह है कि छोटे शहरों और गांव में भी पैरामेडिकल स्टाफ की मदद से कोरोना वायरस संक्रमण की सटीक जांच बेहद कम समय में की जा सकेगी. इससे महामारी को फैलने से रोका जा सकेगा और जनमानस में जो असुरक्षा का माहौल बना हुआ है, उसे भी खत्म किया जा सकेगा.

ये भी पढ़ें- आगरा: पारस हॉस्पिटल के संचालक और मैनेजर के खिलाफ FIR

बायोजेनिक्स कंपनी के एमडी के अनुसार नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वायरोलॉजी पुणे को रैपिड टेस्ट किट के 100 सैंपल भेजे हैं. सोमवार या मंगलवार तक उन्हें अनुमोदन मिलने की उम्मीद है. इसके बाद व्यवसायिक तौर पर टेस्ट किट का उत्पादन शुरू कर दिया जाएगा. साथ ही बताया कि हमारी कंपनी की उत्पादन क्षमता एक लाख किट प्रतिदिन है.

लखनऊ की कंपनी ने रिसर्च के बाद जो किट तैयार की है. वह बाजार में एक छोटे से पैक में उपलब्ध होगी, जिसे किसी भी मेडिकल स्टोर से आसानी से खरीदा जा सकेगा. अस्पताल के पैरामेडिकल स्टाफ भी संभावित रोगी के शरीर से थोड़ा सा रक्त लेकर इस किट के एक गोल छेद में डालेंगे. इसके बाद टेस्ट किट के साथ मिलने वाली एक दवा डाली जाएगी. 15 मिनट बाद टेस्ट किट के एक हिस्से में जांच परिणाम दिखाई देने लगेगा.

लखनऊ: कोविड-19 वायरस की पहचान के लिए लखनऊ की एक कंपनी ने रैपिड टेस्ट किट तैयार की है. शुरुआती परीक्षण में सफलता मिलने के बाद टेस्ट किट को नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वायरोलॉजी (एनआईवी ) पुणे को अनुमोदन के लिए भेजा गया है. एनआईवी की हरी झंडी मिलने के बाद लखनऊ में हर रोज एक लाख रैपिड टेस्ट किट तैयार की जा सकेंगी. उत्तर प्रदेश में सरकारी टेस्ट लैब से अभी हर रोज कोरोना संदिग्ध 2000 नमूनों की जांच की जा रही है.

ईटीवी भारत संवाददाता से बात करते संजय श्रीवास्तव.
कोरोना के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए अस्पतालों में इलाज के अलावा लॉकडाउन का भी सहारा लिया जा रहा है, लेकिन इस बीच दक्षिण कोरिया की तर्ज पर भारत में भी कोरोना संक्रमण के संभावित मरीजों की जांच कराए जाने की मांग तेज हो रही है. कोरोना को परास्त करने की रणनीति में ज्यादा से ज्यादा लोगों की जांच को भी अहम माना जा रहा है.

कोविड-19 की पहचान के लिए प्रयोगशालाओं की स्थापना पर भी जोर दिया जा रहा है. उत्तर प्रदेश सरकार ने ऐसी लैब की संख्या भी बढ़ाई है. इसके बावजूद प्रदेश में कुल 14 सरकारी लैब है, जिसमें हर रोज 2000 नमूनों की जांच की जा रही है. कोरोना वायरस की जांच में अधिक वक्त लगना भी इलाज में बाधा बना हुआ है. ऐसे में रैपिड टेस्ट किट की जरूरत महसूस की जा रही है.

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ऐसे में लखनऊ की bio-genics ने अपनी रैपिड टेस्ट किट तैयार की है, जो महज 15 मिनट में बता देगी कि रोगी कोरोना वायरस से संक्रमित है या नहीं. अभी तक कोरोना वायरस की जांच के लिए हजारों रुपये की फीस भी चुकानी पड़ रही है. केंद्र सरकार के गाइडलाइन के अनुसार भी जांच की दर 4500 रुपये प्रति टेस्ट है. लखनऊ की कंपनी ने जो रैपिड टेस्ट किट तैयार की है उसे वह महज 500 रुपये में उपलब्ध कराने के लिए तैयार है.

कंपनी के प्रबंध निदेशक संजय श्रीवास्तव ने बताया कि बड़े पैमाने पर उत्पादन होने पर टेस्ट किट की लागत और कम हो सकती है, लेकिन इसका बड़ा फायदा यह है कि छोटे शहरों और गांव में भी पैरामेडिकल स्टाफ की मदद से कोरोना वायरस संक्रमण की सटीक जांच बेहद कम समय में की जा सकेगी. इससे महामारी को फैलने से रोका जा सकेगा और जनमानस में जो असुरक्षा का माहौल बना हुआ है, उसे भी खत्म किया जा सकेगा.

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बायोजेनिक्स कंपनी के एमडी के अनुसार नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वायरोलॉजी पुणे को रैपिड टेस्ट किट के 100 सैंपल भेजे हैं. सोमवार या मंगलवार तक उन्हें अनुमोदन मिलने की उम्मीद है. इसके बाद व्यवसायिक तौर पर टेस्ट किट का उत्पादन शुरू कर दिया जाएगा. साथ ही बताया कि हमारी कंपनी की उत्पादन क्षमता एक लाख किट प्रतिदिन है.

लखनऊ की कंपनी ने रिसर्च के बाद जो किट तैयार की है. वह बाजार में एक छोटे से पैक में उपलब्ध होगी, जिसे किसी भी मेडिकल स्टोर से आसानी से खरीदा जा सकेगा. अस्पताल के पैरामेडिकल स्टाफ भी संभावित रोगी के शरीर से थोड़ा सा रक्त लेकर इस किट के एक गोल छेद में डालेंगे. इसके बाद टेस्ट किट के साथ मिलने वाली एक दवा डाली जाएगी. 15 मिनट बाद टेस्ट किट के एक हिस्से में जांच परिणाम दिखाई देने लगेगा.

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