लखनऊ: कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है. वहीं इसकी चपेट में गंभीर रोगों से ग्रसित मरीज सबसे अधिक आ रहे हैं. इनमें सबसे अधिक संख्या किडनी से संबंधित मरीजों की है. ऐसे मरीजों को हफ्ते में दो या तीन बार डायलिसिस करवाना पड़ता है. इसी के मद्देनजर राजधानी लखनऊ स्थित एसजीपीजीआई ने कोरोना संक्रमित किडनी के रोगियों के लिए कुछ अलग इंतजाम किए हैं.
संजय गांधी पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के नेफ्रोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अमित गुप्ता ने बताया कि कोरोना महामारी के बीच सबसे ज्यादा परेशानी का सामना डायलिसिस करवाने वाले मरीजों को करना पड़ रहा है. खासकर ऐसे मरीज जिन्हें हफ्ते में दो से तीन बार डायलिसिस करवानी होती थी, उनके लिए कोरोना काल बेहद मुश्किल भरा रहा है. क्योंकि साधारण मरीजों के साथ कोरोना संक्रमित मरीजों में भी डायलिसिस की आवश्यकता अधिक पड़ रही है. इसलिए नेफ्रोलॉजी विभाग में कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए 10 मशीनें अलग से लगाई गई हैं.
डॉ. गुप्ता ने बताया कि इस वक्त विभाग में तकरीबन 30 से 35 ऐसे मरीज भर्ती हो रहे हैं, जो कोविड-19 से संक्रमित हैं और उन्हें डायलिसिस की तुरंत आवश्यकता पड़ती है. डॉ. गुप्ता के अनुसार रोजाना 10 से 12 मरीजों की डायलिसिस की जा रही है. डायलिसिस के लिए आरओ के शुद्ध पानी की जरूरत पड़ती है. इस वजह से एसजीपीजीआई के अन्य विभागों से भी पोर्टेबल आरओ मशीन मंगाई गई है. उसे कोरोना हॉस्पिटल में लगाया गया है. जिससे डायलिसिस की सेवाएं सुचारू रूप से चल सकें.
डॉ. गुप्ता के अनुसार कोरोना काल में मार्च से लेकर अब तक तकरीबन 450 डायलिसिस हो चुकी है. इसके अलावा अब तक गुर्दे के संक्रमण से ग्रसित लगभग 100 मरीजों को भर्ती किया जा चुका है. जबकि बड़ी संख्या में मरीज ठीक होकर डिस्चार्ज भी किए गए हैं.
लखनऊ: कोरोना संक्रमित किडनी के मरीजों के लिए पीजीआई में डायलिसिस का बेहतर इंतजाम - lucknow news
राजधानी लखनऊ में एसजीपीजीआई ने कोरोना संक्रमित किडनी के रोगियों के लिए कुछ अलग इंतजाम किए हैं. यहां नेफ्रोलॉजी विभाग में कोरोना संक्रमित डायलिसिस वाले मरीजों के लिए 10 आरओ मशीनें अलग से लगाई गई हैं. जिससे डायलिसिस की सेवाएं सुचारू रूप से चल सकें.
लखनऊ: कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है. वहीं इसकी चपेट में गंभीर रोगों से ग्रसित मरीज सबसे अधिक आ रहे हैं. इनमें सबसे अधिक संख्या किडनी से संबंधित मरीजों की है. ऐसे मरीजों को हफ्ते में दो या तीन बार डायलिसिस करवाना पड़ता है. इसी के मद्देनजर राजधानी लखनऊ स्थित एसजीपीजीआई ने कोरोना संक्रमित किडनी के रोगियों के लिए कुछ अलग इंतजाम किए हैं.
संजय गांधी पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के नेफ्रोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अमित गुप्ता ने बताया कि कोरोना महामारी के बीच सबसे ज्यादा परेशानी का सामना डायलिसिस करवाने वाले मरीजों को करना पड़ रहा है. खासकर ऐसे मरीज जिन्हें हफ्ते में दो से तीन बार डायलिसिस करवानी होती थी, उनके लिए कोरोना काल बेहद मुश्किल भरा रहा है. क्योंकि साधारण मरीजों के साथ कोरोना संक्रमित मरीजों में भी डायलिसिस की आवश्यकता अधिक पड़ रही है. इसलिए नेफ्रोलॉजी विभाग में कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए 10 मशीनें अलग से लगाई गई हैं.
डॉ. गुप्ता ने बताया कि इस वक्त विभाग में तकरीबन 30 से 35 ऐसे मरीज भर्ती हो रहे हैं, जो कोविड-19 से संक्रमित हैं और उन्हें डायलिसिस की तुरंत आवश्यकता पड़ती है. डॉ. गुप्ता के अनुसार रोजाना 10 से 12 मरीजों की डायलिसिस की जा रही है. डायलिसिस के लिए आरओ के शुद्ध पानी की जरूरत पड़ती है. इस वजह से एसजीपीजीआई के अन्य विभागों से भी पोर्टेबल आरओ मशीन मंगाई गई है. उसे कोरोना हॉस्पिटल में लगाया गया है. जिससे डायलिसिस की सेवाएं सुचारू रूप से चल सकें.
डॉ. गुप्ता के अनुसार कोरोना काल में मार्च से लेकर अब तक तकरीबन 450 डायलिसिस हो चुकी है. इसके अलावा अब तक गुर्दे के संक्रमण से ग्रसित लगभग 100 मरीजों को भर्ती किया जा चुका है. जबकि बड़ी संख्या में मरीज ठीक होकर डिस्चार्ज भी किए गए हैं.