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लखनऊ के प्रतिष्ठित हॉस्पिटल जनता की आंखों में झोंक रहे थे धूल, जांच में हुआ बड़ा खुलासा

लखनऊ के प्रतिष्ठित प्राइवेट हॉस्पिटल कोविड मरीजों को भर्ती करने में कितने संवेदनशील हैं, इसका खुलासा जांच रिपोर्ट में हुआ है. राजधानी के सहारा और अपोलो हॉस्पिटल में कोविड मरीजों के लिए बेड खाली थे लेकिन, ऑनलाइन पोर्टल पर खाली बेडों की संख्या जीरो दिखाई गई. इन सभी अस्पतालों को नोडल अधिकारी ने चेतावनी दी है.

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Published : May 26, 2021, 9:13 AM IST

नोडल अधिकारी डॉ रोशन जैकब
नोडल अधिकारी डॉ रोशन जैकब

लखनऊ: जिले के प्रतिष्ठित प्राइवेट हॉस्पिटल कोविड मरीजों को भर्ती करने में कितने संवेदनशील हैं इसका खुलासा तीन जांच रिपोर्ट में हुआ है. सहारा और अपोलो हॉस्पिटल में कोविड मरीजों के लिए बेड खाली थे लेकिन, ऑनलाइन पोर्टल पर खाली बेडों की संख्या जीरो दिखाई गई. इसके साथ ही अपोलो हॉस्पिटल ने तो स्वंय ही अपने यहां कोविड बेडों की संख्या घटा दी. राजकीय श्रेणी के 7 बेडों को ऑनलाइन पोर्टल में शून्य दर्शाया गया. मेदांता हॉस्पिटल में भी कोविड बेडों की संख्या 125 से घटाकर 100 कर दी गई. जांच रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आने के बाद नोडल अधिकारी डॉ. रोशन जैकब ने तीनों अस्पतालों को हिदायत दी है कि पोर्टल पर बेडों की सही संख्या और कमांड सेंटर से जारी रिपोर्ट में विलंब की पुनरावृत्ति पायी जाती है, तो महामारी अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज कराई जाएगी.

लगातार मिल रहीं थी शिकायतें
नोडल अधिकारी डॉ. रोशन जैकब ने बताया कि कमांड सेंटर के माध्यम से कोविड मरीजों की भर्ती में निजी और राजकीय श्रेणी में अनावश्यक विलंब होने की शिकायतें मिल रही थीं. इन शिकायतों का संज्ञान लेते हुए मेदांता सहारा और अपोलो हॉस्पिटल की जांच के लिए तीन अलग-अलग टीमें गठित की गई थीं. सहारा हॉस्पिटल की जांच के लिए चिकित्सा अधिकारी डॉ. राधेश्याम और एसडीएम सदर लोकेश त्रिपाठी की संयुक्त टीम गठित की गई थी. टीम की रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आए कि भर्ती मरीजों और खाली बेडों की संख्या समय के साथ पोर्टल पर दर्ज नहीं की जा रही है. 23 मई को हॉस्पिटल में निर्धारित बेडों की संख्या 70 थी. भर्ती कोविड मरीजों की संख्या 22 और खाली बेडों की संख्या 48 थी. जबकि, ऑनलाइन खाली बेडों की संख्या शून्य दर्शायी गई. इसी तरह 24 मई को निर्धारित बेडों की संख्या 60, भर्ती मरीजों की संख्या 24, खाली बेडों की संख्या 48 थी जबकि, ऑनलाइन संख्या जीरो दिखाई गई. नोडल अधिकारी ने कहा कि इस कारण मरीजों को हॉस्पिटल में भर्ती कराने में कठिनाइयां होती हैं. सहारा हॉस्पिटल के कंट्रोल रूम में फोन करने पर भी सही जानकारी नहीं मिलती है.

पोर्टल पर अपडेट नहीं की जा रही थी बेडों की संख्या

मेदांता हॉस्पिटल की जांच में सामने आया कि उपलब्ध बेडों की संख्या सुबह 8 बजे से शाम 4 बजे तक पोर्टल पर अपडेट नहीं की जाती है. 23 मई को हॉस्पिटल में कोविड बेडों की संख्या कुल 125 थी, जिसे अगले दिन 24 मई को घटाकर 100 कर दिया गया. वहीं अपोलो हॉस्पिटल की जांच में तथ्य सामने आए कि हॉस्पिटल में एल-2 श्रेणी के अवशेष बेडों की संख्या 15 है, जिसमें 7 राज्यकीय हैं. ऑनलाइन पोर्टल पर राजकीय बेडों की संख्या जीरो दर्शायी गई. नोडल अधिकारी ने तीनों हॉस्पिटल के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी को भेजी नोटिस में कहा है कि आपके द्वारा कोविड मरीजों के इलाज में लापरवाही की जा रही है. जनता और आईसीसी को भ्रामक सूचनाएं दी जा रही हैं. कमांड सेंटर से जारी रेफरल में अनावश्यक रूप से विलंब किया जा रहा है. इस तरह की पुनरावृति दोबारा पायी गयी तो महामारी अधिनियम के तहत तीनों अस्पतालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी.

लखनऊ: जिले के प्रतिष्ठित प्राइवेट हॉस्पिटल कोविड मरीजों को भर्ती करने में कितने संवेदनशील हैं इसका खुलासा तीन जांच रिपोर्ट में हुआ है. सहारा और अपोलो हॉस्पिटल में कोविड मरीजों के लिए बेड खाली थे लेकिन, ऑनलाइन पोर्टल पर खाली बेडों की संख्या जीरो दिखाई गई. इसके साथ ही अपोलो हॉस्पिटल ने तो स्वंय ही अपने यहां कोविड बेडों की संख्या घटा दी. राजकीय श्रेणी के 7 बेडों को ऑनलाइन पोर्टल में शून्य दर्शाया गया. मेदांता हॉस्पिटल में भी कोविड बेडों की संख्या 125 से घटाकर 100 कर दी गई. जांच रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आने के बाद नोडल अधिकारी डॉ. रोशन जैकब ने तीनों अस्पतालों को हिदायत दी है कि पोर्टल पर बेडों की सही संख्या और कमांड सेंटर से जारी रिपोर्ट में विलंब की पुनरावृत्ति पायी जाती है, तो महामारी अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज कराई जाएगी.

लगातार मिल रहीं थी शिकायतें
नोडल अधिकारी डॉ. रोशन जैकब ने बताया कि कमांड सेंटर के माध्यम से कोविड मरीजों की भर्ती में निजी और राजकीय श्रेणी में अनावश्यक विलंब होने की शिकायतें मिल रही थीं. इन शिकायतों का संज्ञान लेते हुए मेदांता सहारा और अपोलो हॉस्पिटल की जांच के लिए तीन अलग-अलग टीमें गठित की गई थीं. सहारा हॉस्पिटल की जांच के लिए चिकित्सा अधिकारी डॉ. राधेश्याम और एसडीएम सदर लोकेश त्रिपाठी की संयुक्त टीम गठित की गई थी. टीम की रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आए कि भर्ती मरीजों और खाली बेडों की संख्या समय के साथ पोर्टल पर दर्ज नहीं की जा रही है. 23 मई को हॉस्पिटल में निर्धारित बेडों की संख्या 70 थी. भर्ती कोविड मरीजों की संख्या 22 और खाली बेडों की संख्या 48 थी. जबकि, ऑनलाइन खाली बेडों की संख्या शून्य दर्शायी गई. इसी तरह 24 मई को निर्धारित बेडों की संख्या 60, भर्ती मरीजों की संख्या 24, खाली बेडों की संख्या 48 थी जबकि, ऑनलाइन संख्या जीरो दिखाई गई. नोडल अधिकारी ने कहा कि इस कारण मरीजों को हॉस्पिटल में भर्ती कराने में कठिनाइयां होती हैं. सहारा हॉस्पिटल के कंट्रोल रूम में फोन करने पर भी सही जानकारी नहीं मिलती है.

पोर्टल पर अपडेट नहीं की जा रही थी बेडों की संख्या

मेदांता हॉस्पिटल की जांच में सामने आया कि उपलब्ध बेडों की संख्या सुबह 8 बजे से शाम 4 बजे तक पोर्टल पर अपडेट नहीं की जाती है. 23 मई को हॉस्पिटल में कोविड बेडों की संख्या कुल 125 थी, जिसे अगले दिन 24 मई को घटाकर 100 कर दिया गया. वहीं अपोलो हॉस्पिटल की जांच में तथ्य सामने आए कि हॉस्पिटल में एल-2 श्रेणी के अवशेष बेडों की संख्या 15 है, जिसमें 7 राज्यकीय हैं. ऑनलाइन पोर्टल पर राजकीय बेडों की संख्या जीरो दर्शायी गई. नोडल अधिकारी ने तीनों हॉस्पिटल के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी को भेजी नोटिस में कहा है कि आपके द्वारा कोविड मरीजों के इलाज में लापरवाही की जा रही है. जनता और आईसीसी को भ्रामक सूचनाएं दी जा रही हैं. कमांड सेंटर से जारी रेफरल में अनावश्यक रूप से विलंब किया जा रहा है. इस तरह की पुनरावृति दोबारा पायी गयी तो महामारी अधिनियम के तहत तीनों अस्पतालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी.

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