लखनऊ: भातखंडे संस्कृत विश्वविद्यालय (Bhatkhande Sanskrit University) ने अपने यहां पर इस सत्र से नई शिक्षा नीति 2020 (एनईपी) को पूरी तरह से लागू कर दिया है. इसके तहत विश्वविद्यालय ने अपने स्नातक एवं परास्नातक विषयों में इस साल प्रवेश लेने वाले छात्रों को गीत संगीत के पारंपरिक विषयों के साथ ही पर्यावरण और कौशल विकास से जुड़े विषयों (Environment and Skill development courses) को लागू किया गया. इसके तहत विश्वविद्यालय ने अपने कोर्स में आमूल-चूल परिवर्तन करते हुए इसे रोजगार परक बनाने की पूरी कोशिश की गई है.
ज्ञात हो कि उत्तर प्रदेश सरकार ने भातखंडे सम विश्वविद्यालय को बीते वर्ष पूर्ण विश्वविद्यालय का दर्जा देते हुए इसे भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय में तब्दील कर दिया था. पूर्ण विश्वविद्यालय बनने के साथ ही विश्वविद्यालय में अपनी नई पहचान के साथ ही अपने यहां संचालित विभिन्न कोर्सों में नई शिक्षा नीति को भी लागू कर दिया है.
हर सेमेस्टर में क्या पढ़ेंगे यह तय किया गया: विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर मांडवी सिंह ने बताया कि इस सत्र से विद्यार्थियों को पहले दो सेमेस्टर में अपने मूल विषय, दूसरे व तीसरे सेमेस्टर में मूल विषय के साथ पर्यावरण से जुड़ा विषय, चौथे वह पांचवें सेमेस्टर में मूल विषय के साथ कौशल विकास से जुड़ा विषय व सातवें व आठवीं सेमेस्टर में अपना मूल विषय पढ़ना होगा. इसके अलावा विश्वविद्यालय ने अपने सभी 14 संबंध संस्थानों में संचालित विभिन्न विषयों को भी अपने यहां के कोर्स (Bhatkhande Sanskrit University students will study environment and skill development courses) में शामिल किया है.
प्रोफेसर मांडवी सिंह ने बताया कि नई शिक्षा नीति को लागू करते समय इस बात का ध्यान दिया गया है कि विश्वविद्यालय में वही रोजगार पर कोर्सेज का संचालन किया जाए. जिससे छात्र-छात्रों को सीखने के बाद आसानी से रोजगार मिल सके. कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय से जोड़े गए सभी घटक संस्थानों में पढ़ाई जाने वाले विषयों को भी नई शिक्षा नीति के तहत स्नातक व पारा स्नातक विषयों में शामिल किया गया है.
कांटेक्ट पर टीचर्स की नियुक्ति के लिए तैयार की गई नियमावली:
कुलपति ने बताया कि नई शिक्षा नीति लागू करने के साथ ही विश्वविद्यालय में शिक्षकों की कमी को दूर करना सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरा है. भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय की ख्याति न केवल प्रदेश बल्कि देश के दूसरे प्रदेशों तक फैली हुई है यहां पर गीत संगीत के विविध आयामों को सीखने के लिए दूर-दूर से छात्र आते हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए विश्वविद्यालय में सभी प्रक्रियाओं को इस बार से डिस्टलाइज किया गया है. ताकि छात्रों को हर समय काम के लिए बार-बार विश्वविद्यालय के चक्कर न लगाने पड़े. उन्होंने बताया कि इसके अलावा विश्वविद्यालय की एक बड़ी चुनौती शिक्षकों की खाली पड़े पदों को भरना है.
नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद जो विषय जोड़े गए हैं उन्हें पढ़ने के लिए कांटेक्ट बेस पर टीचरों को रखने के लिए विश्वविद्यालय में कोई नियमावली नहीं थी. अभी तक विभाग अपने स्तर से शिक्षकों को रखकर पढ़ाया करते थे. पर अब कांटेक्ट पर टीचरों की नियुक्ति के लिए एक नई नियमावली का गठन कर दिया गया है. इसके अलावा विश्वविद्यालय से जुड़े सभी 14 घटक संस्थाओं के शिक्षकों को भी विश्वविद्यालय में आकर पढ़ने के लिए भी नियमावली बनाई गई है. (UP Education News)
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