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भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय में छात्र सीख रहे Classical Music के गुर, आप भी जानिए क्या है गायन-वादन परंपरा

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 4, 2023, 8:57 AM IST

भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय लखनऊ में आयोजित संगीत समारोह ‘अन्नपूर्णेश्वरी’ के दूसरे दिन छात्र-छात्राओं को शास्त्रीय संगीत (Classical Music) के घरानों की पारंपरिक गायन और वादन शैली से रूबरू कराया गया. इस दौरान विशेषज्ञों ने मूर्छना, अलंकार, सपाट की तान आदि विधाओं की जानकारी दी.

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लखनऊ : भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय लखनऊ में आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला ‘अन्नपूर्णेश्वरी’ के दूसरे दिन शुक्रवार को विशेषज्ञों ने इंडियन क्लासिकल म्यूजिक पर छात्रों को विस्तृत जानकारी दी. विशेषज्ञों ने छात्रों को शास्त्रीय संगीत से जुड़े सरोद, बांसुरी और सितार वादन की बारीकियों से रूबरू कराया. साथ ही गायन और वादन की परंपराओं पर गुरु-शिष्यों ने चर्चा की. मैहर घराने की पारंपरिक गायन शैली और उसकी यात्रा पर स्टूडेंट्स ने सवाल-जवाब किए.

भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यशाला में मौजूद छात्र-छात्राएं.
भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यशाला में मौजूद छात्र-छात्राएं.



भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय (भासवि), त्रिसामा आर्ट्स और अन्नपूर्णा देवी फाउंडेशन के विवि परिसर में चल रहे चार दिवसीय संगीत समारोह ‘अन्नपूर्णेश्वरी’ का दूसरा दिन था. अन्नपूर्णेश्वरी, सेनिया-मैहर घराने के संस्थापक आचार्य बाबा अलाउद्दीन ख़ान और उनकी सुपुत्री अन्नपूर्णा देवी को समर्पित शास्त्रीय संगीत का महोत्सव है. जिसमें मैहर घराने से संबंधित फोटो प्रदर्शनी, संगीत की कार्यशाला, आचार्य अलाउद्दीन ख़ान से संबंधित प्रदर्शनी और मैहर घराने के वरिष्ठ कलाकारों की संगीत प्रस्तुतियां हैं.

कार्यक्रम के दूसरे दिन पद्मभूषण अन्नपूर्णा देवी के शिष्य पं. नित्यानन्द हल्दीपुर ने बांसुरी, पं बसन्त काबरा ने सरोद और विदुषी संध्या आप्टे ने सितार पर कार्यशाला कर छात्रों को इसकी खूबियों से अवगत कराया. कार्यशाला संयोजक प्रो. सीमा भारद्वाज ने बताया कि पं नित्यानन्द हल्दीपुर ने बांसुरी का उद्भव, शास्त्रीय संगीत के प्रारंभिक विषय जैसे मूर्छना, अलंकार, सपाट की तान आदि सिखाई. गुरुओं ने स्टूडेंट्स को स्वर अलाप, मैहर घराने का ध्रुपद बाज का प्रारंभिक स्वरूप भी समझाया. पं बसंत काबरा ने राग भैरवी में अलंकार और राग से जुड़ी बारीकियां छात्रों को समझाईं. इस अवसर पर संध्या ने सितार पर मूर्छना, अलंकार, सपाट तान, कृंतन और राग यमन की जानकारी दी. कार्यक्रम के तीसरे दिन शनिवार को आचार्य अलाउद्दीन खान, पंडित रवि शंकर और पंडित निखिल बनर्जी फिल्म स्क्रीनिंग पर चर्चा करेंग. इसके अलावा वरिष्ठ संगीतकार मैहर घराने से जुड़े विशेषज्ञ छात्रों की जिज्ञासाओं का समाधान करेंगे.



यह भी पढ़ें : लखनऊ में गोमा तट पर आयोजित Uttarakhand Mahotasav में दिख रहा यूपी और उत्तराखंड की अनोखी संस्कृति का संगम

भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय के छात्र अब पढ़ेंगे पर्यावरण और कौशल विकास के कोर्स

लखनऊ : भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय लखनऊ में आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला ‘अन्नपूर्णेश्वरी’ के दूसरे दिन शुक्रवार को विशेषज्ञों ने इंडियन क्लासिकल म्यूजिक पर छात्रों को विस्तृत जानकारी दी. विशेषज्ञों ने छात्रों को शास्त्रीय संगीत से जुड़े सरोद, बांसुरी और सितार वादन की बारीकियों से रूबरू कराया. साथ ही गायन और वादन की परंपराओं पर गुरु-शिष्यों ने चर्चा की. मैहर घराने की पारंपरिक गायन शैली और उसकी यात्रा पर स्टूडेंट्स ने सवाल-जवाब किए.

भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यशाला में मौजूद छात्र-छात्राएं.
भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यशाला में मौजूद छात्र-छात्राएं.



भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय (भासवि), त्रिसामा आर्ट्स और अन्नपूर्णा देवी फाउंडेशन के विवि परिसर में चल रहे चार दिवसीय संगीत समारोह ‘अन्नपूर्णेश्वरी’ का दूसरा दिन था. अन्नपूर्णेश्वरी, सेनिया-मैहर घराने के संस्थापक आचार्य बाबा अलाउद्दीन ख़ान और उनकी सुपुत्री अन्नपूर्णा देवी को समर्पित शास्त्रीय संगीत का महोत्सव है. जिसमें मैहर घराने से संबंधित फोटो प्रदर्शनी, संगीत की कार्यशाला, आचार्य अलाउद्दीन ख़ान से संबंधित प्रदर्शनी और मैहर घराने के वरिष्ठ कलाकारों की संगीत प्रस्तुतियां हैं.

कार्यक्रम के दूसरे दिन पद्मभूषण अन्नपूर्णा देवी के शिष्य पं. नित्यानन्द हल्दीपुर ने बांसुरी, पं बसन्त काबरा ने सरोद और विदुषी संध्या आप्टे ने सितार पर कार्यशाला कर छात्रों को इसकी खूबियों से अवगत कराया. कार्यशाला संयोजक प्रो. सीमा भारद्वाज ने बताया कि पं नित्यानन्द हल्दीपुर ने बांसुरी का उद्भव, शास्त्रीय संगीत के प्रारंभिक विषय जैसे मूर्छना, अलंकार, सपाट की तान आदि सिखाई. गुरुओं ने स्टूडेंट्स को स्वर अलाप, मैहर घराने का ध्रुपद बाज का प्रारंभिक स्वरूप भी समझाया. पं बसंत काबरा ने राग भैरवी में अलंकार और राग से जुड़ी बारीकियां छात्रों को समझाईं. इस अवसर पर संध्या ने सितार पर मूर्छना, अलंकार, सपाट तान, कृंतन और राग यमन की जानकारी दी. कार्यक्रम के तीसरे दिन शनिवार को आचार्य अलाउद्दीन खान, पंडित रवि शंकर और पंडित निखिल बनर्जी फिल्म स्क्रीनिंग पर चर्चा करेंग. इसके अलावा वरिष्ठ संगीतकार मैहर घराने से जुड़े विशेषज्ञ छात्रों की जिज्ञासाओं का समाधान करेंगे.



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