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किसानों के लिए वरदान साबित होगी जीरो बजट की खेती: चौधरी

देश और प्रदेश के किसानों के लिए जीरो बजट आधारित प्राकृतिक खेती वरदान साबित होगी. इससे केंद्र सरकार का जो किसानों की आय दोगुनी करने का मकसद है, उसे पूरा करने में काफी मदद भी मिलेगी.

chemical free farming
रसायन मुक्त खेती पर जोर
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Published : Dec 15, 2020, 1:11 PM IST

लखनऊः देश और प्रदेश के किसानों के लिए जीरो बजट आधारित प्राकृतिक खेती वरदान साबित होगी. इससे केंद्र सरकार का जो किसानों की आय दोगुनी करने का मकसद है, उसे पूरा करने में काफी मदद भी मिलेगी.

प्राकृतिक खेती के लिए प्रशिक्षण

'उर्वरक के इस्तेमाल से उर्वरा शक्ति हो रही है कम'
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए जीरो बजट आधारित खेती के प्रशिक्षक कृष्ण चौधरी ने बताया कि लंबे समय से रासायनिक उर्वरक के प्रयोग के कारण जमीन की उर्वरा शक्ति लगातार कम हो रही है. यही नहीं इससे उत्पादन भी विषैला हो रहा है. जिसके कारण लगातार बीमारियां बढ़ रही हैं. वाराणसी के सेवापुरी के 87 ग्राम पंचायतों में रसायन मुक्त खेती करने का निर्णय लिया गया है. यहां के 1150 किसानों को प्रशिक्षित किया गया है. जिसमें से 10 प्रतिशत किसानों ने जीरो बजट आधारित खेती करनी शुरू भी कर दी है.

'भूमि को जहर मुक्त बनाना मकसद'
कृष्ण चौधरी ने बताया कि प्राकृतिक खेड़ी से धरती को जहर मुक्त बनाया जा सकता है. इससे लागत में भी कमी आएगी और उत्पादन भी बढ़ेगा. जिसका लाभ सीधे किसानों को मिलेगा.


'चार दिन में तैयार होगा जीवामृत'
कृष्ण चौधरी ने बताया कि एक एकड़ फसल के लिए 5 से 10 किलोग्राम गोबर और इतनी मात्रा में ही गोमूत्र के साथ डेढ़ किलोग्राम गुण, डेढ़ किलो ग्राम बेसन, 100 ग्राम पीपल, बरगद के पेड़ के नीचे की मिट्टी, 180 लीटर पानी में मिला कर रखना है. जीवामृत को तैयार होने में 4 दिन का समय लगेगा. चार दिन के बाद इसका प्रयोग खेतों में किया जा सकता है.

'24 हजार किसानों को यूपी में मिला प्रशिक्षण'
प्रशिक्षक कृष्ण चौधरी ने मुताबिक प्रदेश में अब तक 24 हजार किसानों को जीरो बजट आधारित खेती के बारे में प्रशिक्षण दिया जा चुका है. जिसमें 10 प्रतिशत किसान इस तरह की खेती करना शुरू भी कर दिए हैं.

लखनऊः देश और प्रदेश के किसानों के लिए जीरो बजट आधारित प्राकृतिक खेती वरदान साबित होगी. इससे केंद्र सरकार का जो किसानों की आय दोगुनी करने का मकसद है, उसे पूरा करने में काफी मदद भी मिलेगी.

प्राकृतिक खेती के लिए प्रशिक्षण

'उर्वरक के इस्तेमाल से उर्वरा शक्ति हो रही है कम'
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए जीरो बजट आधारित खेती के प्रशिक्षक कृष्ण चौधरी ने बताया कि लंबे समय से रासायनिक उर्वरक के प्रयोग के कारण जमीन की उर्वरा शक्ति लगातार कम हो रही है. यही नहीं इससे उत्पादन भी विषैला हो रहा है. जिसके कारण लगातार बीमारियां बढ़ रही हैं. वाराणसी के सेवापुरी के 87 ग्राम पंचायतों में रसायन मुक्त खेती करने का निर्णय लिया गया है. यहां के 1150 किसानों को प्रशिक्षित किया गया है. जिसमें से 10 प्रतिशत किसानों ने जीरो बजट आधारित खेती करनी शुरू भी कर दी है.

'भूमि को जहर मुक्त बनाना मकसद'
कृष्ण चौधरी ने बताया कि प्राकृतिक खेड़ी से धरती को जहर मुक्त बनाया जा सकता है. इससे लागत में भी कमी आएगी और उत्पादन भी बढ़ेगा. जिसका लाभ सीधे किसानों को मिलेगा.


'चार दिन में तैयार होगा जीवामृत'
कृष्ण चौधरी ने बताया कि एक एकड़ फसल के लिए 5 से 10 किलोग्राम गोबर और इतनी मात्रा में ही गोमूत्र के साथ डेढ़ किलोग्राम गुण, डेढ़ किलो ग्राम बेसन, 100 ग्राम पीपल, बरगद के पेड़ के नीचे की मिट्टी, 180 लीटर पानी में मिला कर रखना है. जीवामृत को तैयार होने में 4 दिन का समय लगेगा. चार दिन के बाद इसका प्रयोग खेतों में किया जा सकता है.

'24 हजार किसानों को यूपी में मिला प्रशिक्षण'
प्रशिक्षक कृष्ण चौधरी ने मुताबिक प्रदेश में अब तक 24 हजार किसानों को जीरो बजट आधारित खेती के बारे में प्रशिक्षण दिया जा चुका है. जिसमें 10 प्रतिशत किसान इस तरह की खेती करना शुरू भी कर दिए हैं.

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