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Ravi Kishan Birthday: मां के दिए 500 रुपये और इस डायलॉग ने बनाया 'सुपरस्टार'

भोजपुरी सुपरस्टार (Bhojpuri Superstar Ravi Kishan) और गोरखपुर के भाजपा सांसद रवि किशन का आज जन्मदिन (Ravi Kishan Birthday) है. वह आज 52 साल के हो गए. रवि किशन ने अपने दमदार अभिनय के साथ भोजपुरी फिल्म (Bhojpuri Film) ही बल्कि बॉलीवुड और साउथ की फिल्मों में एंट्री मार पूरे देश में छा गए है. पढ़ें उनके सुपरस्टार बनने की कहानी...

भोजपुरी सुपरस्टार रवि किशन का जन्मदिन.
भोजपुरी सुपरस्टार रवि किशन का जन्मदिन.
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Published : Jul 17, 2021, 7:29 AM IST

हैदराबादः रवि किशन का जन्म (Ravi Kishan Birthday) मुंबई के सांताक्रूज इलाके में 17 जुलाई 1971 को हुआ था. उनके पिता पंडित श्याम नारायण शुक्ला मुंबई में पुरोहित थे. उनका डेयरी का छोटा सा कारोबार था. वे मूल रूप से जौनपुर के रहने वाले हैं. रवि किशन जब 10 साल के थे, तब उनके पिता का उनके चाचा के साथ विवाद हो गया और धंधा बंद कर दोनों जौनपुर लौट आए. रवि किशन यहां करीब सात साल तक रहे, लेकिन उन्हें मुंबई की याद आती थी.

कारोबार बंद होने के वजह से रवि किशन को बेहद गरीबी में दिन गुजारने पड़ रहे थे. ऐसे कठिन समय में महानायक अमिताभ बच्चन के एक डायलॉग ने उनकी पूरी जिंदगी बदल दी. वो डायलॉग था... 'मैं फेंके हुए पैसे नहीं उठाता'. रवि ने एक इंटरव्यू के दौरान खुद स्वीकारा था कि उनके पिता नहीं चाहते थे कि वे एक्टर बनें. रवि के मुताबिक, वह गांव में कभी-कभी रामलीला में महिलाओं का रोल करते थे. पिताजी को पसंद नहीं था कि बेटा पढ़ने-लिखने की जगह नाटक करे. उन्हें लगता था कि बेटा नालायक हो गया है. वह जीवन में कुछ नहीं कर पाएगा. इससे नाराज पिताजी अक्सर उनकी पिटाई कर देते थे. तब उनकी मां ने उन्हें 500 रुपये दिए और रवि किशन जौनपुर से मुंबई चले आए.

इसे भी पढ़ें- मनोज तिवारी ने रवि किशन संग मनाई होली, साझा किया वीडियो संदेश

रवि किशन जब मुंबई आए तो उनके पास इतना पैसा नहीं था कि वे बस का टिकट खरीद सकें. वह अक्सर पैसे बचाने के लिए पैदल ही आते-जाते थे. करीब एक साल तक संघर्ष करने के बाद उन्हें, फिल्म पीताबंर में काम करने का मौका मिला. कई बॉलीवुड फिल्मों में काम करने के बाद मां की सलाह पर उन्होंने भोजपुरी सिनेमा की तरफ रुख किया. रवि किशन पर उनके पिता का गहरा प्रभाव पड़ा है. पिता जी पुरोहित थे, इसलिए अध्यात्म की ओर उनकी रुचि जगी और रवि किशन भगवान शिव के भक्त हैं.

रवि किशन को फिल्म तेरे नाम के लिए सर्वश्रेष्ठ सह- अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया है. वहीं 2005 में आई उनकी भोजपुरी फिल्म 'कब होई गवनवा हमार' को सर्वश्रेष्ठ क्षेत्रीय फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था. वे ऐसे अभिनेता बने जिन्हें एक साथ हिंदी और भोजपुरी की राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्राप्त फिल्मों का हिस्सा होने का गौरव मिला.

फिल्म इंडस्ट्री के बुरे अनुभव को लेकर रवि किशन ने एक इंटरव्यू में बताया था कि वह बारिश में भीगते हुए रिकॉर्डिंग स्टूडियो पहुंचे और वहां 7-8 घंटे की रिकॉर्डिंग की. जब प्रोड्यूसर से चेक मांगा तो वो बोले कि फिल्म में काम दे दिया, ये क्या कम है. चेक मत मांगना नहीं तो रोल काट दूंगा. वह, यह बात सुनकर वह हैरान रह गए थे. वह बाइक पर बैठकर बारिश में भीगते हुए वापस आए. आसमान को देखकर वह खूब रोए थे. उस दिन को वह कभी नहीं भूल पाया.

हैदराबादः रवि किशन का जन्म (Ravi Kishan Birthday) मुंबई के सांताक्रूज इलाके में 17 जुलाई 1971 को हुआ था. उनके पिता पंडित श्याम नारायण शुक्ला मुंबई में पुरोहित थे. उनका डेयरी का छोटा सा कारोबार था. वे मूल रूप से जौनपुर के रहने वाले हैं. रवि किशन जब 10 साल के थे, तब उनके पिता का उनके चाचा के साथ विवाद हो गया और धंधा बंद कर दोनों जौनपुर लौट आए. रवि किशन यहां करीब सात साल तक रहे, लेकिन उन्हें मुंबई की याद आती थी.

कारोबार बंद होने के वजह से रवि किशन को बेहद गरीबी में दिन गुजारने पड़ रहे थे. ऐसे कठिन समय में महानायक अमिताभ बच्चन के एक डायलॉग ने उनकी पूरी जिंदगी बदल दी. वो डायलॉग था... 'मैं फेंके हुए पैसे नहीं उठाता'. रवि ने एक इंटरव्यू के दौरान खुद स्वीकारा था कि उनके पिता नहीं चाहते थे कि वे एक्टर बनें. रवि के मुताबिक, वह गांव में कभी-कभी रामलीला में महिलाओं का रोल करते थे. पिताजी को पसंद नहीं था कि बेटा पढ़ने-लिखने की जगह नाटक करे. उन्हें लगता था कि बेटा नालायक हो गया है. वह जीवन में कुछ नहीं कर पाएगा. इससे नाराज पिताजी अक्सर उनकी पिटाई कर देते थे. तब उनकी मां ने उन्हें 500 रुपये दिए और रवि किशन जौनपुर से मुंबई चले आए.

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रवि किशन जब मुंबई आए तो उनके पास इतना पैसा नहीं था कि वे बस का टिकट खरीद सकें. वह अक्सर पैसे बचाने के लिए पैदल ही आते-जाते थे. करीब एक साल तक संघर्ष करने के बाद उन्हें, फिल्म पीताबंर में काम करने का मौका मिला. कई बॉलीवुड फिल्मों में काम करने के बाद मां की सलाह पर उन्होंने भोजपुरी सिनेमा की तरफ रुख किया. रवि किशन पर उनके पिता का गहरा प्रभाव पड़ा है. पिता जी पुरोहित थे, इसलिए अध्यात्म की ओर उनकी रुचि जगी और रवि किशन भगवान शिव के भक्त हैं.

रवि किशन को फिल्म तेरे नाम के लिए सर्वश्रेष्ठ सह- अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया है. वहीं 2005 में आई उनकी भोजपुरी फिल्म 'कब होई गवनवा हमार' को सर्वश्रेष्ठ क्षेत्रीय फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था. वे ऐसे अभिनेता बने जिन्हें एक साथ हिंदी और भोजपुरी की राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्राप्त फिल्मों का हिस्सा होने का गौरव मिला.

फिल्म इंडस्ट्री के बुरे अनुभव को लेकर रवि किशन ने एक इंटरव्यू में बताया था कि वह बारिश में भीगते हुए रिकॉर्डिंग स्टूडियो पहुंचे और वहां 7-8 घंटे की रिकॉर्डिंग की. जब प्रोड्यूसर से चेक मांगा तो वो बोले कि फिल्म में काम दे दिया, ये क्या कम है. चेक मत मांगना नहीं तो रोल काट दूंगा. वह, यह बात सुनकर वह हैरान रह गए थे. वह बाइक पर बैठकर बारिश में भीगते हुए वापस आए. आसमान को देखकर वह खूब रोए थे. उस दिन को वह कभी नहीं भूल पाया.

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