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भालचंद्र यादव को 6 साल के लिए कांग्रेस से किया गया निष्कासित, लगा यह गंभीर आरोप

लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान भालचंद्र यादव ने समाजवादी पार्टी छोड़कर कांग्रेस का हाथ थामा था. गुरुवार को कांग्रेस ने उन्हें 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया. उन पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्त होने का आरोप लगाया गया है.

भालचंद्र यादव.
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Published : Jul 12, 2019, 2:34 AM IST

लखनऊ: समाजवादी पार्टी का साथ छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए भालचंद्र यादव को छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया गया. वह संतकबीरनगर से लोकसभा चुनाव लड़े थे. वह राहुल गांधी और इमरान प्रतापगढ़ी के बाद सबसे ज्यादा वोट हासिल करने वाले उम्मीदवार बने थे. यही नहीं, चुनाव के दौरान जितने भी बागी कांग्रेस में शामिल हुए थे, उनमें सबसे ज्यादा मत भालचंद्र यादव को ही मिले थे.

भालचंद्र यादव कांग्रेस पार्टी से निष्कासित.

क्या है पूरा मामला-

  • भालचंद यादव कांग्रेस से पहले सपा और बसपा के सदस्य रह चुके हैं.
  • दोनों ही पार्टियों से वे 1999 और 2004 में संत कबीर नगर से सांसद बने थे.
  • भालचंद्र यादव पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह के बेहद करीबी माने जाते हैं.
  • लोकसभा चुनाव 2019 में गठबंधन होने के कारण संतकबीरनगर सीट बसपा के खाते में चली गई.
  • भालचंद्र यादव इस सीट से प्रत्याशी नहीं बनाए जाने से नाराज थे.
  • उन्होंने लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान ही कांग्रेस का दामन थाम लिया था.

काग्रेस ने पाया कि भालचंद्र यादव पार्टी के लिए नहीं बल्कि उसके विरोध में काम कर रहे थे, जिसके कारण उन्हें छह साल तक के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया गया.

लखनऊ: समाजवादी पार्टी का साथ छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए भालचंद्र यादव को छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया गया. वह संतकबीरनगर से लोकसभा चुनाव लड़े थे. वह राहुल गांधी और इमरान प्रतापगढ़ी के बाद सबसे ज्यादा वोट हासिल करने वाले उम्मीदवार बने थे. यही नहीं, चुनाव के दौरान जितने भी बागी कांग्रेस में शामिल हुए थे, उनमें सबसे ज्यादा मत भालचंद्र यादव को ही मिले थे.

भालचंद्र यादव कांग्रेस पार्टी से निष्कासित.

क्या है पूरा मामला-

  • भालचंद यादव कांग्रेस से पहले सपा और बसपा के सदस्य रह चुके हैं.
  • दोनों ही पार्टियों से वे 1999 और 2004 में संत कबीर नगर से सांसद बने थे.
  • भालचंद्र यादव पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह के बेहद करीबी माने जाते हैं.
  • लोकसभा चुनाव 2019 में गठबंधन होने के कारण संतकबीरनगर सीट बसपा के खाते में चली गई.
  • भालचंद्र यादव इस सीट से प्रत्याशी नहीं बनाए जाने से नाराज थे.
  • उन्होंने लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान ही कांग्रेस का दामन थाम लिया था.

काग्रेस ने पाया कि भालचंद्र यादव पार्टी के लिए नहीं बल्कि उसके विरोध में काम कर रहे थे, जिसके कारण उन्हें छह साल तक के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया गया.

Intro:लोकसभा चुनाव में सपा छोड़ कांग्रेस में आए भालचंद्र यादव के कांग्रेस से विदाई, पार्टी विरोधी गतिविधियों में थे लिप्त

note: भालचंद्र यादव की फोटो रैप से भेज रहा हूं। slug:up_luc_visual_bhalchand yadav_2019_7203805

लखनऊ। लोकसभा चुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी छोड़कर कांग्रेस का हाथ थामने वाले भालचंद्र यादव को आज कांग्रेस ने 6 साल के लिए बाहर का रास्ता दिखा दिया। कांग्रेस का आरोप है कि भालचंद्र यादव पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्त थे। बता दें कांग्रेस पार्टी से भालचंद्र यादव संतकबीर नगर से चुनाव लड़े थे। वे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी और इमरान प्रतापगढ़ी के बाद सबसे ज्यादा वोट हासिल करने वाले उम्मीदवार बने थे। इतना ही नहीं चुनाव के दौरान जितने भी बागी कांग्रेस में शामिल हुए थे उनमें सबसे ज्यादा मत भालचंद्र यादव को ही मिले थे।


Body:कांग्रेस ने जिन भालचंद यादव को 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित किया है, उनका इतिहास समाजवादी पार्टी से होते हुए बहुजन समाज पार्टी और फिर समाजवादी पार्टी के साथ जुड़ा रहा है। इन दोनों ही पार्टियों से वे 1999 और 2004 में संत कबीर नगर से ही सांसद बने थे, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी में गठबंधन हो गया और संत कबीर नगर सीट बहुजन समाज पार्टी के खाते में चली गई। जिसके बाद यहां से भालचंद्र यादव को प्रत्याशी नहीं बनाया गया इससे वे खासे नाराज हुए और उन्होंने चुनाव के दौरान ही कांग्रेस का दामन थाम लिया था।


Conclusion:जिस तरह से चुनाव से पहले कांग्रेस ने भालचंद यादव को हाथों-हाथ लिया था उसी तरह लगभग 3 माह के साथ के बाद आज बाहर का रास्ता भी दिखा दिया। हालांकि इसके पीछे पार्टी ने आंतरिक सर्वे में पाया कि भालचंद्र यादव कांग्रेस के लिए नहीं बल्कि कांग्रेस के विरोध में काम कर रहे थे। अब ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का गठबंधन टूट गया है तो भालचंद यादव की फिर से समाजवादी पार्टी में वापसी हो सकती है।
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