लखनऊ: उत्तर प्रदेश में साल 2017 में सीएम योगी की महत्वाकांक्षी योजना सामूहिक विवाह योजना का शुभारंभ किया गया था. इस योजना के अंतर्गत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक वर्ग और सामान्य वर्ग के बेटियों की शादी कराई जाती है. जिला समाज कल्याण इस कार्यक्रम का आयोजन करता है, लेकिन विभाग के अधिकारी इस योजना में पलीता लगाने में जुटे हुए हैं. इस योजना के लाभार्थियों के खाते में अभी तक धनराशि नहीं पहुंची है.
16 फरवरी को हुई थी शादी
राजधानी के बुद्धेश्वर स्थित एक निजी लॉन में बीती 16 फरवरी को मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना का आयोजन किया गया था. समारोह में कुल 156 जोड़ों ने एक-दूसरे का हाथ थामा था. आज लगभग एक माह होने वाला है. इसके बावजूद लाभार्थियों के खाते में योजना के तहत दी जाने वाली धनराशि नहीं पहुंची है. इसके लिए लाभार्थियों को विभाग के चक्कर काटने पड़ रहे हैं. ईटीवी भारत की टीम ने लाभार्थियों से बातचीत की. उनका कहना है कि अभी तक योजना की धनराशि उनके खातों में नहीं पहुंची है.
एक जोड़े पर खर्च होते हैं 51 हजार रुपये
जिला समाज कल्याण अधिकारी अमरनाथ यति के मुताबिक, इस सामूहिक विवाह में 78 लाख 3 हजार का कुल खर्च बताया गया था. मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत एक जोड़े पर 51 हजार की धनराशि खर्च होती है. इसमें से 35 हजार रुपये सीधे कन्या के खाते में दिए जाते हैं. दस हजार रुपये कपड़े, बिछिया समेत अन्य सामान के लिए दिए जाते हैं. छह हजार में अतिरिक्त व्यवस्थाएं की जाती हैं. जिले में अब तक 400 से ज्यादा जोड़ों की शादी कराई जा चुकी है.
ये बोल रहे अधिकारी
सामूहिक विवाह के लाभार्थी सतीश कुमार ने बताया कि विवाह के दौरान कहा गया था कि कन्याओं के खाते में 35 हजार रुपये दिए जएंगे, लेकिन अभी तक एक भी रुपये नहीं दिया गया. कई बार सरकारी दफ्तरों के चक्कर भी काटे गए. अधिकारियों का कहना है कि पहले रजिस्ट्रेशन कराओ, तब पैसा मिलेगा.
खातों में मिली थी गड़बड़ी
इस बात पर जिला समाज कल्याण अधिकारी अमरनाथ यति ने बताया कि विवाह के दौरान जितने भी लाभार्थी थे, उनके खाते में पैसे दे दिए गए हैं. कुछ लाभार्थियों के रजिस्ट्रेशन में गड़बड़ी पाई गई थी, उन्हीं के खाते में रुपये नहीं पहुंच सके हैं.